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१४ जनवरी- आज का गाना

गाना:  रात भर का है मेहमां अँधेरा चित्रपट: सोने की चिड़िया संगीतकार: ओ. पी. नय्यर गीतकार:  साहिर गायक, गायिका: रफ़ी, आशा भोंसले मौत कभी भी मिल सकती है लेकिन जीवन कल न मिलेगा मरने वाले सोच समझ ले फिर तुझको ये पल न मिलेगा ( रात भर का है मेहमां अँधेरा किसके रोके रुका है सवेरा ) -२ रात जितनी भी संगीन होगी सुबह उतनी ही रंगीन होगी ग़म न कर गर है बादल घनेरा किसके रोके रुका है ... लब पे शिकवा न ला अश्क़ पी ले जिस तरह भी हो कुछ देर जी ले अब उखड़ने को है ग़म का डेरा किसके रोके रुका है ... यूँ ही दुनिया में आ कर न जाना सिर्फ़ आँसू बहाकर न जाना मुसुराहट पे भी हक़ है तेरा किसके रोके रुका है ... ( आ कोई मिल के तदबीर सोचें सुख के सपनों की ताबीर सोचें ) -२ जो तेरा है वही ग़म है मेरा किसके रोके रुका है ...

गिरिजेश राव की कहानी "भूख"

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने प्रसिद्ध कथाकार हरिशंकर परसाई की " बेचारा भला आदमी " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं गिरिजेश राव की कहानी " भूख ", जिसको स्वर दिया है सलिल वर्मा ने। कहानी "भूख" का कुल प्रसारण समय 10 मिनट 56 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट एक आलसी का चिठ्ठा पर उपलब्ध है।  यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया  हमें boltikahaniyan.rpi@gmail.com पर संपर्क करें। "पास बैठो कि मेरी बकबक में नायाब बातें होती हैं। तफसील पूछोगे तो कह दूँगा,मुझे कुछ नहीं पता " ~ गिरिजेश राव      हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी "उसे पता था कि घर पहुँचने पर रात नौ बजे तक एक कप चाय और दो बिस्कुटों के अलाव

१३ जनवरी- आज का गाना

गाना:  छाप तिलक सब चित्रपट: मैं तुलसी तेरे आँगन की संगीतकार: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल गीतकार:  आनंद बक्षी गायिका: आशा भोंसले, लता लता: अपनी छब बनायके जो मैं पी के पास गयी आशा: अपनी छब बनायके जो मैं पी के पास गयी दोनों: जब छब देखी पीहू की सो मैं अपनी भूल गयी ओ, (छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके) -२ छाप तिलक लता: सब छीनी रे मोसे नैना नैना, मोसे नैना नैना रे, मोसे नैना मिलायके नैना मिलायके दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे आशा: नैना, (नैना मिलायके) -२ दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके लता: ए री सखी (मैं तोसे कहूँ) -२ हाय तोसे कहूँ मैं जो गयी थी (पनिया भरन को) -३ छीन झपट मोरी मटकी पटकी छीन झपट मोरी झपट मोरी मटकी पटकी नैना मिलायके दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके आशा: (बल-बल जाऊँ मैं) -२ (तोरे रंग रजेवा) -२ (बल-बल जाऊँ मैं) -२ (तोरे रंग रजेवा) -३ (अपनी-सी) -३ रंग लीनी रे मोसे नैना मिलायके दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके आशा: ए री सखी (मैं तोसे कहूँ) -२ हाय तोसे कहूँ लता: (हरी हरी चूड़ियाँ) -२

१२ जनवरी- आज का गाना

गाना:  साथी तेरे नाम चित्रपट: उस्तादी उस्ताद से संगीतकार: राम लक्ष्मण गीतकार:  दिलीप ताहिर गायिका: आशा भोसले, उषा मंगेशकर साथी तेरे नाम, एक दिन, जीवन कर जायेंगे, जीवन कर जायेंगे तू है मेरा खुदा तू ना करना दगा तुम बिन मर जायेंगे, तुम बिन मर जायेंगे खुशबुओं की तरह, तू महकती रहे बुलबुलों की तरह, तू चहकती रहे दिल के हर तार से आ रही है सदा तू सलामत रहे, बस यही है दुआ तू है मेरा खुदा तू ना करना दगा तुम बिन मर जायेंगे, तुम बिन मर जायेंगे

सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब - इस ग़ज़ल का सुरूर आज भी चढ़ता है आहिस्ता-आहिस्ता

कुछ गीत ऐसे होते हैं जो समय-समय पर थोड़े बहुत फेर बदल के साथ वापस आते रहते हैं। 'एक गीत सौ कहानियाँ' की दूसरी कड़ी में आज एक ऐसी ही मशहूर ग़ज़ल की चर्चा सुजॉय चटर्जी के साथ... सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता निकलता आ रहा है आफ़ताब आहिस्ता-आहिस्ता एक गीत सौ कहानियाँ # 2 हिन्दी फ़िल्मों में पारम्परिक रचनाओं का भी स्थान हमेशा से रहा है, चाहे वो विदाई गीत हों या कोई भक्ति रचना या फिर बहुत पुराने समय के किसी अदबी शायर का लिखा हुआ कोई कलाम। मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों की तो भरमार है फ़िल्म-संगीत में। १९-वीं सदी के एक और मशहूर शायर हुए हैं अमीर मीनाई। लखनऊ में १८२६ में जन्मे अमीर मीनाई एक ऐसे शायर थे जो ख़ास-ओ-आम, दोनों में बहुत लोकप्रिय हुए। उनके समकालीन ग़ालिब और दाग़ भी उनकी शायरी का लोहा मानते थे। लखनऊ के फ़रंगी महल में शिक्षा प्राप्त करने के बाद अमीर मीनाई अवध के रॉयल कोर्ट में शामिल हो गए, पर १८५७ में आज़ादी की लड़ाई शुरु हो जाने के बाद उन्हें रामपुर के राज दरबार से न्योता मिला और वहीं उन्होंने अपनी बाक़ी ज़िन्दगी गुज़ार दी। सन् १९०० में अमीर मीनाई हैदराबाद

११ जनवरी- आज का गाना

गाना:  तूफ़ान मेल चित्रपट: जवाब संगीतकार: कमल दासगुप्ता गीतकार:  पंडित मधुर गायिका: कानन देवी तूफ़ान मेल दुनिया ये दुनिया, तूफ़ान मेल इसके पहिये ज़ोर से चलते और अपना रस्ता तय करते सयाने इस से काम निकालें बच्चे समझे खेल तूफ़ान मेल   ... कोई कहाँ का टिकट काटता एक है आता एक है जाता सभी मुसाफ़िर बिछड़ जायेंगे पल भर का है मेल तूफ़ान मेल   ... जो जितनी पूँजी है रखता उसी मुताबिक़ सफ़र वो करता जीवन का है भेद बताती ज्ञानी को ये रेल तूफ़ान मेल   ...

१० जनवरी- आज का गाना

गाना:  मेरा नाम है चमेली चित्रपट: राजा और रंक संगीतकार: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल गीतकार:  आनंद बक्षी गायिका: लता मंगेशकर मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली चली आई मैं अकेली बीकानेर से -२ ओ दारोगा बाबू बोलो जरा दरवज्जा तो खोलो खड़ी हूँ मैं दरवज्जे पे बड़ी देर से मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली चली आई मैं अकेली बीकानेर से मैं बागों से चुन चुन के लाई चम्पा की कलियाँ -२ ये कलियाँ बिछा के मैं सजा दूँ तेरी गलियाँ रे अंखियाँ मिला मेरी अंखियों से ओ मैं फूलों की रानी मैं बहारों की सहेली मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली चली आई मैं अकेली बीकानेर से ओ दारोगा बाबू बोलो जरा दरवज्जा तो खोलो खड़ी हूँ मैं दरवज्जे पे बड़ी देर से मेरा मनवा ऐसे धड़के जैसे डोले नइया -२ ओ बेदर्दी ओ हरजाई ओ बाँके सिपहिया रे घुंघटा मेरा तैने क्यूँ खोला मैं ऐसे शर्माई जैसे दुल्हन नई नवेली मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली चली आई मैं अकेली बीकानेर से ओ दारोगा बाबू बोलो जरा दरवज्जा तो खोलो खड़ी हूँ मैं दरवज्जे पे बड़ी देर से मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली