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सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'माँ'

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'माँ' 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शन्नो अग्रवाल की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना ' 'गुल्ली डंडा' ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की अमर कहानी "माँ" , जिसको स्वर दिया है लन्दन निवासी कवयित्री शन्नो अग्रवाल ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 39 मिनट। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८३१-१९३६) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी वह उसका प्यारा पति ही था, किन्तु शोक! उसकी सूरत कितनी बदल गई थी। वह जवानी, वह तेज, वह चपलता, वह सुगठन, सब प्रस्थान कर चुका था।

"केसरिया बालमा..", मांड एक - फनकार अनेक

राजस्थान के राजाओं की रूमानी कहानियों पर आधारित लोक गीत हैं जिन्हें मांड कहा जाता है. रेगिस्तान की मिटटी में रचे बसे इस राग पर जाने कितनी रचनाएँ बनी, जब भी किसी गायक/गायिका ने मांड को स्वर दिया सुनने वालों के जेहन में ऊंठों के गुजरते काफिलों पर गाते बंजारों की यायावरी जीवंत हो गई. मांड ने हमेशा से संगीत प्रेमियों के के दिलों पर राज किया है. देशी- विदेशी सब पर इसने अपना जादू चलाया है. सही मायनों में मांड राजस्थानी लोक संस्कृति की सच्ची पहचान है. मांड के बारे में में संजय पटेल भाई ने हमें जानकारी दी कि पंडित अजय चक्रवर्ती के शोधों के अनुसार मांड के कई रंग होते है,और तक़रीबन सौ तरह की माँडें गाई बजाई जातीं रहीं हैं. "केसरिया बालमा..." की धुन से हर संगीत प्रेमी परिचित है. ये लोक गीत मांड का एक शुद्धतम रूप है. बरसों बरस जाने कितने फनकारों ने इसे अपनी आवाज़ में तराशा. इसे गाने बजाने के मोह से शायद ही कोई बच पाया हो. यहाँ तक कि आज के पॉप गायक/ गायिकाएं भी इसके सम्मोहन में डूबे नज़र आए हैं. चलिए अब बातों को विराम देते हैं और आपको सुनवाते हैं मुक्तलिफ़ गायक /गायिकाओं की आवाज़ में "के

संगीतकार हमेशा गायक से ऊँचा दर्जा रखता है, मानना था ओ पी नैयर का

( पहले अंक से आगे ...) "किस्मत ने हमें मिलाया और किस्मत ने ही हमें जुदा कर दिया....", अक्सर उनके मुँह से ये वाक्य निकलता था. आशा के साथ सम्बन्ध विच्छेद होने के बाद ओ पी का जीवन फ़िर कभी पहले जैसा नही रहा. इस पूरी घटना ने उनके पारिवारिक रिश्तों में भी दरारें पैदा कर दी थी. ये सब उनकी पत्नी, तीन बेटियों और एक बेटे के लिए लगभग असहनीय हो चला था. कुंठा से भरे ओ पी ने किसी साधू की सलाह पर सारी धन संपत्ति, घर (जो लगभग ६ करोड़ का था उन दिनों), गाड़ी, बैंक बैलेंस आदि का त्याग कर सब से अपना नाता तोड़ लिया. पर उनके परिवार ने कभी भी उन्हें माफ़ नही किया....कुछ ज़ख्म कभी नही भरते शायद. 1989 में घर छोड़ने के बाद उन्होंने एक मध्यमवर्गीय महाराष्ट्रीय परिवार के साथ पेइंग गेस्ट बन कर रहने लगे, और मरते दम तक यही उनका परिवार रहा. यहाँ उन्हें वो प्यार और वो सम्मान मिला जिसे शायद उम्र भर तलाशते रहे ओ पी. उस परिवार के एक सदस्या के अनुसार उन्हें अपने परिवार और फ़िल्म इंडस्ट्री के बारे में बात करना बिल्कुल नही अच्छा लगता था. सुरैया, शमशाद बेगम और कभी कभी गजेन्द्र सिंह (स रे गा माँ पा फेम) ही थी जिनसे वो

