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२९ फरवरी - आज का गाना

गाना:  तुम्हीं हो माता, पिता तुम्ही हो चित्रपट: मैं चुप रहूँगी संगीतकार: चित्रगुप्त गीतकार: राजिंदर कृशन गायिका: लता मंगेशकर तुम्हीं हो माता, पिता तुम्ही हो, तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो तुम्ही हो साथी तुम्ही सहारे, कोई न अपना सिवा तुम्हारे तुम्ही हो नय्या तुम्ही खिवय्या, तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो जो खिल सके ना वो फूल हम हैं, तुम्हारे चरनों की धूल हम हैं दया की दृष्टि सदा ही रखना, तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो

रश्मि प्रभा के साथ आज ब्लोग्गेर्स चोईस में हैं मशहूर ब्लॉगर यशवंत माथुर

आज अपनी पसंद के गीतों के साथ हमारे वक़्त में योगदान दे रहे हैं यशवंत माथुर. गीत तो वही होते हैं, पर पसंद और असर अलग अलग होते हैं. बमुश्किल गीतों के समंदर की गहराई से इन गीतों को चुना है और मैं उन्हें यहाँ पिरो रही हूँ ...कहते हैं इन गीतों के लिए यशवंत जी, कि इन गीतों का जीवन से यही संबंध हैं कि इन्हें सुन कर मन मे एक अलग ही उत्साह की भावना आती है और कभी कभी आने वाली निराशा में यह गाने मुझे एक सच्चे दोस्त की तरह प्रेरित करते हैं। साथ ही इन गानों को सुन कर कुछ लिखने के लिये भी मूड बन जाता है। ...आप आनंद उठाइए इन गीतों का, और मैं भी जरा अब इन्हें सुनूँ रुक जाना नहीं तू कभी हार के (किशोर कुमार) लक्ष्य को हर हाल मे पाना है (फिल्म लक्ष्य का टाइटिल ट्रैक) बादल पे पाँव है (चक दे इंडिया) धूप निकलती है जहां से (फिल्म -क्रिश) कैसी है ये रुत थी जिसमें फूल बन के दिल खिले (फिल्म दिल चाहता है) यशवंत माथुर 

२८ फरवरी - आज का गाना

गाना:  रे मन सुर में गा चित्रपट: लाल पत्थर संगीतकार: शंकर - जयकिशन गीतकार: नीरज गायक, गायिका: आशा भोसले, मन्ना डे रे मन सुर में गा कोई तार बेसुर न बोले, न बोले रे मन सुर में गा ... जीवन है सुख दुःख का संगम मध्यम के संग जैसे पंचम दोनों को एक बना रे मन सुर में गा ... दिल जो धड़के ताल बजे रे ताल ताल में समय चले रे समय के संग हो जा रे मन सुर में गा ... जग है गीतों की रजधानी सुर है राजा लय है रन्नी साज़ रूप बन जा रे मन सुर में गा ...

सिने-पहेली # 9

सिने-पहेली # 9 (27 फ़रवरी 2012) 'सिने पहेली' की एक और कड़ी के साथ मैं, आपका ई-दोस्त सुजॉय चटर्जी, हाज़िर हूँ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' पर। दोस्तों, अब बस दो कड़ियाँ शेष हैं 'सिने पहेली' के पहले सेगमेण्ट के पूरे होने में। यानी कि दो अंकों के बाद पहले 'दस का दम' विजेता घोषित कर दिया जाएगा। आठवीं कड़ी के अंकों को जोड़ने के बाद किन चार प्रतिभागियों के सर्वाधिक स्कोर हुए हैं, यह हम अभी थोड़ी देर में आपको बतायेंगे, फ़िल्हाल शुरु करते हैं 'सिने पहेली # 9' के सवालों का सिलसिला। ********************************************* सवाल-1: गोल्डन वॉयस गोल्डन वॉयस में आज हम आपको सुनवाने जा रहे हैं गुज़रे ज़माने की एक आवाज़। सुन कर बताइए यह किस गायक की आवाज़ है? सवाल-2: पहचान कौन! दूसरे सवाल के रूप में आपको हल करने हैं एक चित्र पहेली का। नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए। 1930 के दशक का एक बेहद बेहद बेहद मशहूर और लोकप्रियतम गीतों में से एक है यह गीत जिसका यह दृश्य है। बता सकते हैं गीत का मुखड़ा? सवाल-3: सुनिये तो... कुछ संवाद ऐसे होते हैं जो इतने लोकप्रिय होते

२७ फरवरी - आज का गाना

गाना:  मेरे घर आई एक नन्ही परी चित्रपट: कभी कभी संगीतकार: खय्याम गीतकार: साहिर गायिका: लता मंगेशकर मेरे घर आई एक नन्ही परी, एक नन्ही परी चांदनी के हसीन रथ पे सवार मेरे घर आई ... उसकी बातों में शहद जैसी मिठास उसकी सासों में इतर की महकास होंठ जैसे के भीगे\-भीगे गुलाब गाल जैसे के बहके\-बहके अनार मेरे घर आई ... उसके आने से मेरे आंगन में खिल उठे फूल गुनगुनायी बहार देख कर उसको जी नहीं भरता चाहे देखूँ उसे हज़ारों बार (२) मेरे घर आई ... मैने पूछा उसे के कौन है तू हंसके बोली के मैं हूँ तेरा प्यार मैं तेरे दिल में थी हमेशा से घर में आई हूँ आज पहली बार मेरे घर आई ...

स्वरगोष्ठी में आज- विवाह-पूर्व के संस्कार गीत

February 26, 2012 स्वरगोष्ठी – ५९ में आज ‘हमरी बन्नी के गोरे गोरे हाथ, मेंहदी खूब रचे...’ भारतीय समाज में विवाह एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। एक पर्व की तरह यह संस्कार उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर हर धर्मावलम्बी अपने-अपने धार्मिक रीति-रिवाजो के के साथ-साथ लोकाचारों का पालन भी करते हैं। उल्लेखनीय है कि इन लोकाचारों में काफी समानता भी होती है। आपको स्मरण ही होगा कि ‘स्वरगोष्ठी’ में हमने निश्चय किया था कि प्रत्येक मास में कम से कम एक अंक हम लोक संगीत को समर्पित करेंगे। हमारा आज का अंक लोक संगीत पर केन्द्रित है। लो क संगीत से अनुराग करने वाले ‘स्वरगोष्ठी’ के सभी पाठको-श्रोताओं को कृष्णमोहन मिश्र का नमस्कार और स्वागत है। इस स्तम्भ की ५२ वीं कड़ी में हमने आपसे संस्कार गीत के अन्तर्गत विवाह पूर्व गाये जाने वाले बन्ना और बन्नी गीतों पर चर्चा की थी। वर और बधू का श्रृंगारपूर्ण वर्णन, विवाह से पूर्व के अन्य कई अवसरों पर किया जाता है, जैसे- हल्दी, मेंहदी, लगन चढ़ाना, सेहरा आदि। इनमें मेंहदी और सेहरा के गीत मुस्लिम समाज में भी प्रचलित है। इन सभी अवसरों

२६ फरवरी - आज का गाना

गाना:  न जाने आज किधर मेरी नाव चली रे चित्रपट: झूला संगीतकार: सरस्वती देवी गीतकार: प्रदीप गायक: अशोक कुमार न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे चली रे चली रे मेरी नाव चली रे चली रे चली रे मेरी नाव चली रे कोई कहे यहाँ चली कोई कहे वहाँ चली कोई कहे यहाँ चली कोई कहे वहाँ चली मन ने कहा पिया के गाँव चली रे पिया के गाँव चली रे चली रे चली रे मेरी नाव चली रे मन के मीत मेरे मिल जा जळी दुनिया के सागर में नाव मेरी चल दी मन के मीत मेरे मिल जा जळी दुनिया के सागर में नाव मेरी चल दी बिलकुल अकेली, बिलकुल अकेली अकेली चली रे चली रे चली रे मेरी नाव चली रे न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे चली रे चली रे मेरी नाव चली रे ऊँची नीची लहरों पे नाव मेरी डोले मन में प्रीत मेरी पिहू पिहू बोले ऊँची नीची लहरों पे नाव मेरी डोले मन में प्रीत मेरी पिहू पिहू बोले मेरे मन मुझ को बता, मेरी मंज़िल का पता मेरे मन मुझ को बता, मेरी मंज़िल का पता बोल मेरे साजन की कौन गली रे बोल मेरे साजन की कौन गली रे चली रे चली रे मेरी नाव चली रे न जाने किधर...