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२५ फरवरी - आज का गाना

गाना:  आना मेरी जान मेरी जान संडे के संडे चित्रपट: शहनाई संगीतकार: सी. रामचंद्र गीतकार: प्यारे लाल संतोषी गायक, गायिका: चितलकर, मीना कपूर चि: आना मेरी जान, मेरी जान, संडे के संडे आना मेरी जान, मेरी जान,  संडे के संडे चि: आई लव यू मी: भाग यहाँ से दूर चि: आई लव यू मी: भाग यहाँ से दूर चि: तुझे पैरिस दिखाऊँ, तुझे लन्दन घूमाऊँ तुझे ब्रैन्डी पिलाऊँ, व्हिस्की पिलाऊँ और खिलाऊँ खिलाऊँ मुर्गी के,  मुर्गी  के, अण्डे, अण्डे आना मेरी जान, मेरी जान,  संडे के संडे मी: मैं धरम करम की नारी तू नीच अधम व्यभिचारी मामा हैं गंगा पुजारी बाबा काशी के, काशी के, पण्डे, पण्डे चि: आना मेरी जान, मेरी जान,  संडे के संडे चि: आओ, हाथों में हाथ ले वॉक करें हम आओ, स्वीट  स्वीट  आपस में टाक करें हम मी: आरे हट! सैंय्या मेरा पहलवान है, मारे दण्ड हज़ार सैंय्या मेरा पहलवान है, मारे दण्ड हज़ार भाग जाओगे तुम बन्दर देगा जो ललकार मारे गिन गिन के, गिन गिन के, डण्डे, डण्डे चि: आना मेरी जान, मेरी जान,  संडे के संडे मी: ओ माई  साब, कम,  कम , कम तुम रोमियो, जूलियट हम ओ डिअर,

बोलती कहानियाँ - आखिर बेटा हूँ तेरा

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने  अनुराग शर्मा   की आवाज़ में  प्रसिद्ध कथाकार पंकज सुबीर   की कहानी   " एक रात "   का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं समीर लाल   की कहानी " आखिर बेटा हूं तेरा ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी   ने।  कहानी "आखिर बेटा हूँ तेरा" का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 48 सेकंड है। इस बार हमने इस प्रसारण  में कुछ नये प्रयोग किये हैं। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।  यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। ऐसा नहीं कि मेरे पास शब्द न थे मगर बेहतर शब्दों की तलाश में भटकता रहा और लोग रचते चले गये।  मेरे भाव किसी और की कलम से शब्द पा गये।  ~  समीर लाल हर शुक्रवार को सुनें  एक नयी कहानी उसे 5 बजे बसुआ को उठाकर चाय नाश्ता देना होता था। फिर उसके लिये दो

२४ फरवरी - आज का गाना

गाना:  मुहब्बत ऐसी धड़कन है चित्रपट: अनारकली संगीतकार: सी. रामचंद्र गीतकार: राजिंदर कृशन गायिका: लता मंगेशकर इस इंतेज़ार\-ए\-शौक को जनमों की प्यास है इक शमा जल रही है, तो वो भी उदास है मुहब्बत ऐसी धड़कन है, (जो समझाई नहीं जाती) \- २ ज़ुबां पर दिल की बेचैनी, (कभी लाई नहीं जाती) \- २ मुहब्बत ऐसी धड़कन है चले आओ, चले आओ, तक़ाज़ा है निगाहों का \- २ तक़ाज़ा है निगाहों का किसी की आर्ज़ू ऐसे, (तो ठुकराई नहीं जाती) \- २ मुहब्बत ऐसी धड़कन है, (जो समझाई नहीं जाती) \- २ मुहब्बत ऐसी धड़कन है (मेरे दिल ने बिछाए हैं सजदे आज राहों में) \- २ सजदे आज राहों में जो हालत आशिक़ी की है, (वो बतलाई नहीं जाती) \- २ मुहब्बत ऐसी धड़कन है, (जो समझाई नहीं जाती) \- २ मुहब्बत ऐसी धड़कन है

आर्टिस्ट ऑफ द मंथ - गीतकार सजीव सारथी

सजीव सारथी का नाम इंटरनेट पर कलाकारों की जुगलबंदी करने के तौर पर भी लिया जाता है. वर्चुएल-स्पेस में गीत-संगीत निर्माण की नई और अनूठी परम्परा की शुरूआत करने का श्रेय सजीव सारथी को दिया जा सकता है. मात्र बतौर एक गीतकार ही नहीं, बल्कि अपने गीत संगीत अनुभव से उन्होंने "पहला सुर", "काव्यनाद" और "सुनो कहानी" जैसी अलबमों और अनेकों संगीत आधारित योजनाओं के निर्माण में भी रचनात्मक सहयोग दिया, और हिंदी की सबसे लोकप्रिय संगीत वेब साईटों (आवाज़, और रेडियो प्लेबैक इंडिया) का कुशल संचालन भी किया. अपने ५ वर्षों के सफर में सजीव ने इन्टरनेट पर सक्रिय बहुत से कलाकारों के साथ जुगलबंदी की हैं. आज सुनिए उन्हीं की जुबानी उनके अब तक के संगीत सफर की दास्तान, उन्हें के रचे गीतों की चाशनी में लिपटी...

