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रफ़ी साहब का सुरीला सफर - भाग २

इन दिनों हम आप को सुनवा रहे हैं एफ एम् गोल्ड से प्रसारित गा मेरे मन गा  कार्यक्रम की झलकियाँ, जिसमें मशहूर रेडियो प्रेसेंटर और नाटक लेखक दानिश इकबाल साक्षात्कार में हैं लेखक और पत्रकार विनोद विप्लव के साथ. विनोद जी ने रफ़ी साहब की जीवनी को अपनी पुस्तक ' मेरी आवाज़ सुनो ' के माध्यम से पहली बार हिंदी के पाठकों तक पहुँचाया था. इस लंबे साक्षात्कार में रफ़ी साहब के जीवन और उनके गीतों पर लंबी चर्चा हुई है, पेश है इस कार्यक्रम की दूसरी कड़ी -  पहली कड़ी को यहाँ सुने

‘कारवाँ सिने संगीत का’

भारतीय सिनेमा के सौ साल – 45 कारवाँ सिने-संगीत का फिल्मों में पार्श्वगायन की शुरुआत : ‘मैं ख़ुश होना चाहूँ, हो न सकूँ...’   भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘कारवाँ सिने संगीत का’ में आप सभी सिनेमा-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का दूसरा गुरुवार है और इस दिन हम ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ स्तम्भ के अन्तर्गत ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के संचालक मण्डल के सदस्य सुजॉय चटर्जी की प्रकाशित पुस्तक ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ से किसी रोचक प्रसंग का उल्लेख करते हैं। आज के अंक में सुजॉय जी 1935 की फिल्मों में संगीत की स्थिति पर चर्चा आरम्भ कर रहे हैं।  के. सी. डे 1935 वर्ष को हिंदी सिने-संगीत के इतिहास का एक स्मरणीय वर्ष माना जाएगा। संगीतकार रायचंद बोराल ने, अपने सहायक और संगीतकार पंकज मल्लिक के साथ मिलकर ‘न्यू थिएटर्स’ में प्लेबैक पद्धति, अर्थात पार्श्वगायन की शुरुआत की। पर्दे के बाहर रेकॉर्ड कर बाद में पर्दे पर फ़िल्माया गया पहला गीत था फ़िल्म ‘धूप छाँव’ का, और वह गीत था के. सी. डे का गाया “तेरी ग

जम्बक की डिबिया - सुभद्रा कुमारी चौहान

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में पी. सी. रामपुरिया की व्यंग्यात्मक कहानी " ताऊ " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं हिन्दी की प्रसिद्ध साहित्यकार सुभद्रा कुमारी चौहान की मार्मिक कहानी जम्बक की डिबिया जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "जम्बक की डिबिया" का गद्य गद्यकोश पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 7 मिनट 10 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। सुभद्रा कुमारी चौहान एक कवियत्री होने के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम की सेनानी भी थीं। सुभद्रा कुमारी चौहान (१६ अगस्त १९०४ - १५ फरवरी १९४८) हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी “बिना देखे कैसे किसी को