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गिरिजेश राव की कहानी सुजान साँप

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की कहानी " घर और बाहर " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं गिरिजेश राव की कहानी " सुजान साँप ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "सुजान साँप" का कुल प्रसारण समय 13 मिनट 55 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट एक आलसी का चिठ्ठा पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। "पास बैठो कि मेरी बकबक में नायाब बातें होती हैं। तफसील पूछोगे तो कह दूँगा,मुझे कुछ नहीं पता " ~ गिरिजेश राव हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी "यहाँ के लोग सीधे साधे हरगिज नहीं थे। उन्हें मजबूरी की नब्ज़ से खून सोखना बखूबी आता था।" ( गिरिजेश राव की कहानी "सुजा

दबंग सलमान खान "रेड्डी" हैं प्रीतम के साथ एक और संगीत धमाके के लिए

Taaza Sur Taal (TST) - 13/2011 - REDDY दोस्तों एक बार फिर से मैं हाज़िर हूँ एक और नयी फिल्म के संगीत पर अपनी राय लेकर. आज हम बात करेंगें "दबंग" सलमान खान की आने वाली फिल्म – रेड्डी की. टी सिर्रिस के भूषण कुमार ने इस फिल्म के लिए विश्वास जताया है अपने दोस्त प्रीतम पर. और जाहिर प्रीतम ने उन्हें निराश नहीं किया है एक बार फिर, बल्कि अपने पेट्ट गायकों को लेकर शायद इस साल की सबसे बड़ी हिट अल्बम देने में भी कामियाब हुए हैं. चलिए बात करते हैं इस अल्बम के गीतों की. कैरक्टर ढीला अल्बम का पहला गीत है, नीरज श्रीधर और अमृता काक की आवाजों में. अभी हाल ही में अनु मालिक ने इस फूट टेप्पिंग गीत के अंतरे की धुन अपने एक पुराने गीत से मिलता जुलता बताया था. खैर वो ९० का दशक था अनु मालिक का और अब जब प्रीतम की तूती बोल रही हो तो अनु की आवाज़ कौन सुने. खैर गीत का फिल्माकन देख कर लगता है कि सलमान इस गीत के माध्यम से राज कपूर, दिलीप कुमार और धमेन्द्र को टारगेट कर रहे हैं. पर यही तीन कलाकार ही क्यों कोई समझे तो कृपया बताएं. अमिताभ भट्टाचार्य के शब्द कुछ बहत प्रभावी नहीं लगे मुझे पर संगीत बीट्स और संयोजन

भँवरे ने खिलाया फूल, फूल को ले गया राजकुंवर....एक क्लास्सिक गीत जिसका कोई सानी नहीं

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 660/2011/100 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार! गायक गायिकाओं की हँसी का मज़ा लेते हुए 'गान और मुस्कान' लघु शृंखला की अंतिम कड़ी में आज हम आ पहुँचे हैं। इस आख़िरी कड़ी के लिए हमने वह गीत चुना है जिसमें लता जी सब से ज़्यादा हँसती हुई सुनाई देती हैं, यानी कि सबसे ज़्यादा अवधि के लिए उनकी हँसी सुनाई दी है इस गीत में। सुरेश वाडकर के साथ उनका गाया यह है १९८२ की फ़िल्म 'प्रेम-रोग' का गीत "भँवरे ने खिलाया फूल, फूल को ले गया राजकुंवर"। फ़िल्म में सिचुएशन कुछ ऐसा था कि नायिका (पद्मिनी कोल्हापुरी) विवाह की पहली ही रात में विधवा हो जाती है और कुछ ही दिनों में ससुराल को छोड़ कर मायके वापस आने के लिए मजबूर हो जाती है। मायके में भी उसका आदर-सम्मान नहीं होता और एक दुखभरी जीवन गुज़ारने लगती है। ऐसे में उसके चेहरे पर मुस्कान वापस लाता है उसका बचपन का साथी (ऋषी कपूर)। किसी बहाने से जब पद्मिनी ऋषी के साथ घर से बाहर निकलती है, एक अरसे के बाद जब खुली हवा में सांस लेती है, हरे लहलहाते खेतों में दौड़ती-भागती है, ऐसे में किसका मन ख़ुशी के मारे मुस्