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चोरी चोरी आग सी दिलमें लगाकर चल दिए...सुलोचना कदम की मीठी शिकायत याद है क्या ?

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 331/2010/31 सं गीत रसिकों, 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक और महफ़िल में आप सभी का हम हार्दिक स्वागत करते हैं। दोस्तों, यह सच है कि आकाश की सुंदरता सूरज और चांद से है, लेकिन सिर्फ़ ये ही दो काफ़ी नहीं। इनके अलावा भी जो असंख्य झिलमिलाते और टिमटिमाते सितारे हैं, जिनमें से कुछ उज्जवल हैं तो कुछ धुंधले, इन सभी को एक साथ लेकर ही आकाश की सुंदरता पूरी होती है। कुदरत का यही नमूना फ़िल्म संगीत के आकाश पर भी लागू होता है। जहाँ एक तरफ़ लता मंगेशकर और आशा भोसले एक लम्बे समय से सूरज और चांद की तरह फ़िल्म जगत में अपनी रोशनी बिखेर रहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ़ बहुत सारी ऐसी गायिकाएँ भी समय समय पर उभरीं हैं जिनका नाम ज़रा कम हुआ, या फिर युं कहिए कि प्रतिभाशाली होते हुए भी जिन्हे गायन के बहुत ज़्यादा मौके नहीं मिले। लेकिन इन सभी कमचर्चित गायिकाएँ कुछ ऐसे ऐसे गानें गाकर गईं हैं कि ना केवल ये गानें उनकी पहचान बन गई बल्कि उनका नाम भी फ़िल्म संगीत के इतिहास में सम्माननीय स्तर पर दर्ज करवा दिया। आज फ़िल्म संगीत का आकाश इन सभी सितारों के गाए गीतों से झिलमिला रही हैं। इन कमचर्चित गायिकाओं

दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना ढाल.....साबरमती के संत को याद कर रहा है आज आवाज़ परिवार

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 330/2010/30 आ ज है ३० जनवरी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का बलिदान दिवस। बापु के इस स्मृति दिवस को पूरा देश 'शहीद दिवस' के रूप में पालित करता है। बापु के साथ साथ देश के उन सभी वीर सपूतों को श्रद्धांजली अर्पित करने और सेल्युट करने का यह दिन है जिन्होने इस देश की ख़ातिर अपने प्राण न्योछावर कर दिए हैं। 'आवाज़' और 'हिंद युग्म' परिवार की ओर से, और हम अपनी ओर से इस देश पर मर मिटने वाले हर वीर सपूत को सलाम करते हैं, उनके सामने अपना सर झुका कर उन्हे सलामी देते हैं। आइए आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में सुनें कवि प्रदीप का लिखा हुआ वह गीत जो बापु पर लिखे गए तमाम गीतों में लोगों के दिलों में बहुत ही लोकप्रिय स्थान रखता है। आशा भोसले और साथियो की आवाज़ों में फ़िल्म 'जागृति' का यह गीत है "दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती की संत तूने कर दिया कमाल, रघुपति राघव राजा राम"। 'जागृति' १९५४ की फ़िल्म थी 'फ़िल्मिस्तान' के बैनर तले बनी हुई। यह एक देशभक्ति मूलक फ़िल्म थी जिसकी कहानी एक अध्यापक और उनके छात्रों के मधुर

मैं एक बच्चे को प्यार कर रही थी - इस्मत चुगताई

सुनो कहानी: मैं एक बच्चे को प्यार कर रही थी 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में उन्हीं की हिंदी कहानी " गरजपाल की चिट्ठी " का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं इस्मत चुगताई की आत्मकथा ''कागज़ी है पैरहन'' से एक बहुत ही सुन्दर, मार्मिक प्रसंग " मैं एक बच्चे को प्यार कर रही थी ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। अनुराग वत्स के प्रयास से इस प्रसंग का टेक्स्ट सबद... पर उपलब्ध है। कहानी का कुल प्रसारण समय 6 मिनट 15 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। चौथी के जोडे क़ा शगुन बडा नाजुक़ होता है। ~ इस्मत चुगताई (1911-1991) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी मेरे घर शिकायत पहुंची कि मैं चाँदी के भगवान की मूर्ति चुरा रही थी। अम्मा ने