Skip to main content

Posts

रहमान के बाद अब बाज़ी मारी उस्ताद जाकिर हुसैन ने भी...

भारतीय संगीत की थाप विश्व पटल पर सुनाई दे रही है, लॉस एन्जेलेंस और लन्दन में भारत के दो संगीत महारथियों ने अपने अन्य प्रतियोगियों पर विजय पाते हुए शीर्ष पुरस्कारों पर कब्जा जमाया. जहाँ चार अन्य प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए रहमान ने एक बार फ़िर "स्लम डोग मिलिनिअर" के लिए बाफ्टा (ब्रिटिश एकेडमी ऑफ़ फ़िल्म एंड टेलिविज़न आर्ट) जीता तो वहीँ तबला उस्ताद जाकिर हुसैन ने दूसरी बार ग्रैमी पुरस्कार जिसे संगीत का सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है, पर अपनी विजयी मोहर लगायी.जाकिर ने अपनी एल्बम "ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट" के लिए कंटेम्पररी वर्ल्ड म्यूजिक अल्बम श्रेणी में ये पुरस्कार जीता. गोल्डन ड्रम प्रोजेक्ट में हुसैन ने रॉक बैंड "ग्रेटफुल डेड" के मिकी हार्ट के साथ जुगलबंदी की है और उनका साथ दिया नईजीरियन पर्काशानिस्ट सिकिरू एडेपोजू और जैज़ पर्काशानिस्ट प्युरेटो रिकोन ने. ये इस समूह का और ख़ुद हुसैन का दूसरा ग्रैमी है. पहली बार भी १९९१ में उन्होंने मिकी हार्ट ही के साथ टीम अप कर "प्लेनट ड्रम" नाम का एल्बम किया था जिसे १९९२ में ग्रैमी सम्मान हासिल हुआ था. दूसरी तरफ़

मेरी आवाज ही पहचान है : पंचम दा पर विशेष, (दूसरा भाग)

सत्तर के दशक के बारे में कहते हैं, लोग चार लोगों के दीवाने थे : सुनील गावस्कर,अमिताभ बच्चन, किशोर कुमार और आर डी बर्मन | गावस्कर का खेल के मैदान में जाना, अमिताभ का परदे पर आना और किशोर कुमार का गाना सबके लिए उतना ही मायने रखता था जितना आर डी का संगीत | भारत में लोग संगीत के साथ जीते हैं,आखिरी दम तक संगीत किसी न किसी तरह से हमसे जुड़ा होता है और इस लिहाज से आर डी बर्मन ने हमारे जीवन को कभी न कभी, किसी न किसी तरह छुआ जरुर है | यह अपने आप में आर डी के संगीत की सादगी और श्रेष्ठता दोनों का परिचायक है | किशोर, आर डी और अमिताभ ने क्या खूब रंग जमाया था फ़िल्म "सत्ते पे सत्ता" के सदाबहार गाने में, सुनिए और याद कीजिये - उनके गाने अब तक कितनी बार रिमिक्स,'इंस्पिरेशन' आदि आदि के नाम पर बने हैं, इसके आंकड़े भी मिलना मुश्किल है |आख़िर उनका संगीत पुराना होकर भी उतना ही नया कैसे लगता है, इस बात पर भी गौर करना जरुरी है |आर डी ने कभी भी प्रयोग करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई |वह हमेशा नौजवानों को दिमाग में रख कर धुनें तैयार करते थे, और एक एक धुन पर काफ़ी कड़ी मेहनत करते थे| जब भी उचित लग

सुनिए "इमोशनल अत्याचार" की ये कहानी

सप्ताह की संगीत सुर्खियाँ (11) शास्त्रीय संगीत का किसी अन्य संगीत विधा से कोई मुकाबला नही है - पंडित शिव कुमार शर्मा "येहुदी मेनुहिन कितने महान फनकार थे पर मेडोना या माइकल जेक्सन को हमेशा मीडिया ने अधिक तरजीह दी. ये ट्रेंड पूरी दुनिया का है अकेले भारत का नही. भारतीय शास्त्रीय संगीत को पॉप संस्कृति या फ़िल्म संगीत से भिड़ने की आवश्यकता नही है."- ये कथन थे ५४ वर्षों से भारतीय शास्त्रीय संगीत का परचम अपने संतूर वादन से दुनिया भर में फहराने वाले पंडित शिव कुमार शर्मा जी के. दिल्ली के पुराना किला में अपनी एक और लाइव प्रस्तुति देने आए पंडित जी ने संगीतकार ऐ आर रहमान को बधाई देते हुए कहा कि वो रहमान ही थे जिन्होंने फिल्मों में इलेक्ट्रॉनिक संगीत का ट्रेंड शुरू किया. उनसे पहले के संगीतकार धुन और prelude बनाते थे और बाकी कामों के लिए उन्हें साजिंदों पर निर्भर रहना पड़ता था. यश राज की बहुत सी सफल फिल्मों में साथी पंडित हरी प्रसाद चौरसिया के साथ जोड़ी बनाकर संगीत देने वाले पंडित शिव कुमार शर्मा ने ये पूछने पर कि वो फ़िर से कब फिल्मों में संगीत देंगे, पंडित जी का जवाब था - "फिल्मों