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आशा भोसले की 81वीं जयन्ती पर विशेष

स्वरगोष्ठी – 136 में आज रागों में भक्तिरस – 4 राग दरबारी और भक्तिगीत : 'तोरा मन दर्पण कहलाए...'   ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सब संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान रागों और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। श्रृंखला के आज के अंक में हम आपसे एक ऐसे राग पर चर्चा करेंगे जो भक्तिरस के साथ-साथ श्रृंगाररस का सृजन करने में भी समर्थ है। आज हम आपसे राग दरबारी कान्हड़ा के भक्ति-पक्ष पर चर्चा करेंगे और इसके साथ ही सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका आशा भोसले की आवाज़ में, राग दरबारी पर आधारित, फिल्म ‘काजल’ से एक बेहद लोकप्रिय भक्तिगीत प्रस्तुत करेंगे। यह भी संयोग है कि आज ही आशा भोसले का 81वाँ जन्मदिवस है। इसके अलावा आज की कड़ी में आप विश्वविख्यात संगीतज्ञ पण्डित जसराज से राग दरबारी कान्हड़ा में निबद्ध एक भक्तिगीत सुनेंगे।  सं गीत के क्षेत

सिने पहेली – 79 - आशा भोसले पर आधारित

सिने पहेली – 79     साथियों 8  सितम्बर यानि कल गायिका आशा भोसले का जन्मदिवस है. सिने पहेली के 79   वें अंक में आज हम आपको उन्हीं के गाये कुछ युगल  गीतों  पर आधारित पहेली लेकर आये हैं। प्रथम तीन गीतांशों को सुन कर आपको उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने हैं। पिछले अंक में वापस विवाद खड़ा हुआ. कुछ लोगों का मानना है कि आयोजक किसी व्यक्ति विशेष को विजेता बनवाना चाहते हैं। अगर ऐसा होता तो शायद अभी तक कोई एक प्रतियोगी ही सारे सेगमेंट में बढत बनाये रहता। यहाँ किसी का कोई व्यकितगत हित नहीं है। हम लोग भी आप जैसे ही हैं और आप लोगों की तरह ही ये साईट भी हमारा शौक और जूनून है। आपकी आलोचनाओं से हमें कोइ शिकायत नहीं है बल्कि ये हमारे लिये कुछ बेहतर करने की प्रेरणा है। इस सेगमेंट में मिनेसोटा से दिनेश कृष्णजोएस जी जुड़े हैं। स्वागत है आपका। आ ज की पहेली के लिए आप सबको शुभकामनाएँ। इस बार के प्रतियोगियों के अंक आप सवालों के बाद देख सकते हैं। इस अंक से प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना चाहेंगे कि अभी भी कुछ दे

सब कुछ पुराना ही है नई जंजीर में

क भी कभी समझना मुश्किल हो जाता है कि एक ऐसी फिल्म जिसे अपने मूल रूप में आज भी बड़े आनंद से देखा जा सकता है, उसका रिमेक क्यों बनाया जाता है. खैर रेमेकों की फेहरिश्त में एक नया जुड़ाव है जंजीर , वो फिल्म जिसने इंडस्ट्री को एंग्री यंग मैन के रूप अमिताभ बच्चन का तोहफा दिया था ७० के दशक में. जहाँ तक फिल्म के प्रोमोस् दिखे हैं नई जंजीर अपने पुराने संस्करण से हर मामले में अलग दिख रही है. ऐसे में इसके संगीत को भी अलग नज़रिए से सुना समझा जाना चाहिए. अल्बम में चार सगीत्कारों का योगदान है. चित्रान्तन भट्ट, आनंद राज आनंद, मीत ब्रोस अनजान और अंकित के सुरों से संवरी इस ताज़ा एल्बम में क्या कुछ है आईये एक नज़र दौडाएं. मिका  की जोशीली आवाज़ में खुलता है एल्बम का पहला गीत मुम्बई के हीरो . बीच के कुछ संवाद तो बच्चन साहब की आवाज़ में है...भाई अगर उन्हीं की आवाज़ चाहिए थी तो फिर रिमेक की क्या ज़रूरत थी ये मेरी समझ से तो बाहर है. एक बोरिंग गीत के बाद एक और जबरदस्ती का आईटम गीत सामने आ जाता है. ममता शर्मा की आवाज़ में पिंकी  अब तक सुनाई दिए आईटम गीतों से न तो कुछ अलग है न बेहतर. शब्द घिसे पिटे और धुन भी रूटीन

