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दीपावली की शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है आज की 'सिने पहेली'

सिने पहेली – 86 'सिने पहेली' के सभी प्रतियोगियों और पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार, तथा ज्योति पर्व दीपावली पर 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की तरफ़ से आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें। यह पवित्र प्रकाश पर्व आप सभी के जीवन में सफलता, सम्पन्नता और शान्ति के लौ को प्रज्वलित करे, और आपके जीवन के हर अंधकार को मिटाये, ऐसी हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। साथ ही यह कामना करते हैं कि समाज को कुप्रथाओं और उग्रवाद के अंधकार से मुक्ति मिले, तथा ज्ञान से, परिश्रम से, और सच्चाई की राह पर चल कर हम सब इस धरती को स्वर्ग बनायें।  दोस्तों, हमें पता है कि दीपावली की तैयारियों में आप सब जुटे होंगे, इसलिए आज तो आपके पास बिल्कुल भी समय नहीं होगा पहेली को सुलझाने का, और न ही कल होगा क्योंकि कल ही तो दीवाली है। और न ही हम आप पर कोई दबाव डालेंगे; पर सोमवार से लेकर बृहस्पतिवार तक का समय भी काफ़ी है आज की पहेली को सुलझाने के लिए। तो तैयार हो जाइए आज की 'सिने पहेली' के लिए जो केन्द्रित है दीपावली पर केन्द्रित गीतों पर। आज की पहेली : मनाइ

बुलट राजा आये हैं तमंचे पे डिस्को कराने

त्यो हारों का मौसम गर्म है, यही वो समय होता है जब सभी नाम चीन सितारे जनता के दरबार में उतरते हैं अपने अपने मनोरंजन का पिटारा लेकर.  इस बार दिवाली पर हृतिक क्रिश का चोगा पहनेगें तो क्रिसमस पर अमीर धूम मचाने की तैयारी कर रहे हैं. शाहरुख, सलमान, अक्षय और अजय देवगन कुछ छुट्टी के मूड में थे तो उनकी कमी को भरने मैदान में उतरेगें शाहिद ( आर...राजकुमार ), इमरान ( गोरी तेरे प्यार में ) जैसे नए तीरंदाज़ तो सैफ ( बुलट राजा ) और सन्नी देओल ( सिंह साहेब द ग्रेट ) जैसे पक्के खिलाड़ी भी अपना जौहर लेकर दर्शकों के मनोरजन का पूरा इंतजाम रखेंगें. इन सभी फिल्मों के संगीत की हम बारी बारी चर्चा करेगें, तो चलिए आज जिक्र छेड़ते हैं सैफ अली खान और सोनाक्षी सिन्हा की बुलट राजा के सगीत की. तिन्ग्मान्शु धुलिया पान सिंह तोमर और साहेब बीवी और गैंगस्टर जैसी लीक से हटकर फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, पर जहाँ तक बुलट राजा का सवाल है, ऐसा लग रहा है कि ये बॉलीवुड व्यावसायिक फिल्मों की तरफ मसालों से भरी पूरी होने वाली है. संदीप नाथ, कौसर मुनीर, शब्बीर एहमद और रफ़्तार के हैं शब्द और प्रमुख संगीतकार हैं साजिद वाज

सूफी संगीत की समृद्ध परंपरा

सू फी संगीत पर हमारी श्रृंखला की चौथी और अंतिम कड़ी लेकर आज हम हाज़िर हैं. आशा है संज्ञा टंडन द्वारा प्रस्तुत इस श्रृंखला का आपने भरपूर आनंद लिया होगा. अगर कोई कड़ी आपसे छूट गयी हों तो आप निम्न लिंक्स पर जाकर सुन सकते हैं. सूफी संगीत ०१   सूफी संगीत ०२ सूफी संगीत ०३  और अब सुनें ये अंतिम कड़ी. हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा.  

बकरी दो गाँव खा गई ~ हरिकृष्ण देवसरे

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अभिषेक ओझा की दार्शनिक कहानी " संयोग " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं डॉ. हरिकृष्ण देवसरे की कहानी " बकरी दो गाँव खा गई ", अर्चना चावजी की आवाज़ में। कहानी "बकरी दो गाँव खा गई" का कुल प्रसारण समय 5 मिनट 52 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। प्रसिद्ध लेखक हरिकृष्ण देवसरे विज्ञान प्रसार से जुड़े हैं हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "एक आदमी आगरा की सड़कों पर रोता चिल्लाता घूम रहा था।" ( हरिकृष्ण देवसरे की "बकरी दो गाँव खा गई" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रि