२३ फरवरी - आज का गाना

गाना:  तुम संग लागे पिया मोरे नैना चित्रपट: ताज संगीतकार: हेमंत कुमार गीतकार: राजिंदर कृशन गायिका: लता तुम संग लागे पिया मोरे नैना इक पल चैन न आये पापी मन मोरी बात न माने कौन इसे आये समझाने मचल मचल रह जाये तुम संग लागे ... मन में समायी मोरे श्याम सुरतिया किस दिस भूलू मैं पी की मूरतिया बात समझ नहीं आये तुम संग लागे ...

"हम चुप हैं कि दिल सुन रहे हैं..." - पर हमेशा के लिए चुप हो गए शहरयार!

१३ फ़रवरी २०१२ को जानेमाने शायर शहरयार का इन्तकाल हो गया। कुछ फ़िल्मों के लिए उन्होंने गीत व ग़ज़लें भी लिखे जिनका स्तर आम फ़िल्मी रचनाओं से बहुत उपर है। 'उमरावजान', 'गमन', 'फ़ासले', 'अंजुमन' जैसी फ़िल्मों की ग़ज़लों और गीतों को सुनने का एक अलग ही मज़ा है। उन्हें श्रद्धांजली स्वरूप फ़िल्म 'फ़ासले' के एक लोकप्रिय युगल गीत की चर्चा आज 'एक गीत सौ कहानियाँ' की आठवीं कड़ी में, सुजॉय चटर्जी के साथ... एक गीत सौ कहानियाँ # 8 यूं तो फ़िल्मी गीतकारों की अपनी अलग टोली है, पर समय समय पर साहित्य जगत के जानेमाने कवियों और शायरों ने फ़िल्मों में अपना स्तरीय योगदान दिया है, जिनके लिए फ़िल्म जगत उनका आभारी हैं। ऐसे अज़ीम कवियों और शायरों के लिखे गीतों व ग़ज़लों ने फ़िल्म संगीत को न केवल समृद्ध किया, बल्कि सुनने वालों को अमूल्य उपहार दिया। ऐसे ही एक मशहूर शायर रहे शहरयार, जिनका हाल ही में देहान्त हो गया। अख़लक़ मुहम्मद ख़ान के नाम से जन्मे शहरयार को भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से साल २००८ में सम्मानित किया गया था। ७५-वर्

२२ फरवरी - आज का गाना

गाना:  आज मेरे मन में सखी बाँसुरी बजाए कोई चित्रपट: आन संगीतकार: नौशाद अली गीतकार: शकील गायिका: लता ल: आ हा हा... आज मेरे मन में सखी बाँसुरी बजाए कोई आज मेरे मन में... आज मेरे मन में सखी बाँसुरी बजाए कोई प्यार भरे गीत सखी बार\-बार गाए कोई बाँसुरी बजाए... बाँसुरी बजाए, सखी गाए सखी रे, कोई छैलवा हो को: कोई अलबेलवा हो, कोई छैलवा हो ल: रँग मेरी जवानी का किए झूमता घर आया है सावन को: रँग मेरी जवानी का किए झूमता घर आया है सावन ल: आ हा हा... हो सखी, हो रे सखी, आया है सावन को: मेरे नैनों में है साजन ल: इन ऊँदी घटाओं में, हवाओं में सखी, नाचे मेरा मन हो सखी, नाचे मेरा मन को: हो आँगन में सावन मन\-भावन हो जी ल: हो, इन ऊँदी घटाओं में, हवाओं में सखी, नाचे मेरा मन को: लल्ला लाला ला लाला ल: दिल के हिंडोले पे मोहे झूले न झुलाए कोई को: प्यार भरे गीत सखी, बार\-बार गाए कोई ल: बाँसुरी बजाए सखी गाए सखी रे कोई छैलवा हो को: कोई अलबेलवा हो, कोई छैलवा हो ल: कहता है इशारों में कोई आ मोहे अम्बुआ के तले मिल को: भला वो कौन है घायल कहता है इशारों में कोई आ मोहे अम