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जुदा हो गयी सदा के लिए "लंबी जुदाई" देकर गायिका रेशमा

गायिका रेशमा को श्रद्धांजली "जो फूल यहाँ पर खिल न सके, वो फूल वहाँ खिल जायेंगे, हम इस दुनिया में मिल न सके तो उस दुनिया में मिल जायेंगे" - दोस्तों, कल सुबह जैसे ही गायिका रेशमा के निधन की ख़बर रेडियो पर सुनी तो उनके गाये इस गीत की पंक्ति जैसे कानों में बजने लगी। कहते हैं कि आवाज़ें सरहदों से आज़ाद हुआ करती हैं, रेशमा की आवाज़ भी एक ऐसी आवाज़ रही जिसने कभी भी सरहदों को नहीं माना। चाहे वो कहीं भी रहीं, उनकी आवाज़ ने दुनिया भर की फ़िज़ाओं में ख़ुशबू बिखेरी। उनकी आवाज़ मिट्टी की आवाज़ थी, जिसमें से मिट्टी की भीनी-भीनी सौंधी ख़ुशबू उड़ा करती।  रेशमा का जन्म यहीं भारत में, राजस्थान में हुआ था और उनका बचपन भी राजस्थान में ही बीता। राजस्थान, जिसकी सीमा पाक़िस्तान के सरहद के बहुत करीब है; आज़ादी के बाद देश के बटवारे के बाद रेशमा सरहद के उस पार चली गईं। रेशमा का ताल्लुख़ बंजारा समुदाय से था जो कभी एक जगह नहीं ठहरता। बंजारे यायावर की तरह भटकते रहते हैं, कभी घर नहीं बनाते, और हर बार नई मंज़िल की तलाश में निकल पड़ते हैं। रेशमा को गायिकी की प्रतिभा अपने समुदाय से विरासत में

दीपों के पर्व पर राग बागेश्री की चर्चा

स्वरगोष्ठी – 142 में आज रागों में भक्तिरस – 10 ‘मनमोहन श्याम सुन्दर रूप मनोहर सोहत अधर मुरलिया...’      ‘ रेडियो प्लेबैक इण्डिया ’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘ स्वरगोष्ठी ’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘ रागों में भक्तिरस ’ की दसवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र , ज्योतिपर्व दीपावली के शुभ अवसर पर आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों , अन्धकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देने वाला यह पर्व आप और आपके पूरे परिवार के लिए सुख-समृद्धि का कारक बने , हम यही कामना करते हैं। जारी श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस राग पर आधारित फिल्म संगीत के उदाहरण भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में हम आपसे रात्रि के दूसरे प्रहर में गाये-बजाए जाने वाले राग बागेश्री की चर्चा करेंगे। आपके समक्ष इस राग के भक्तिरस-पक्ष को स्पष्ट करने के लिए हम तीन भक्तिरस से अभिप्रेरित रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे। पहले आप सुनेंगे राग बागेश्री के स्वरों में एक बन्दिश , सुप्रसिद्ध गायिका

दीपावली की शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है आज की 'सिने पहेली'

सिने पहेली – 86 'सिने पहेली' के सभी प्रतियोगियों और पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार, तथा ज्योति पर्व दीपावली पर 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की तरफ़ से आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें। यह पवित्र प्रकाश पर्व आप सभी के जीवन में सफलता, सम्पन्नता और शान्ति के लौ को प्रज्वलित करे, और आपके जीवन के हर अंधकार को मिटाये, ऐसी हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। साथ ही यह कामना करते हैं कि समाज को कुप्रथाओं और उग्रवाद के अंधकार से मुक्ति मिले, तथा ज्ञान से, परिश्रम से, और सच्चाई की राह पर चल कर हम सब इस धरती को स्वर्ग बनायें।  दोस्तों, हमें पता है कि दीपावली की तैयारियों में आप सब जुटे होंगे, इसलिए आज तो आपके पास बिल्कुल भी समय नहीं होगा पहेली को सुलझाने का, और न ही कल होगा क्योंकि कल ही तो दीवाली है। और न ही हम आप पर कोई दबाव डालेंगे; पर सोमवार से लेकर बृहस्पतिवार तक का समय भी काफ़ी है आज की पहेली को सुलझाने के लिए। तो तैयार हो जाइए आज की 'सिने पहेली' के लिए जो केन्द्रित है दीपावली पर केन्द्रित गीतों पर। आज की पहेली : मनाइ