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कब तक न हँसेगी गुडिया...

रूठ जाए कभी जो नन्हीं गुडिया तो उसे मनाने से बड़ा कोई काम नहीं. वो हंसी जो नित होंठो पर खिली मिलती है कुछ पल को कभी पलकों के तले तो कभी आँखों के किनारे छुप सी जाती है, पर यकीन मानिये वो लौट भी आती है झट से अगर उसे इस तरह बुलाओगे तो....सुनिए लता के स्वरों में एल पी का रचा, मजरूह का लिखा ये नटखट सा गीत, प्रस्तुतकर्ता हैं अर्शिना सिंह   

मुंशी प्रेमचंद की मोटर की छींटें

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में रयुनासुके अकुतागावाकी जापानी कहानी " संतरे " का हिंदी अनुवाद सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित व्यंग्यात्मक कहानी मोटर की छींटें जिसे स्वर दिया है माधवी चारुदत्ता ने। प्रस्तुत व्यंग्य का गद्य " भारत डिस्कवरी " पर उपलब्ध है। " मोटर की छींटें " का कुल प्रसारण समय 11 मिनट 17 सेकंड है। सुनिए और बताइये कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ ... मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं  ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "जजमान का दिल देखकर ही मैं उनका नि

स्वरगोष्ठी – 137 में आज : ‘मन रे हरि के गुण गा...’

  स्वरगोष्ठी – 137 में आज रागों में भक्तिरस – 5 ध्रुवपद अंग में राग भैरव का रंग ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सब संगीत-रसिकों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस राग पर आधारित फिल्म संगीत के उदाहरण भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला के आज के अंक में हम आपसे राग भैरव पर चर्चा करेंगे जो भक्तिरस की सृष्टि करने में सबसे उपयुक्त राग है। भारतीय संगीत के इस प्राचीनतम राग में आज हम आपको एक ध्रुवपद रचना सुनवाएँगे। साथ ही इस राग पर आधारित, 1957 में प्रदर्शित फिल्म ‘मुसाफिर’ से एक मधुर भक्तिगीत प्रस्तुत करेंगे।   इ स श्रृंखला के पिछले अंकों में हम यह चर्चा कर चुके हैं कि वर्तमान भारतीय संगीत की परम्परा वैदिक काल से जुड़ी है। उस काल के उपलब्ध प्रमाणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि तत्कालीन संगीत का स्वरूप धर्म और आध्यात्म से प्रभावित था। वैदि