ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 329/2010/29 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' में पिछले तीन दिनो से आप शरद तैलंग जी के पसंद के गाने सुनते आ रहे हैं, जो 'महासवाल प्रतियोगिता' में सब से ज़्यादा सवालों के सही जवाब देकर विजेयता बने थे। आज उनकी पसंद का आख़िरी गीत, और गीत क्या साहब, यह तो ऐसा कल्ट सॊंग् है कि ६५ साल बाद भी लोग इस गीत को भुला नहीं पाए हैं। कुंदन लाल सहगल की आवाज़ में बेहद मक़बूल, बेहद ख़ास, नौशाद साहब की अविस्मरणीय संगीत रचना "जब दिल ही टूट गया, हम जी के क्या करेंगे"। फ़िल्म 'शाहजहाँ' का यह मशहूर गीत लिखा था मजरूह सुल्तानपुरी साहब ने। दोस्तों, अब तक 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में आपने सहगल साहब के कुल दो गीत सुन चुके हैं। एक तो हाल ही में उनकी पुण्यतिथि पर फ़िल्म 'ज़िंदगी' की लोरी " सो जा राजकुमारी " सुनवाया था, और एक गीत हमने आपको फ़िल्म 'शाहजहाँ' से ही सुनवाया था " ग़म दिए मुस्तक़िल " अपने ५०-वें एपिसोड को ख़ास बनाते हुए। लेकिन उस दिन हमने इस फ़िल्म की चर्चा नहीं की थी, बल्कि नौशाद साहब की सहगल साहब पर लिखी हुई कविता से रु-ब-रु क