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७ मार्च- आज का गाना

गाना: आये हैं दूर से, मिलने हज़ूर से चित्रपट: तुमसा नहीं देखा संगीतकार: ओ. पी. नय्यर गीतकार: मजरूह सुलतान पुरी स्वर: रफ़ी, आशा आशा: आए हैं दूर से, मिलने हज़ूर से ऐसे भी चुप न रहिये, कहिये जी कुछ तो कहिये दिन है के रात है रफ़ी: हाय ... तुमसे मेहमान क्या, मुझपे अहसान क्या लाखों ही ज़ुल्फ़ों वाले, आती हैं घेरा डाले मेरी क्या बात है आशा: आये हैं दूर से ... उठ के तो देखिये, कैसी फ़िज़ा है शरमाना छोड़िये, ये क्या अदा है रफ़ी: तौबा ये क्या फ़रमाया मैं तो यूँ ही शरमाया मेरी क्या बात है आशा: आये हैं दूर से ... रफ़ी: ओ ओ ओ ... तुमसे मेहमान का ... दिखती है रोज़ ही, ऐसी फ़िज़ाएं मुखड़े के सामने, काली घटाएं आशा: कोई चल जाए जादू, फिर हम पूछेंगे बाबू दिन है के रात है ... रफ़ी: ओ ओ ओ ... तुमसे मेहमान का ... आशा: आ आ आ ... आये हैं दूर से ...

मिलिए सागर से जिन्हें लायीं है रश्मि जी ब्लोग्गेर्स चोईस में

सागर को जानना हो तो उसकी लहरों से पूछो, हिम्मत हो तो उसकी गहराई में जाओ - असली सीप असली मोती वहीँ मिलते हैं. चलिए यह जब होगा तब होगा ..... मैंने सागर से उसकी पसंद के ५ गाने मांगे.... सागर ने ४ दिए और कहा - एक पसंद आपकी शामिल हो तो एक सीप और पूर्ण हो.' क्योंकि सागर को ऐतबार है मेरी पसंद पर ('जी' लगाने से सागर की लहरें खो जातीं तो सागर ही लिखा है) तो ४ गाने सागर के, यह कहते हुए कि - 'सुनो और जानो इसमें क्या है !', और साथ में एक गीत मेरी पसंद का. तो सुना जाए - १. दिल ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन - दिल्ली में मशीन बना रहता हूँ, सर पर सलीब लटकती रहती है और ख्यालों को खेत में छोड़ आया हूँ इसलिए... २. तेरे खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे - गंगा, पुल, प्रेम और कोहरे में स्पष्ट दीखता धुंधला सा चेहरा... ३. माई री मैं का से कहूँ पीर अपने जिया की - इसके कुछ शब्द बेहद मौलिक और आत्मीय लगते हैं. ४. वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ - एस. डी. बर्मन की भटियाली आवाज़... जैसे खाई में कूद जाने का मन होता है. ५. अंत में एक जो आपको सबसे ज्यादा पसंद ह

६ मार्च- आज का गाना

गाना: अंधे जहान के अंधे रास्ते चित्रपट: पतिता संगीतकार: शंकर - जयकिशन गीतकार: शैलेन्द्र स्वर: तलत महमूद अंधे जहान के अंधे रास्ते, जाएं तो जाएं कहाँ दुनिया तो दुनिया, तू भी पराया, हम यहाँ ना वहाँ जीने की चाहत नहीं, मर के भी राहत नहीं इस पार आँसू, उस पार आहें, दिल मेरा बेज़ुबां अंधे जहान के ... हम को न कोई बुलाए, ना कोई पलकें बिछाए ऐ ग़म के मारों, मंज़िल वहीं है, दम ये टूटे जहाँ अंधे जहान के ... आग़ाज़ के दिन तेरा अंजाम तय हो चुका जलते रहें हैं, जलते रहेंगे, ये ज़मीं आसमां अंधे जहान के ...