‘मैं तो कब से तेरी शरण में हूँ...’ : राग अहीर भैरव में भक्तिरस

    स्वरगोष्ठी – 141 में आज रागों में भक्तिरस – 9 पण्डित भीमसेन जोशी के स्वर में सन्त नामदेव का पद ‘ रेडियो प्लेबैक इण्डिया ’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘ स्वरगोष्ठी ’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘ रागों में भक्तिरस ’ की नौवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र , एक बार पुनः आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आप के लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस राग पर आधारित फिल्म संगीत के उदाहरण भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में हम आपसे प्रातःकालीन राग अहीर भैरव की चर्चा करेंगे। आपके समक्ष इस राग के भक्तिरस-पक्ष को स्पष्ट करने के लिए हम दो भक्तिरस से अभिप्रेरित रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे। पहले आप सुनेंगे राग अहीर भैरव के स्वरों में पिरोया सन्त नामदेव का एक भक्तिपद , भारतरत्न पण्डित भीमसेन जोशी के स्वरों में। इसके उपरान्त हम प्रस्तुत करेंगे , 1982 में प्रदर्शित फिल्म ‘ राम नगरी ’ का समर्पण भाव से परिपूर्ण एक भक्तिगीत।   पं. भीमसेन जोशी  इ स श्रृंखला

मन्ना दा को समर्पित है आज की 'सिने पहेली'...

सिने पहेली – 85     "होगा मसीहा सामने तेरे, फिर भी न तू बच पायेगा, तेरा अपना ख़ून ही आख़िर तुझको आग लगायेगा, आसमान में उड़ने वाले मिट्टी में मिल जायेंगे....", कल टेलीविज़न पर मन्ना दा के अन्तिम सफ़र को देखते समय उन्ही के गाये फ़िल्म 'उपकार' के इस गीत के इन बोलों में इस नश्वर संसार के कटु सत्य को एक बार फिर से महसूस कर जैसे मन काँप सा उठा। मन्ना दा चले गये.... हमेशा के लिए.... बहुत बहुत दूर। और हमसे कह गये "जीवन कहीं भी ठहरता नहीं है, आँधी से तूफ़ाँ से डरता नहीं है, तू न चलेगा तो चल देंगी राहें, मइल को तरसेंगी तेरी निगाहें, तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा..."। मन्ना दा भी निरन्तर अपने जीवन पथ पर चलते रहे, बिना रुके, और करते रहे साधना, सुरों की।  संगीत की वादियों में गूंजती अनगिनत आवाज़ों में इस सुर-साधक की आवाज़ सबसे अलग है। इनके स्वर कभी नभ से विराटता रचते हैं, और कभी सागर की गहराई का अहसास कराते हैं। वो चाहे रुमानीयत हो, वीर रस के ओजपूर्ण गीत हो, हास्य की गुदगुदाहट हो, या फिर अपने आराध्य को अर्पित भक्ति की स्वरांजलि, इस

एक आवाज़ जिसने गज़ल को दिए नए मायने

म खमली आवाज़ की रूहानी महक और ग़ज़ल के बादशाह जगजीत सिंह को हमसे विदा हुए लगभग २ साल बीत चुके हैं, बीती १० तारिख को उनकी दूसरी बरसी के दिन, उनकी पत्नी चित्रा सिंह ने उनके करोड़ों मुरीदों को एक अनूठी संगीत सी डी का लाजवाब तोहफा दिया. "द वोईस बियोंड' के नाम से जारी इस नायब एल्बम में जगजीत के ७ अप्रकाशित ग़ज़लें सम्मिलित हैं, जी हाँ आपने सही पढ़ा -अप्रकाशित. शायद ये जगजीत की गाई ओरिजिनल ग़ज़लों का अंतिम संस्करण होगा, पर उनकी मृत्यु के पश्चात ऐसी कोई एल्बम नसीब होगी ऐसी उम्मीद भी आखिर किसे थी ?  खुद चित्रा सिंह ने जो खुद भी एक बेमिसाल गज़ल गायिका रहीं हैं, ने इस एल्बम को श्रोताओं के लिए जारी किया यूनिवर्सल मुय्सिक के साथ मिलकर. जगजीत खुद में गज़ल की एक परंपरा हैं और उनकी जगह खुद उनके अलावा और कोई नहीं भर सकता. जगजीत की इस एल्बम में आप क्या क्या सुन सकते हैं आईये देखें.  निदा फाजली के पारंपरिक अंदाज़ में लिखा गया एक भजन है. धडकन धडकन धड़क रहा है बस एक तेरो नाम ...  जगजीत के स्वरों में इसे सुनते हुए आप खुद को ईश्वर के बेहद करीब पायेंगें. नन्हों की भोली बातों में उजली उजल