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बोलती कहानियाँ: पंडित सुदर्शन की लघुकथा परिवर्तन

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको प्रसिद्ध कहानियाँ सुनवाते रहे हैं। पिछले सप्ताह आपने हरिशंकर परसाई की कहानी " ठिठुरता हुआ गणतंत्र " का पॉडकास्ट अर्चना चावजी की आवाज़ में सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं पंडित सुदर्शन की लघुकथा " परिवर्तन ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। लघु कहानी "परिवर्तन" का गद्य (टेक्स्ट) हिन्दी समय पर पढ़ा जा सकता है। कहानी का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 29 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। हिन्दी साहित्य में "हार की जीत" जैसी प्रसिद्धि बहुत कम कहानियों को मिली है। जब मैंने जम्मू में पांचवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में पहली बार "हार का जीत" पढी थी, तब से ही इसके लेखक के बारे में जानने की उत्सुकता थी। द

सुधीर मिश्रा निर्देशित इनकार के अच्छे संगीत का इकरार

प्लेबैक वाणी -30 -संगीत समीक्षा - इनकार   सुधीर मिश्रा गंभीर फिल्म निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं, उनकी ताज़ा पेशकश भी एक अलग विषय पर केंद्रित है. जहाँ तक संगीत का ताल्लुक है स्वानंद किरकिरे और शांतनु मोइत्रा उनके साथ बहुत सी फिल्मों में संगत बिठा चुके हैं. स्वानंद २०१२ के हमारे सर्वश्रेष्ठ गीतकार रहे हैं एक गैर फ़िल्मी एल्बम  ‘ सत्यमेव जयते ’  के गीत  ‘ ओ री चिरैया ’  गीत के लिए. जहाँ तक फ़िल्मी गीतों का सवाल है वहाँ भी स्वानंद  ‘ बर्फी ’  के शीर्षक गीत को लिखकर श्रोताओं का दिल जीतने में कामियाब रहे थे. आईये देखें वर्ष २०१३ में अपने पसंदीदा संगीतकार शांतनु के साथ उनकी नई कोशिश क्या रंग लेकर आई है. पहले गीत  ‘ दरमियाँ ’  को हम किसी खास श्रेणी में नहीं रख सकते, बल्कि ये जोनर है  ‘ स्वानंद ’  जेनर, जिसमें आप  ‘ बावरा मन ’  और  ‘ खोये खोये चाँद की तलाश में ’  जैसे गीत सुने चुके हैं. गीतकारी का ये अंदाज़ नीरज सरीखा है, शब्द एक बार फिर बेहद दिलचस्प हैं जो पूरे गीत में श्रोताओं को बांधे रखते हैं. पूरी तरह से स्वानंद का ये गीत एल्बम को एक शानदार शुरुआत देता है.

दिन के तीसरे प्रहर के कुछ मोहक राग

  स्वरगोष्ठी- 105 में आज राग और प्रहर – 3 कृष्ण की बाँसुरी और राग वृन्दावनी सारंग   ‘स्वरगोष्ठी’ के 105वें अंक में , मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इन दिनों आपके इस प्रिय स्तम्भ में लघु श्रृंखला ‘राग और प्रहर’ जारी है। गत सप्ताह हमने आपसे दिन के दूसरे प्रहर के कुछ रागों के बारे में चर्चा की थी। आज दिन के तीसरे प्रहर गाये-बजाये जाने वाले रागों पर चर्चा की बारी है। दिन का तीसरा प्रहर, अर्थात मध्याह्न से लेकर अपराह्न लगभग तीन बजे तक की अवधि के बीच का माना जाता है। इस अवधि में सूर्य की सर्वाधिक ऊर्जा हमे मिलती है और इसी अवधि में मानव का तन-मन अतिरिक्त ऊर्जा संचय भी करता है। आज के अंक में हम आपके लिए तीसरे प्रहर के रागों में से वृन्दावनी सारंग, शुद्ध सारंग, मधुवन्ती और भीमपलासी रागों की कुछ रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे। सा रंग अंग के रागों में वृन्दावनी सारंग और शुद्ध सारंग राग तीसरे प्रहर के प्रमुख राग माने जाते हैं। यह मान्यता है कि श्रीकृष्ण अपनी प्रिय बाँसुरी पर वृन्दावनी सारंग और मेघ राग की अवतारणा कि