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स्मृतियों के झरोखे से : भारतीय सिनेमा के सौ साल -7

मैंने देखी पहली फिल्म भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का चौथा गुरुवार है और आज बारी है- ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ की। इस द्विसाप्ताहिक स्तम्भ के पिछले अंक में सुनीता शानू की देखी पहली फिल्म के संस्मरण के साझीदार रहे। आज का संस्मरण रेडियो प्लेबैक इण्डिया के नियमित पाठक बैंगलुरु के पंकज मुकेश का है। यह भी प्रतियोगी वर्ग की प्रविष्ठि है। ‘मैं ना भूलूँगा...’ मे रे जीवन की पहली फिल्म, जो सिनेमाघर में देखी, वो है- ‘हमसे है मुक़ाबला’ । प्रभुदेवा और नगमा अभिनीत इस फिल्म में ए.आर. रहमान का संगीत था। रहमान हिन्दी फिल्मी दुनिया में उस समय नये-नये आए थे, अपनी 2-3 सफल फिल्मों (रोजा, बाम्बे आदि) के बाद। संगीत के साथ-साथ प्रभुदेवा का डांस वाकई कमाल का था। हिन्दी डबिंग के गीतकार पी.के. मिश्रा के गाने भी बहुत मक़बूल हुए थे। ये फिल्म मैंने अपने स्कूल के 2-4 दोस्तों के साथ बिना किसी इच्छा के, देखने गया था। बात उस समय की है जब यह फिल्म पहली बार परदे पर प्रदर्

परिवर्तन - एक बोझ या सहज चलन जीवन का

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 08 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से  अनुराग शर्मा  जी अपने साथी

"आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं...", आज की 'सिने पहेली' समर्पित है राजेश खन्ना की पुण्य स्मृति को

सिने-पहेली # 30 (23 जुलाई, 2012)  रेडियो प्लेबैक इण्डिया के साप्ताहिक स्तंभ 'सिने पहेली' के सभी पाठकों और प्रतियोगियों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! आज की यह कड़ी समर्पित है हिंदी फ़िल्म जगत के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की पुण्य स्मृति को। एक साधारण कद-काठी के इंसान और अत्यंत साधारण चेहरे के धनी होने के बावजूद अपनी अभिनय क्षमता, अपने मैनरिज़्म और मनभावन मुस्कान की वजह से राजेश खन्ना बने इस देश का पहला-पहला सुपरस्टार। वैसे देखा जाए तो राजेश खन्ना के सफलतम फ़िल्मों का समयकाल बहुत अधिक लम्बा नहीं है। उनकी सुपरहिट फ़िल्मों का दौर 1967 से लेकर 1977 तक चला। लेकिन इस छोटे से समयकाल में उनकी इतनी सारी कामयाब फ़िल्में बनीं और उन्होंने सर्वसाधारण के दिलों पर ऐसा प्रभाव छोड़ा कि महज़ अभिनेता से वो एक लीजेंड बन गए। आज उनके जाने के बाद बार-बार उनकी अमर फ़िल्म 'आनंद' का वही अंतिम दृश्य आँखों के सामने उमड़ रहा है, जिसे याद करते हुए आँखें नम हो रही हैं। आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं। आइए आज 'सिने पहेली' में आपसे पूछें बॉलीवूड के काका, राजेश खन्ना से जुड़े

प्लेबैक इंडिया वाणी (8) फ्रॉम सिडनी विद लव, तमस और आपकी बात

संगीत समीक्षा - फ्रॉम सिडनी विद लव आने वाले दिनों में एक नयी फिल्म आने वाली है ‘ फ्रॉम सिडनी विद लव ’ . बहुत सारे नवोदित कलाकार इसमें दिखाई देंगे.  इस फिल्म की स्टारकास्ट से लेकर निर्देशक तक अपनी पहली पारी की शुरुआत  करने जा रहे हैं. इस फिल्म का संगीत दिया है ‘ मेरे ब्रदर की दुल्हन ’ से चर्चित हुए सोहेल सेन और  थोर पेट्रिज और नबीन लस्कर ने.   इस एल्बम का पहला गाना ‘ फीलिंग लव इन सिडनी ’ , इलेक्ट्रॉनिक साउंड के साथ हिप होप फीलिंग देता है.गाने का संगीत मधुर है. कानों को सुनने में अच्छा लगता है. पार्टियों में आने वाले दिनों में बहुत बजेगा ये. अगला गाना ‘ हो जायेगा ’ , मोहित चौहान और मोनल ठाकुर की आवाज में है. आपको इस गाने में ज्यादा धूम धडाका नही मिलेगा जो आजकल के गानों में रहता है. अगला गाना भांगडा स्टाइल का गाना है. ‘ खटका खटका ’ गाने को मीका सिंह ने अपने आवाज से मस्ती में झूमने वाला बना दिया है. इस गाने में इस्तेमाल हुई ढोल की बीट्स और इलेक्ट्रॉनिक साउंड आपको नाचने के लिए मजबूर कर देंगी. बंगाली शब्दों के साथ  पलक  ‘ नैनो ने ‘ गाने की शुरुआत करती हैं. मोहम्मद सलामत न

