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सिने पहेली - 65 - हिन्दी चलचित्र -प्रेरणा विदेशी

सिने-पहेली - 6 5 में आज ' रेडियो प्लेबैक इण्डिया ' के सभी पाठकों और श्रोताओं का सिने पहेली के 65 वें अंक में       स्वागत है. साथियों लगता है कि पिछली बार की पहेली कुछ कठिन हो गयी थी और तय समयावधि में कोई भी खिलाड़ी पाँचों उत्तर नहीं दे पाया. फिर भी आप सबको धन्यवाद कि कठिनाई के बावजूद अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी. पहेली के उत्तर और परिणाम नीचे दिए गए हैं और आज शुरू करते हैं एक और नयी ताज़ा पहेली. इस बार उम्मीद है कि यह आप लोगों को पूर्ण अंक अर्जित करने का मौका देगी. सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं. आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना चाहेंगे कि अभी भी कुछ देर नहीं हुई है , आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ कर भी आप महाविजेता बन सकते हैं , यही इस प्रतियोगिता की ख़ासियत है। इस प्रतियोगिता के नियमों का नीचे किया गया है , ध्यान दीजियेगा। आज की पहेली: हिन्दी चलचित्र -प्रेरणा विदेशी दोस्तों,यूं तो हिन्दी फिल्म उद्योग अपने आप में परिपूर्ण है फिर भी आरोप लगाये जाते  हैं कि  कुछ फिल्मों की कहानी किसी व

रफ़ी साहब का सुरीला सफर - भाग २

इन दिनों हम आप को सुनवा रहे हैं एफ एम् गोल्ड से प्रसारित गा मेरे मन गा  कार्यक्रम की झलकियाँ, जिसमें मशहूर रेडियो प्रेसेंटर और नाटक लेखक दानिश इकबाल साक्षात्कार में हैं लेखक और पत्रकार विनोद विप्लव के साथ. विनोद जी ने रफ़ी साहब की जीवनी को अपनी पुस्तक ' मेरी आवाज़ सुनो ' के माध्यम से पहली बार हिंदी के पाठकों तक पहुँचाया था. इस लंबे साक्षात्कार में रफ़ी साहब के जीवन और उनके गीतों पर लंबी चर्चा हुई है, पेश है इस कार्यक्रम की दूसरी कड़ी -  पहली कड़ी को यहाँ सुने

‘कारवाँ सिने संगीत का’

भारतीय सिनेमा के सौ साल – 45 कारवाँ सिने-संगीत का फिल्मों में पार्श्वगायन की शुरुआत : ‘मैं ख़ुश होना चाहूँ, हो न सकूँ...’   भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘कारवाँ सिने संगीत का’ में आप सभी सिनेमा-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का दूसरा गुरुवार है और इस दिन हम ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ स्तम्भ के अन्तर्गत ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के संचालक मण्डल के सदस्य सुजॉय चटर्जी की प्रकाशित पुस्तक ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ से किसी रोचक प्रसंग का उल्लेख करते हैं। आज के अंक में सुजॉय जी 1935 की फिल्मों में संगीत की स्थिति पर चर्चा आरम्भ कर रहे हैं।  के. सी. डे 1935 वर्ष को हिंदी सिने-संगीत के इतिहास का एक स्मरणीय वर्ष माना जाएगा। संगीतकार रायचंद बोराल ने, अपने सहायक और संगीतकार पंकज मल्लिक के साथ मिलकर ‘न्यू थिएटर्स’ में प्लेबैक पद्धति, अर्थात पार्श्वगायन की शुरुआत की। पर्दे के बाहर रेकॉर्ड कर बाद में पर्दे पर फ़िल्माया गया पहला गीत था फ़िल्म ‘धूप छाँव’ का, और वह गीत था के. सी. डे का गाया “तेरी ग

