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बोलती कहानियाँ - मुनिया का बचपन - अर्चना चावजी

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में साहित्यकार और प्राख्यात ब्लॉगर समीर लाल की कहानी " आखिर बेटा हूँ तेरा का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अर्चना चावजी की कहानी " मुनिया का बचपन , जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी " मुनिया का बचपन " का टेक्स्ट "मेरे मन की" ब्लॉग पर उपलब्ध है। कहानी का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 37 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। अच्छाई में पाप नहीं, तुम अच्छाई से नहीं डरो। हो भला सभी का जिससे, काम सदा तुम वही करो॥  ~  अर्चना चावजी हर शुक्रवार को यहीं पर सुनें एक नयी कहानी दोस्त है तेरा, दोस्त की बात का बुरा नहीं मानते।  ( अर्चना चावजी की "मुनिया का बचपन"

२ मार्च - आज का गाना

गाना:  दर्द-ए-डिस्को चित्रपट: ओम शांति ओम संगीतकार: विशाल दादलानी, शेखर रावजियानी गीतकार: जावेद अख़तर स्वर:  सुखविन्दर,मारिएन्न,कारालिसा,निशा मास्केरेनहास,कारालिसा ओ हसीना ओ नीलमपरी करगई कैसे जादूगरी नींद इन आँखों से छीन ली हाये दिल में बेचैनियाँ है भरी ओ हसीना ओ नीलमपरी करगई कैसे जादूगरी नींद इन आँखों से छीन ली हाये दिल में बेचैनियाँ है भरी मैं बेचारा हूँ आवारा बोलो समझाऊँ मैं ये अब किस किस को [दिल में मेरे है दर्द-ए-डिस्को दर्द-ए-डिस्को दर्द-ए-डिस्को]4 ओ फसले गुल थी गुलपोशियों का मौसम था हम पर कभी सरगोशियों का मौसम था आहा फसले गुल थी गुलपोशियों का मौसम था हम पर कभी सरगोशियों का मौसम था कैसा जुनूँ ख़्वाबों की अंजुमन में था क्या मैं कहूँ क्या मेरे बागपन में था रंजिश का चला था....फव्वारा फूटा जो ख़्वाब का....गुब्बारा अब फिरता हूँ मैं लंडन पेरिस न्यू यॉर्क एल ए सॅन फ्रानसिस्को दिल में मेरे है दर्द-ए-डिस्को दर्द-ए-डिस्को दर्द-ए-डिस्को दर्द-ए-डिस्को कम ऑन नाऊ लेट्स गो 5 लम्हा लम्हा अरमानों कि फरमाइश थी लम्हा लम्हा जुर्रत कि आजमाइश थ

1 मार्च - आज का गाना

गाना:  तेरी आँखें भूल भुलैया चित्रपट: भूल भुलैया संगीतकार: प्रीतम चक्रवर्ती गीतकार: समीर गायक:  नीरज श्रीधर तेरी आँखें भूल भुलैया बातें हैं भूल भुलैया तेरे सपनों की गलियों में आई कीप लुकिंग फोर यू बेबी.. तेरी आँखें भूल भुलैया बातें हैं भूल भुलैया तेरे सपनों की गलियों में यू कीप ड्राविंग मी सो क्रेजी... दिल में तू रेहती है... बेताबी केहती है... आई कीप प्रेइन आल डे .. ऑल डे ऑल नाइट लाँग हरे राम हरे राम हरे कृष्ण हरे राम (4) तू मेरी खामोशी है तू मेरी मदहोशी है तू मेरा है अफसाना तू है आवारा धड़कन ... तू है इस रातों कि तड़पन ... तू है मेरी दिल जाना तेरी ज़ुल्फों के नीचे मेरे ख़्वाबों कि जन्नत तेरी बाहों में एक बेचैनी को मिलती राहत माई ओन्ली विश इस इफ आई एवर एवर कुड मेक यू माइन एवरी वन इस प्रेइन विद मी नाऊ ऑल डे ऑल नाइट लाँग हरे राम हरे कृष्ण हरे राम (4) तेरे वादे पे जीना तेरी कसमों पे मरना बाकी अब कुछ ना करना चाहे जागा या सोया दीवानापन में खोया दुनिया से अब क्या डरना तेरे एहसासों की गहराई में डूबा रहता तू मेरि जान बन जाये हर लम्हा रब से के