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"नादान परिन्दे घर आजा" - अर्थपूर्ण गीत आज भी बनते हैं फ़िल्मों के लिए

२०१२ के फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ गीतकार का ख़िताब दिया गया है इरशाद कामिल को फ़िल्म 'रॉकस्टार' के गीत "नादान परिन्दे" के लिए। साथ ही सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का ख़िताब दिया गया है ए. आर. रहमान को इसी फ़िल्म के लिए। आइए आज करें इसी गीत की चर्चा 'एक गीत सौ कहानियाँ' की नौवीं कड़ी में, सुजॉय चटर्जी के साथ... एक गीत सौ कहानियाँ # 9 अक्सर हम लोगों को यह चर्चा करते हुए पाते हैं कि पहले की तुलना में फ़िल्मी गीतों का स्तर गिर गया है, अब वह बात नहीं रही फ़िल्मी गीत-संगीत में। काफ़ी हद तक यह बात सच भी है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि इसमें केवल कलाकारों का दोष नहीं। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत समाज का ही आइना होता है, जो समय चल रहा है, जो दौर जारी है, समाज की जो रुचि है, वही सब कुछ फ़िल्मों और फ़िल्मी गीतों में नज़र आते हैं। और यह भी उतना ही सच है कि अगर कलाकार चाहे तो तमाम पाबन्दियों, तमाम दायरों में बंधकर भी अच्छा काम किया जा सकता है। ख़ास तौर से गीतकारों की बात करें तो गुलज़ार और जावेद अख़्तर जैसे गीतकार आज भी कामयाबी के शिखर पर हैं अपने ऊँचे स्तर को गिरा

२९ फरवरी - आज का गाना

गाना:  तुम्हीं हो माता, पिता तुम्ही हो चित्रपट: मैं चुप रहूँगी संगीतकार: चित्रगुप्त गीतकार: राजिंदर कृशन गायिका: लता मंगेशकर तुम्हीं हो माता, पिता तुम्ही हो, तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो तुम्ही हो साथी तुम्ही सहारे, कोई न अपना सिवा तुम्हारे तुम्ही हो नय्या तुम्ही खिवय्या, तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो जो खिल सके ना वो फूल हम हैं, तुम्हारे चरनों की धूल हम हैं दया की दृष्टि सदा ही रखना, तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो

रश्मि प्रभा के साथ आज ब्लोग्गेर्स चोईस में हैं मशहूर ब्लॉगर यशवंत माथुर

आज अपनी पसंद के गीतों के साथ हमारे वक़्त में योगदान दे रहे हैं यशवंत माथुर. गीत तो वही होते हैं, पर पसंद और असर अलग अलग होते हैं. बमुश्किल गीतों के समंदर की गहराई से इन गीतों को चुना है और मैं उन्हें यहाँ पिरो रही हूँ ...कहते हैं इन गीतों के लिए यशवंत जी, कि इन गीतों का जीवन से यही संबंध हैं कि इन्हें सुन कर मन मे एक अलग ही उत्साह की भावना आती है और कभी कभी आने वाली निराशा में यह गाने मुझे एक सच्चे दोस्त की तरह प्रेरित करते हैं। साथ ही इन गानों को सुन कर कुछ लिखने के लिये भी मूड बन जाता है। ...आप आनंद उठाइए इन गीतों का, और मैं भी जरा अब इन्हें सुनूँ रुक जाना नहीं तू कभी हार के (किशोर कुमार) लक्ष्य को हर हाल मे पाना है (फिल्म लक्ष्य का टाइटिल ट्रैक) बादल पे पाँव है (चक दे इंडिया) धूप निकलती है जहां से (फिल्म -क्रिश) कैसी है ये रुत थी जिसमें फूल बन के दिल खिले (फिल्म दिल चाहता है) यशवंत माथुर