Skip to main content

Posts

सिने-पहेली # 4

सिने-पहेली # 4 (23 जनवरी 2012) रेडियो प्लेबैक इण्डिया के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! दोस्तों, 'सिने-पहेली' की चौथी कड़ी लेकर मैं हाज़िर हूँ। दोस्तों, एक और नई सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है और आज से हम और आप, सभी, फिर एक बार ज़िन्दगी की भागदौड़ में मसरूफ़ हो जायेंगे। किसी को पढ़ाई-लिखाई, तो किसी को दफ़्तर, और किसी-किसी को व्यापार-वाणिज्य आदि की फ़िक्र होती होगी। लेकिन हम सब में एक बात जो समान है, वह यह कि हम सभी को फ़ुरसत के कुछ पलों में मनोरंजन की चाहत होती है। और यह ज़रूरी भी तो है! इसीलिए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' पूरे सप्ताह भर में आपके मनोरंजन के लिए लेकर आता है कई स्तंभ, जो केवल मनोरंजक ही नहीं, बल्कि ज्ञानवर्धक भी होते हैं। ऐसी ही एक ज्ञानचर्धक स्तंभ है 'सिने पहेली' जो आज़माता है आपके फ़िल्मी ज्ञान को। आप सभी से यह अनुरोध है कि इस प्रतियोगिता में पूरे उत्साह से भाग लें और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, सह-कर्मचारियों को भी इसमे भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। चलिए, बातें तो बहुत हो गईं, अब शुरू किया जाये आज की 'सिने-पहेली'।

२३ जनवरी- आज का गाना

गाना:  तेरी गठरी में लागा चोर चित्रपट: धूप-छाँव संगीतकार: राय चन्द्र बोराल गीतकार:  पंडित सुदर्शन गायक: के. सी. डे तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा आज ज़रा सा फ़ितना है ये तू कहता है कितना है ये आज ज़रा सा फ़ितना है ये तू कहता है कितना है ये दो दिन में ये बढ़कर होगा मुंहफट और मुंहजोर दो दिन में ये बढ़कर होगा मुंहफट और मुंहजोर मुसाफिर जाग ज़रा तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा नींद में माल गँवा बैठेगा अपना आप लुटा बैठेगा नींद में माल गँवा बैठेगा अपना आप लुटा बैठेगा फिर पीछे कुछ नहीं बनेगा फिर पीछे कुछ नहीं बनेगा लाख मचाये शोर, शोर मुसाफिर जाग ज़रा तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा तेरी गठरी में लागा चोर, चोर

‘वीणा मधुर मधुर कछु बोल...’ : गीत के बहाने, चर्चा राग- भीमपलासी की

महात्मा गाँधी ने अपने जीवनकाल में एकमात्र फिल्म ‘रामराज्य’ देखी थी। १९४३ में प्रदर्शित इस फिल्म का निर्माण प्रकाश पिक्चर्स ने किया था। इस फिल्म के संगीत निर्देशक अपने समय के जाने-माने संगीतज्ञ पण्डित शंकरराव व्यास थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, व्यासजी की कुशलता केवल फिल्म संगीत निर्देशन के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि शास्त्रीय गायन, संगीत शिक्षण और ग्रन्थकार के रूप में भी सुरभित हुई। फिल्म ‘रामराज्य’ में पण्डित जी ने राग भीमपलासी के स्वरों में एक गीत संगीतबद्ध किया था। आज हमारी गोष्ठी में यही गीत, राग और इसके रचनाकार, चर्चा के विषय होंगे। SWARGOSHTHI – 53 – Pandit Shankar Rao Vyas ‘स्व रगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ, मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार फिर इस सांगीतिक बैठक में उपस्थित हूँ। आज हम लगभग सात दशक पहले की एक फिल्म ‘रामराज्य’ के एक गीत- ‘वीणा मधुर मधुर कछु बोल...’ और इस गीत के संगीतकार पण्डित शंकरराव व्यास के व्यक्तित्व-कृतित्व पर चर्चा करेंगे। कल २३ जनवरी को इस महान संगीतज्ञ की ११३वीं जयन्ती है। इस अवसर के लिए हम आज उन्हें स्वरांजलि अर्पित कर रहे हैं। कोल्हापुर में २३ जनवरी, १८९८ में