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गुमनाम है कोई....जब पर्दों में छुपा हो रहस्य, और भय के माहौल में सुरीली आवाज़ गूंजे लता की

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 496/2010/196 W hen there is nothing to lose, there is nothing to fear. डर मन-मस्तिष्क का एक ऐसा भाव है जो उत्पन्न होता है अज्ञानता से या फिर किसी दुष्चिंता से। 'ओल्ड इस गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार! 'रस माधुरी' शृंखला की छठी कड़ी में आज बातें भयानक रस की। भयानक रस का अर्थ है डर या बुरे की आशंका। ज़ाहिर है कि हमें जितना हो सके इस रस से दूर ही रहना चाहिए। भयानक रस से बचने के लिए ज़रूरी है कि हम अपने आप को सशक्त करें, सच्चाई की तलाश करें और सब से प्यार सौहार्द का रिश्ता रखें। अक्सर देखा गया है कि डर का कारण होता है अज्ञानता। जिसके बारे में हम नहीं जानते, उससे हमें डर लगता है। भूत प्रेत से हमें डर क्यों लगता है? क्योंकि हमने भूत प्रेत को देखा नहीं है। जिसे किसी ने नहीं देखा, उसकी हम भयानक कल्पना कर लेते हैं और उससे डर लगने लगता है। भय या डर हमारे दिमाग़ की उपज है जो किसी अनजाने अनदेखे चीज़ के बारे में ज़रूरत से ज़्यादा ही बुरी कल्पना कर बैठता है, जिसका ना तो कोई अंत होता है और ना ही कोई वैज्ञानिक युक्ति। वैसे कुछ ऐसे भय भी होते हैं जो हमारे लिए अच्छा ह

ई मेल के बहाने यादों के खजाने (१०) - ऐसीच हूँ मैं कहकर इंदु जी जीत लेती हैं सबका दिल

'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है। "आज है २ अक्तुबर का दिन, आज का दिन है बड़ा महान, आज के दिन दो फूल खिले हैं, जिनसे महका हिंदुस्तान, नाम एक का बापू गांधी और एक लाल बहादुर है, एक का नारा अमन एक का जय जवान जय किसान"। समूचे 'आवाज़' परिवार की तरफ़ से हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और महान नेता लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर स्नेह नमन अर्पित करते हुए आज का यह अंक शुरु कर रहे हैं। 'ईमेल के बहाने यादों के ख़ज़ाने', दोस्तों, यह 'आवाज़' का एक ऐसा साप्ताहिक स्तंभ है जिसमें हम आप ही की बातें करते हैं जो आप ने हमें ईमेल के माध्यम से लिख भेजा है। यह सिलसिला पिछले १० हफ़्तों से जारी है और हर हफ़्ते हम आप ही में से किसी दोस्त के ईमेल को शामिल कर आपके भेजे हुए यादों को पूरी दुनिया के साथ बाँट रहे हैं। आज के अंक के लिए हम चुन लाये हैं हमारी प्यारी इंदु जी का ईमेल और उनकी पसंद का एक निहायती ख़ूबसूरत गीत। आइए अब आगे का हाल इंदु जी से ही जानें। ********************************************************** कुछ बड़े प्यारे गाने हैं, ज

ज्योतिषी का नसीब - आर के नारायण

सुनो कहानी: आर के नारायण की "ज्योतिषी का नसीब" 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में कृश्न चन्दर की कहानी एक गधा नेफा में का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध लेखक श्री रासीपुरम कृष्णास्वामी अय्यर नारायणस्वामी (आर. के. नारायण) की एक प्रसिद्ध कहानी (An Astrologer's Day) का हिन्दी अनुवाद "ज्योतिषी का नसीब" जिसको स्वर दिया है कविता वर्मा ने। आशा है आपको पसंद आयेगी। कहानी का कुल प्रसारण समय 14 मिनट 18 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। पद्म भूषण आर के नारायण (1906-2001) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी आर के नारायण ने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर अपनी रचनाएं की। " पूरी जगह दुकानों की