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नवोदित संगीत प्रतिभाओ के ताज़गी भरे स्वर

स्वरगोष्ठी - विशेष अंक में आज   उत्तर प्रदेश की बाल, किशोर और युवा संगीत प्रतिभाएँ- देवांशु, पूजा, अपूर्वा और भैरवी ‘उत्तर प्रदेश के सुरीले स्वर’  देवांशु घोष को पुरस्कृत करते हुए  महामहिम राज्यपाल अन्य कला-विधाओं की भाँति पारम्परिक संगीत का विस्तार भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक होता रहा है। संगीत की नवोदित प्रतिभाओं को खोजने, प्रोत्साहित करने और उनकी प्रतिभा को सही दिशा देने में कुछ संस्थाएँ संलग्न हैं। इनमें एक नाम जुड़ता है, लखनऊ की संस्था ‘संगीत मिलन’ का। संगीत की शिक्षा, शोध और प्रचार-प्रसार में यह संस्था विगत ढाई दशक से संलग्न है। पिछले दिनों संस्था ने पूरे उत्तर प्रदेश में बाल, किशोर और युवा वर्ग की संगीत प्रतिभाओं को खोजने का अभियान चलाया, जिसका समापन गत रविवार को प्रदेश के महामहिम राज्यपाल बी.एल. जोशी के हाथों विजेता बच्चों को पुरस्कृत करा कर हुआ। ‘स्वरगोष्ठी’ के आज के विशेष अंक में हम इस प्रतिभा-खोज प्रतियोगिता में चुनी गईं संगीत प्रतिभाओं की गायकी से आपका परिचय कराएँगे। उ न्नीसवीं शताब्दी के उत्तर प्रदेश में संगीत-शिक्षा के अनेक केन्द

दीपावली की तैयारियों के साथ-साथ सुलझाइये हमारी सिने पहेली भी...

(10 नवम्बर, 2012) सिने-पहेली # 45 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, आज दीपावली का त्योहार अब द्वार पर है। साल के इस समय सभी लोग बेहद व्यस्त हो जाते हैं। घर पर तो व्यस्त होते ही हैं, अपने-अपने कर्मक्षेत्र में भी दीपावली की तैयारियों की वजह से दफ़्तर में व्यस्तता काफ़ी बढ़ जाती है। हर एक को अपने टारगेट्स पूरे करने होते हैं। जहाँ तक मेरे काम का सवाल है, दूरसंचार के क्षेत्र में होने की वजह से नेटवर्क की बहुत सी तैयारियाँ करनी पड़ती है ताकि दीपावली की रात को बढ़ने वाले ट्राफ़िक पर कोई बाधा न आये और आप अपने प्रियजनों से टेलीफ़ोन पर बिना किसी परेशानी के बात कर सके। दोस्तों, इन दिनों की व्यस्तता और भागदौड़ के बावजूद थोड़ा समय तो आप सिने पहेली के लिए निकाल ही लेंगे, इसका हमें पूरा विश्वास है। अब देखिये न, हमने भी तो इस पहेली को तैयार करने के लिए थोड़ा समय निकाल ही लिया अपनी व्यस्त दिनचर्या से। तो हो जाइये तैयार और सुलझाइये आज की पहेलियाँ। !!! नये प्रतियोगियों का आह्वान नये प्रतियोगी, जो इस मज़ेदार

शब्दों के चाक पर - १९

" दुर्गा की अराधना " और " नदी हूँ, फिर भी प्यासी " पर्वतों से निकली या धरा से फूटी कभी गंगा बन शिव जटा से छूटी मैं जल की धारा ले के बह निकली निस्वार्थ निशचल निर्विकार निर्मल कभी मौन कभी चंचल कहीं बंजर सींचे कहीं पाप धोये सीने पे अपने जाने कितने बांध ढोये दोस्तों, आज की कड़ी में हमारे दो विषय हैं - " दुर्गा की अराधना " और " नदी हूँ, फिर भी प्यासी " है। जीवन के इन दो अलग-अलग पहलुओं की कहानियाँ पिरोकर लाये हैं आज हमारे विशिष्ट कवि मित्र। पॉडकास्ट को स्वर दिया है अभिषेक ओझा ओर  शेफाली गुप्ता  ने, स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने, सम्पादन व संचालन है अनुराग शर्मा का, व सहयोग है वन्दना गुप्ता का। आइये सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये ... (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)  या फिर यहाँ से डाउनलोड करें (राईट क्लिक करके 'सेव ऐज़ चुनें') "शब्दों के चाक पर" हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और