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रेडियो प्लेबैक टॉप २० हिट परेड

रे डियो प्लेबैक इंडिया के इस वार्षिक आयोजन में आप सबका स्वागत है. इस बार वर्ष के टॉप २० गीत चुनने में अहम भूमिका निभाई हमारे श्रोताओं ने भी. हमने आपके सामने रखे थे हमारी टीम द्वारा चुने गए ५० गीत  . और आप सबकी वोटिंग के आधार पर हमें मिले उन ५० श्रेष्ठ गीतों में से छन कर आये २० सर्वश्रेष्ठ गीत. वो गीत जो हैं आप यानी हमारे श्रोताओं की राय में वर्ष के सबसे यादगार गीत. याद रहे हमने ५० गीत जो चुने थे वो लोकप्रियता के आधार पर नहीं, वरन वो थे जो हमारी आतंरिक समीक्षा के मापदंडों पर खरे उतरे थे. तो लीजिए आनंद लीजिए साल २०१२ के २० सर्वश्रेष्ठ गीतों का जिन्हें चुना है रेडियो प्लेबैक की टीम और उसके श्रोताओं ने.

संगीतकार नौशाद के 94वें जन्मदिवस पर एक विशेष श्रृंखला

स्वरगोष्ठी-101 में आज   फिल्म संगीत के गुलदस्ते को रागों की खुशबू दी अप्रतिम साधक नौशाद अली ने    ‘स्वरगोष्ठी’ का यह 101वाँ अंक है और इस विशेष अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, दो दिन बाद ही अर्थात 25 दिसम्बर को भारतीय सिनेमा के एक महान संगीतकार नौशाद अली का 94वाँ जन्मदिवस हम मनाने जा रहे हैं। इस उपलक्ष्य में हम ‘स्वरगोष्ठी’ की दो कड़ियों के माध्यम से सिनेमा संगीत का एक मानक स्थापित करने वाले संगीतकार नौशाद के व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण कर रहे हैं। आज के अंक के लिए हमने 1946 से लेकर 1955 तक, अर्थात एक दशक की अवधि के कुछ राग आधारित गीतों को चुना है जिनमें नौशाद की सांगीतिक प्रतिभा के स्पष्ट दर्शन होते हैं। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद का जन्म हुआ था। नौशाद जब कुछ बड़े हुए तो उनके पिता घसियारी मण्डी स्थित अपने नए घर में आ गए। यहीं निकट ही मुख्य मार्ग लाटूश रोड (वर्तमान गौतम बुद्ध मार्ग) पर संगीत के वाद्ययंत्र बनाने और ब

'सिने पहेली' में आज क्रिस्मस स्पेशल

22 दिसम्बर, 2012 सिने-पहेली - 51  में आज   पहचानिये सैण्टा क्लॉस के पीछे छुपे चेहरों को 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, पिछली कड़ी में हमने आपसे जो सवाल पूछा था, उसके जो जवाब आप सब ने भेजे हैं, उसे देख कर हम सचमुच चकित रह गए हैं। हमने तो यही सोचा था कि आप ज़्यादा से ज़्यादा 40-50 गीत चुन कर भेजेंगे, पर आप में से कई प्रतियोगियों ने तो इससे कई गुणा अधिक गीत लिख कर भेजे हैं। पर दोस्तों, कई बार क्या होता है कि क्वान्टिटी के अधिक होने से क्वालिटी पर असर पड़ता है, आप सब के साथ भी वही हुआ। बिना जाँच-पड़ताल किए सीधे इंटरनेट से उपलब्ध जानकारी के अनुसार गीतों की सूची भेजने की वजह से कई गीत आप ने ग़लत भी भेज दिए हैं। तीन गायकों वाले कुछ गीतों में चौथा नाम डाल कर भी कुछ गीत आये हैं (उदाहरण - फ़िल्म 'राम लखन' के गीत "माइ नेम इज़ लखन" को मोहम्मद अज़ीज़, अनुराधा पौडवाल और नितिन मुकेश ने गाया है, जबकि कुछ प्रतियोगियों ने अनुराधा श्रीराम का नाम भी शामिल कर दिया है, जो ग़लत है)। इसी तरह से पाँच गायको