बर्मन दा की जादुई धुन का नशा

जब से मि‍ली तोसे अंखि‍यां- 1955 की फि‍ल्‍म अमानत का गीत....... वि‍मल रॉय, शैलेन्‍द्र और सलील चौधरी की ति‍कड़ी का जादू...... बंगाल की लोकधुन पर आधारि‍त रचना...जि‍सको सुनकर आप एक बार भूपेन हजारि‍का को जरूर याद करेंगे... स्‍वर - हेमंत कुमार, गीता दत्‍त..... परि‍कल्‍पना - सजीव सारथी आलेख - सुजॉय चटर्जी स्‍वर - रचि‍ता टंडन

हरफनमौला कलाकार हैं हमारे पियूष मिश्रा

वो थियटर के एक बड़ी शख्सियत हैं, फिल्मों में उनके लिए ख़ास किरदार लिखे जाते हैं, कभी वो खुद भी कहानियों को परदे पर साकार करने वाले सेतु बन जाते हैं, तो कभी गायक, गीतकार और संगीतकार की भूमिका अख्तियार कर लेते हैं, आईये हमारे पोडकास्टर सुनील के साथ पड़ताल करें हरफनमौला कलाकार पियूष मिश्रा के रचनात्मक सफ़र की.  

रयुनासुके अकुतागावा की संतरे

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में सुमन पाटिल द्वारा लिखित व्यंग्य " चमचासन " सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं रयुनासुके अकुतागावा द्वारा लिखित हृदयस्पर्शी कहानी संतरे जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। प्रस्तुत व्यंग्य का गद्य " नवभारत टाइम्स " पर उपलब्ध है। " संतरे " का कुल प्रसारण समय 9 मिनट 46 सेकंड है। सुनिए और बताइये कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। जापानी कथा (short story) के जनक माने जाने वाले प्रसिद्ध जापानी लेखक रयुनासुके अकुतागावा का जन्म 1 मार्च 1892 को हुआ था। 24 जुलाई 1927 को दुखद परिस्थितियों में उनका देहांत हुआ। जापानी साहित्य का प्रसिद्ध अकुतागावा पुरस्कार उन्हीं के सम

राग भैरवी में एक और प्रार्थना गीत

    स्वरगोष्ठी – 135 में आज रागों में भक्तिरस – 3 ‘तुम ही हो माता पिता तुम ही हो...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सब संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान रागों और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। श्रृंखला के पहले अंक में हमने आपसे राग भैरवी में भक्तिरस पर चर्चा की थी। आज पुनः हम आपसे राग भैरवी के भक्ति-पक्ष पर चर्चा करेंगे। दरअसल भारतीय संगीत का राग भैरवी भक्तिरस की निष्पत्ति के लिए सर्वाधिक उपयुक्त राग है। आज हम आपको सातवें दशक की चर्चित फिल्म ‘मैं चुप रहूँगी’ से राग भैरवी के स्वरों पर आधारित एक लोकप्रिय प्रार्थना गीत सुनवाएँगे। इसके साथ ही हम आपको विश्वविख्यात संगीत-विदुषी एन. राजम् की वायलिन पर राग भैरवी में अवतरित पूरब अंग का आकर्षक दादरा भी सुनवाएँगे।  श्रृं खला के पिछले अंक में हम यह चर्चा कर चुके हैं कि वैदिक काल ईसा से लगभग 2000 से 1000 पूर्व का माना जात