जम्बक की डिबिया - सुभद्रा कुमारी चौहान

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में पी. सी. रामपुरिया की व्यंग्यात्मक कहानी " ताऊ " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं हिन्दी की प्रसिद्ध साहित्यकार सुभद्रा कुमारी चौहान की मार्मिक कहानी जम्बक की डिबिया जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "जम्बक की डिबिया" का गद्य गद्यकोश पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 7 मिनट 10 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। सुभद्रा कुमारी चौहान एक कवियत्री होने के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम की सेनानी भी थीं। सुभद्रा कुमारी चौहान (१६ अगस्त १९०४ - १५ फरवरी १९४८) हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी “बिना देखे कैसे किसी को

औरंगजेब - सपनों के लिए चुकाई अपनों की कीमत

प्लेबैक वाणी - 4 6 - संगीत समीक्षा - औरंगजेब इश्क्जादे फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अर्जुन कपूर की दूसरी बहुप्रतीक्षित फिल्म औरंगजेब इस सप्ताह प्रदर्शित हुई है. इस फिल्म में ऋषि कपूर, जैकी श्रोफ और पृथ्वीराज प्रमुख भूमिकाओं में हैं. आज देखते हैं कि इस फिल्म का संगीत कैसा है. इस फिल्म के गानों को संगीतबद्ध करा है विपिन मिश्रा और अमर्त्य रोहत ने. गानों के बोल लिखे हैं विपिन मिश्रा, पुनीत शर्मा और मनोज कुमार नाथ ने. इस एल्बम का पहला गाना है बरबादियाँ. यह गाना काफी सुना जा रहा है आजकल. इसे गाया है मशहूर पाकिस्तानी गायिका सलमा आगा की बेटी साशा आगा ने जो खुद भी इस फिल्म से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत कर रही हैं. साशा का साथ दिया है राम संपथ ने. यह गाना पार्टियों में खूब बजने वाला है. जिगरा फकीरा इस एल्बम का दूसरा गाना है. इसे आवाज़ दी है कीर्थी सगाथिया ने. इस गाने में गिटार का इस्तेमाल अच्छे से किया गया है. पंजाबी शब्दों का भरपूर इस्तेमाल करा गया है. यह गाना थोड़ा धीमा जरूर है पर कीर्थी ने इसके साथ पूरा न्याय करा है. बरबादी के मोहन की आवाज़ में है. गाना काफी धीमा है पर

‘मधुकर श्याम हमारे चोर...’ : भैरवी आधारित एक कालजयी गीत

स्वरगोष्ठी – 121 में आज एक कालजयी गीत जिसने संगीतकार को अमर कर दिया सहगल ने गाया ‘भक्त सूरदास’ का गीत- ‘मधुकर श्याम हमारे चोर...’   सं गीत-प्रेमियों की साप्ताहिक महफिल ‘स्वरगोष्ठी’ में एक नई लघु श्रृंखला के पहले अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र उपस्थित हूँ। इस नई लघु श्रृंखला का शीर्षक है- ‘एक कालजयी गीत जिसने संगीतकार को अमर कर दिया’ । इस श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी में हम एक ऐसा राग आधारित, गीत प्रस्तुत करेंगे जिसके संगीतकार को आज प्रायः भुला दिया गया है। ये सदाबहार गीत आज भी रेडियो पर प्रसारित होते रहते हैं। परन्तु वर्तमान पीढ़ी इन गीतों के सर्जक के बारे में प्रायः अनभिज्ञ है। इस श्रृंखला में हम आपका परिचय कुछ ऐसे ही गीतों और इनके संगीतकारों से कराएँगे। श्रृंखला की पहली कड़ी में आज हम आपको 1942 में प्रदर्शित फिल्म ‘भक्त सूरदास’ से राग भैरवी पर आधारित एक लोकप्रिय गीत सुनवाएँगे और इस गीत के संगीतकार ज्ञानदत्त का संक्षिप्त परिचय भी प्रस्तुत करेंगे।  ज्ञानदत्त चौ थे दशक के उत्तरार्द्ध से पाँचवें दशक के पूर्वार्द्ध में अत्यन्त सक्रिय रहे स