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हरफनमौला कलाकार हैं हमारे पियूष मिश्रा

वो थियटर के एक बड़ी शख्सियत हैं, फिल्मों में उनके लिए ख़ास किरदार लिखे जाते हैं, कभी वो खुद भी कहानियों को परदे पर साकार करने वाले सेतु बन जाते हैं, तो कभी गायक, गीतकार और संगीतकार की भूमिका अख्तियार कर लेते हैं, आईये हमारे पोडकास्टर सुनील के साथ पड़ताल करें हरफनमौला कलाकार पियूष मिश्रा के रचनात्मक सफ़र की.  

रयुनासुके अकुतागावा की संतरे

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में सुमन पाटिल द्वारा लिखित व्यंग्य " चमचासन " सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं रयुनासुके अकुतागावा द्वारा लिखित हृदयस्पर्शी कहानी संतरे जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। प्रस्तुत व्यंग्य का गद्य " नवभारत टाइम्स " पर उपलब्ध है। " संतरे " का कुल प्रसारण समय 9 मिनट 46 सेकंड है। सुनिए और बताइये कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। जापानी कथा (short story) के जनक माने जाने वाले प्रसिद्ध जापानी लेखक रयुनासुके अकुतागावा का जन्म 1 मार्च 1892 को हुआ था। 24 जुलाई 1927 को दुखद परिस्थितियों में उनका देहांत हुआ। जापानी साहित्य का प्रसिद्ध अकुतागावा पुरस्कार उन्हीं के सम

राग भैरवी में एक और प्रार्थना गीत

    स्वरगोष्ठी – 135 में आज रागों में भक्तिरस – 3 ‘तुम ही हो माता पिता तुम ही हो...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सब संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान रागों और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। श्रृंखला के पहले अंक में हमने आपसे राग भैरवी में भक्तिरस पर चर्चा की थी। आज पुनः हम आपसे राग भैरवी के भक्ति-पक्ष पर चर्चा करेंगे। दरअसल भारतीय संगीत का राग भैरवी भक्तिरस की निष्पत्ति के लिए सर्वाधिक उपयुक्त राग है। आज हम आपको सातवें दशक की चर्चित फिल्म ‘मैं चुप रहूँगी’ से राग भैरवी के स्वरों पर आधारित एक लोकप्रिय प्रार्थना गीत सुनवाएँगे। इसके साथ ही हम आपको विश्वविख्यात संगीत-विदुषी एन. राजम् की वायलिन पर राग भैरवी में अवतरित पूरब अंग का आकर्षक दादरा भी सुनवाएँगे।  श्रृं खला के पिछले अंक में हम यह चर्चा कर चुके हैं कि वैदिक काल ईसा से लगभग 2000 से 1000 पूर्व का माना जात