सिने-पहेली # 10

जाँचिए अपना फिल्म संगीत ज्ञान   रे डियो प्लेबैक इण्डिया के सभी श्रोता-पाठकों को कृष्णमोहन मिश्र का रंगोत्सव के शुभ पर्व पर शत-शत बधाई। दोस्तों, 'सिने-पहेली' की दसवीं कड़ी लेकर आज मैं उपस्थित हूँ। आपको अवगत करा दूँ कि हम सबके प्रिय सुजॉय जी अगले दो सप्ताह तक अवकाश पर होंगे, इसलिए इस अवधि में मैं ही आपके सम्मुख प्रश्न-चिह्न उपस्थित करूँगा। आप यह भी जानते हैं कि सिने-पहेली की यह 10वीं कड़ी है और इस कड़ी का परिणाम ही पहले सेगमेण्ट के विजेता का निर्धारण करेगा। पहेली आरम्भ करने से पहले, आइए पिछले अंक तक शीर्ष चार प्रतियोगियों के नाम और उनके द्वारा अर्जित अंकों पर नज़र दौड़ा ली जाए। प्रकाश गोविन्द, लखनऊ – 35 अंक  पंकज मुकेश, बेंगलुरु – 30 अंक  क्षिति तिवारी, इन्दौर – 25 अंक  रीतेश खरे, मुंबई  --- 24 अंक अब देर किस बात की, आप सब जुट जाइए इन पाँच प्रश्नो को हल करने में और मैं भी पूरी एकाग्रता से आपके उत्तरों की प्रतीक्षा में बैठ जाता हूँ। विजेता की प्रतीक्षा में मेरी भी धड़कनें अब बढ़ने लगीं है। तो आइए अब देर किस बात की, आरम्भ करता हूँ, आज की पहेली के प्रश्नों का सिलसिला- *****

५ मार्च- आज का गाना

गाना: प्यार कर ले नहीं तो फांसी चढ़ जाएगा चित्रपट: जिस देश में गंगा बहती है संगीतकार: शंकर जयकिशन गीतकार: शैलेन्द्र स्वर: मुकेश ( प्यार कर ले ) -२ नहीं तो फांसी चढ़ जाएगा प्यार कर ले नहीं तो फांसी चढ़ जाएगा -३ ( यार कर ले ) -२ नहीं तो यूँ ही मर जाएगा प्यार कर ले ... जीते हारे सैकड़ों तीर से तलवार से -२ मेरे साथ मुस्करा दिल तो जीत प्यार से विचार कर ले नहीं तो पीछे पछताएगा प्यार कर ले ... चोरी करी चोर बना रोज़ कोई घात है आज तेरी ज़िन्दगी जैसे काली रात है -२ प्यार कर ले नहीं तो चक्कर पड़ जाएगा प्यार कर ले ...

राग काफी और होली के इन्द्रधनुषी रंग

SWARGOSHTHI – 60 स्वरगोष्ठी – ६० में आज ‘होरी खेलत नन्दलाल बिरज में...’ भारतीय समाज में अधिकतर उत्सव और पर्वों का निर्धारण ऋतु परिवर्तन के साथ किया गया है। शीत और ग्रीष्म ऋतु की सन्धिबेला में मनाया जाने वाला पर्व- होलिकोत्सव, प्रकारान्तर से पूरे देश में आयोजित होता है। यह उल्लास और उमंग का, रस और रंगों का, गायन-वादन और नर्तन का पर्व है। आइए, इन्हीं भावों को साथ लेकर हम सब शामिल होते हैं, इस रंगोत्सव में। अ बीर-गुलाल के उड़ते बादलों और पिचकारियों से निकलती इन्द्रधनुषी फुहारों के बीच ‘स्वरगोष्ठी’ के साठवें अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आपकी संगोष्ठी में पुनः उपस्थित हूँ। आज के अंक में और अगले अंक में भी हम फागुन की सतरंगी छटा से सराबोर होंगे। संगीत के सात स्वर, इन्द्रधनुष के सात रंग बन कर हमारे तन-मन पर छा जाएँगे। भारतीय संगीत की सभी शैलियों- शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, सुगम, लोक और फिल्म संगीत में फाल्गुनी रस-रंग में पगी असंख्य रचनाएँ हैं, जो हमारा मन मोह लेती हैं। इस श्रृंखला में हमने संगीत की इन सभी शैलियों में से रचनाएँ चुनी हैं। हमारे संगीत का एक अत्यन्त मनमोहक राग

४ मार्च - आज का गाना

गाना: हाँ दीवाना हूँ मैं चित्रपट: सारंगा संगीतकार: सरदार मलिक गीतकार: भरत व्यास स्वर: मुकेश हाँ दीवाना हूँ मैं - 2 गम का मारा हुआ इक बेगाना हूँ मैं हाँ दीवाना हूँ मैं मांगी खुशियाँ मगर गम प्यार मिला में दर्द ही भर दिया दिल के हर तार में आज कोई नहीं मेरा संसार में छोड़ कर चल दिए मुझको मझदार में हाय तीर - ए - नज़र का निशाना हूँ मैं हाँ दीवाना हूँ मैं मैं किसी का नहीं कोई मेरा नहीं इस जहाँ में कहीं भी बसेरा नहीं मेरे दिल का कहीं भी अँधेरा नहीं मेरे इस शाम का है सवेरा नहीं हाय भुला हुआ एक फ़साना हूँ मैं हाँ दीवाना हूँ मैं