ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 593/2010/293 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार और स्वागत है आप सभी का इन दिनों चल रही लघु शृंखला 'पियानो साज़ पर फ़िल्मी परवाज़' में। साल १७९० से लेकर १८६० के बीच मोज़ार्ट के दौर के पियानों में बहुत सारे बदलाव आये, पियानो का निरंतर विकास होता गया, और १८६० के आसपास जाकर पियानो ने अपना वह रूप ले लिया जो रूप आज के पियानो का है। पियानो के इस विकास को एक क्रांति की तरह माना जा सकता है, और इस क्रांति के पीछे कारण था कम्पोज़र्स और पियानिस्ट्स के बेहतर से बेहतर पियानो की माँग और उस वक़्त चल रही औद्योगिक क्रांति (industrial revolution), जिसकी वजह से उत्तम क्वालिटी के स्टील विकसित हो रहे थे और उससे पियानो वायर का निर्माण संभव हुआ जिसका इस्तमाल स्ट्रिंग्स में हुआ। लोहे के फ़्रेम्स भी बनें प्रेसिशन कास्टिंग् पद्धति से। कुल मिलाकर पियानो के टोनल रेंज में बढ़ौत्री हुई। और यह बढ़ौत्री थी मोज़ार्ट के 'फ़ाइव ऒक्टेव्स' से ७-१/४ या उससे भी ज़्यादा ऒक्टेव्स तक की, जो आज के पियानो में पायी जाती है। पियानो की शुरुआती विकास में एक और उल्लेखनीय नाम है ब्रॊडव