वर्षा ऋतु के रंग : मल्हार अंग के रागों का संग- 3

स्वरगोष्ठी – ८० में आज गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’ ‘स्व रगोष्ठी’ के एक और सुहाने, हरियाले और रिमझिम फुहारों से युक्त अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र उपस्थित हूँ। मल्हार अंग के रागों की श्रृंखला में पिछले दो अंकों में आपने मेघ मल्हार और मियाँ मल्हार रागों की स्वर-वर्षा का आनन्द प्राप्त किया। इस श्रृंखला में आज हम आपके लिए लेकर आए है, राग गौड़ मल्हार। पावस ऋतु का यह एक ऐसा राग है जिसके गायन-वादन से सावन मास की प्रकृति का सजीव चित्रण तो किया ही जा सकता है, साथ ही ऐसे परिवेश में उपजने वाली मानवीय संवेदनाओं की सार्थक अभिव्यक्ति भी इस राग के माध्यम से की जा सकती है। आकाश पर कभी मेघ छा जाते हैं तो कभी आकाश मेघरहित हो जाता है। इस राग के स्वर-समूह उल्लास, प्रसन्नता, शान्ति और मिलन की लालसा का भाव जागृत करते हैं। मिलन की आतुरता को उत्प्रेरित करने में यह राग समर्थ होता है। आज के अंक में हम आपको ऐसे ही भावों से युक्त कुछ मोहक रचनाएँ सुनवाएँगे। साथ ही राग गौड़ मल्हार के स्वरूप के बारे में संक्षिप्त जानकारी भी आपसे बाँटेंगे। परन्तु आगे बढ़ने से पहले आइए, राग गौड़ मल्हार की एक पा

पार्श्वगायक मुकेश के जन्मदिवस पर विशेष प्रस्तुति

सावन का महीना और मुकेश का अवतरण हिन्दी फिल्मों में १९४१ से १९७६ तक सक्रिय रहने वाले मशहूर पार्श्वगायक स्वर्गीय मुकेश फिल्म-संगीत-क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ठ स्तर की गायकी के लिए हमेशा याद किये जाते रहे हैं। हिन्दी फिल्मों में उन्हें सर्वाधिक ख्याति उनके गाये दर्द भरे नगमों से मिली। इसके अलावा उन्होने कई ऐसे गीत भी गाये हैं, जो राग आधारित गीतों की श्रेणी में आते हैं। २२ जुलाई, २०१२ को मुकेश जी का ८८-वां सालगिरह है। आज उनके जन्मदिवस की पूर्वसंध्या पर रेडियो प्लेबैक इंडिया के नियमित पाठक और मुकेश के अनन्य भक्त पंकज मुकेश, इस विशेष आलेख के माध्यम से मुकेश के गाये गीतों की चर्चा कर रहे हैं। साथ ही आपको सुनवा रहे हैं उनके गाये कुछ सुमधुर गीत। मि त्रों, मानसून के आने से ऋतुओं की रानी वर्षा, अपने पूरे चरम पर विराजमान है। दरअसल सावन के महीने और पार्श्वगायक मुकेश के बीच सम्बन्ध बहुत ही गहरा है। मुकेश जी की बहन चाँद रानी के अनुसार २२जुलाई, १९२३ को रविवार का दिन था, धूप खिली थी और मुकेश के जन्म के साथ ही अचानक सावन की रिमझिम बूँदें बरस पड़ीं और पूरा माहौल खुशनुमा हो गया। आइये शुर

कहानी पॉडकास्ट - बिखरते रिश्ते - सुधा ओम ढींगरा - शेफाली गुप्ता

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई की कथा " चौबे जी " का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं सुधा ओम ढींगरा द्वारा लिखित हृदयस्पर्शी कहानी " बिखरते रिश्ते ", जिसको स्वर दिया है शेफाली गुप्ता ने। बिखरते रिश्ते का पाठ्य रचनाकार ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस कहानी का कुल प्रसारण समय 19 मिनट 38 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। यहाँ तो बच्चे तीन-चार भाषाएँ सीखते हैं, पर बोलते अपनी मातृभाषा हैं। इसके लिए माँ-बाप को कोशिश करने की बहुत जरूरत है। हिंदी को लेकर कुंठित न हों। ~ सुधा ओम ढींगरा सुधा ओम ढींगरा अमेरिका में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए जुटीं हैं। वे नार्थ कैरोलाईना