बरकरार है आज भी ओ पी नैयर के संगीत का मदभरा जादू

जीनिअस संगीतकार ओ पी नैयर की दूसरी पुण्यतिथि पर विशेष - १९५२ में एक फ़िल्म आई थी, -आसमान, जिसमें गीता दत्त ने एक बेहद खूबसूरत गीत गाया था -"देखो जादू भरे मोरे नैन..." यह संगीतकार ओ पी नैयर की पहली फ़िल्म थी, जो पहला गाना इस फ़िल्म के लिए रिकॉर्ड हुआ था वो था "बेवफा जहाँ में वफ़ा ढूँढ़ते रहे..." गायक थे सी एच आत्मा साहब. दो अन्य गीत सी एच आत्मा की आवाज़ में होने थे जो नासिर पर फिल्माए जाने थे और ४ अन्य गीत, गीता ने गाने थे जो नायिका श्यामा पर फिल्मांकित होने थे. फ़िल्म के कुल ८ गीतों में से आखिरी एक गीत जो फ़िल्म की सहनायिका पर चित्रित होना था उसके बोल थे "जब से पी संग नैना लगे...". नैयर ने इस गीत के लिए लता जी को तलब किया पर जब लता जी को ख़बर मिली कि उन्हें एक ऐसा गीत गाने को कहा जा रहा है जो नायिका पर नही फिल्माया जाएगा (ये उन दिनों बहुत बड़ी बात हुआ करती थी) उनके अहम् को धक्का लगा. वो उन दिनों की (और उसके बाद के दिनों की भी) सबसे सफल गायिका थी. लता ने ओ पी के लिए इस गीत को गाने से साफ़ इनकार कर दिया और जब नैयर साहब तक ये बात पहुँची, तो उन्होंने भी एक दृढ़

आनंदम काव्यगोष्ठी की रिकॉर्डिंग

सुप्रसिद्ध कहानीकार उदय प्रकाश के कथापाठ की रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराने के साथ ही हमने वादा किया था कि साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों की साबूत रिकॉर्डिंग हम आपको सुनवाते रहेंगे। इसके बाद हमने हिन्द-युग्म के कार्यक्रम 'कथापाठ-एक विमर्श' की भी रिकॉर्डिंग उपलब्ध करवाई। आज सुनिए साहित्यिक संस्था आनंदम द्वारा प्रत्येक माह के दूसरे रविवार को दिल्ली में आयोजित होने वाली काव्यगोष्ठी के जनवरी अंक की रिकॉर्डिंग। ज़रूर बताइएगा कि आपको कैसा लगा? इस कार्यक्रम के बहुत से हिस्सों की रिकॉर्डिंग ठीक तरह से नहीं हो पाने के कारण उन्हें सम्पादित कर दिया गया है।
वर्ष २००८ के टॉप ५० हिन्दी फिल्मी गीतों की माला हिन्द-युग्म की आवाज़ टीम ने वर्ष २००८ में रीलिज हुई हिन्दी फिल्मों के श्रेष्ठ ५० गीतों की एक माला बनाई है। इस वार्षिक गीतमाला को बनाने में श्रोताओं की राय भी सम्मलित की गई हैं। गीत चुनते वक़्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि ऐसे गीत रखें जायें जिनकी उम्र लम्बी हो। आप भी सुनें और अपने विचार दें॰॰॰ Top 50 Bollywood Songs, Top 50 Hindi Film Songs 2008

रुक जा सुबह तक कि न हो ये रात आखिरी...- मन्ना डे की गैर फिल्मी ग़ज़लें

सुनिए मन्ना डे की ६ दुर्लभ गैर फिल्मी ग़ज़लें मन्ना डे को कामयाबी आसानी से नहीं मिली। वे कहते हैं:"मैं लड़ना जानता हूँ,किसी भी हालात से जूझना सीखा है मैंने। मैंने सारी ज़िन्दगी मेहनत करी है और अब भी कर रहा हूँ। मैंने कभी हार नहीं मानी। संघर्ष में सबसे अच्छी बात होती है कि वो पल जब सब कुछ खत्म होता सा दिखाई पड़ता है उस पल ही कहीं से हिम्मत और आत्मविश्वास सा आ जाता है जो मुझे हारने नहीं देता। शास्त्रीय संगीत में रुचि रखने वाले हों या उससे अनभिज्ञ,सभी को मेरे गाने पसंद आते हैं। मेरी मेहनत, ट्रेंनिंग और अनुशासन की वजह से लोग मुझे विश्व भर में जानते हैं और सम्मान देते हैं।" मन्ना डे को इस बात से दुख नहीं होता कि बाकी गायकों के मुकाबले उन्हें कम मौके मिले। उन्होंने लगभग सभी बड़े संगीतकारों के साथ काम किया है। वे बताते हैं कि कईं बार संगीतकार उनसे गाना गवाना चाहते थे परन्तु हर बार संगीतकार ही निर्णय नहीं लेते। फिल्मी जगत में अभिनेताओं के पसंदीदा गायक हुआ करते हैं और गायक भी उसी कलाकार से पहचाने जाते रहे हैं। जैसे, रफी हमेशा नौशाद की पसंद रहे और उन्होंने दिलीप कुमार के अधिकतर गाने गाये।