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"हौले हौले" से "जय हो"...- सुखविंदर सिंह का जलवा

सुनिए गोल्डन ग्लोब के लिए नामांकित फ़िल्म स्लमडोग मिलनिअर का जबरदस्त गीत "जय हो..." आवाज़ के टीम और श्रोताओं ने मिल कर जिस गीत को साल २००८ का सरताज गीत चुना वो है फ़िल्म "रब ने बना दी जोड़ी" का "हौले हौले..." . हौले हौले से जादू बिखेरने वाले इस गीत को गाया है "छैयां छैयां" से रातों रातों सुपर सिंगर बने सुखविंदर सिंह ने. तब से अब तक हर साल सुखविंदर अपने किसी न किसी गीत के माध्यम से टॉप सूची में रहते ही हैं. जहाँ इसी साल फ़िल्म टशन में उनका गाया "दिल हारा रे..." भी हमारी सूची में अपनी जगह बनने में कामियाब रहा वही बीते सालों पर नज़र डालें तो "दर्द-ऐ-डिस्को", "चक दे इंडिया" और ओमकारा के शीर्षक गीत के अलावा इसी फ़िल्म का "बीडी जलाई ले" खासा लोकप्रिय हुआ था. पर कई मायनों में अगर हम देखें तो "हौले हौले" उनकी परिचित शैली से बिल्कुल अलग तरह का गीत है और पहली बार सुनने पर यकीं ही नही होता कि ये वाकई सुखविंदर का गीत है. और अब हॉलीवुड के सबसे बड़े निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग की फ़िल्म के लिए भी वो गा रहे हैं. ख

सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'नेकी'

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'नेकी' 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शन्नो अग्रवाल की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना ' 'मन्त्र' ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की अमर कहानी "नेकी" , जिसको स्वर दिया है लन्दन निवासी कवयित्री शन्नो अग्रवाल ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 20 मिनट और 13 सेकंड। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८३१-१९३६) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी तखत सिंह ने हीरामणि की तरफ गौर से देखकर जवाब दिया, "मेरे सामने बीस जमींदार आये और चले गये। मगर कभी किसी ने इस तर

कितना है दम नवम्बर के नम्बरदार गीतों में

अक्तूबर के अजयवीरों ने पहले चरण की समीक्षा का समर पार किया अब बारी है नवम्बर के नम्बरदार गीतों की. यहाँ हम आपके लिए, पहले और दूसरे समीक्षक, दोनों के फैसलों को एक साथ प्रस्तुत कर रहे हैं, तो जल्दी से जान लेते हैं कि नवम्बर के इन नम्बरदारों ने समीक्षकों को क्या कहने पर मजबूर किया है. उडता परिन्दा पहले समीक्षक - सुदीप यशराज के ऒल इन वन प्रस्तुति का संगीत पक्ष बेहद श्रवणीय है. संगीत के अरेंजमेंट को भी कम वाद्यों की मदत से मनचाहा इफ़ेक्ट पैदा कर रहा है. प्रख्यात प्रयोगधर्मी संगीतकार एस एम करीम इसी तरह के स्वरों का केलिडियोस्कोप बनाया करते है. लोरी से लगने वाले इस गाने के कोमल बोलों का लेखन भी उतना ही अच्छा हो नहीं पाया है, क्योंकि कई अलग अलग ख्यालात एक ही गीत में डाल दिये गये है. मगर यही तो एक फ़ेंटासी और मायावी स्वप्न नगरी का सपना देख रही नई पीढी़ का यथार्थ है. यही बात गायक सुदीप के पक्ष में जाती है. थोडा कमज़ोर गायन ज़रूर है, जो बेहतर हो सकता था, क्योंकि गायक की रचनाधर्मिता तो बेहद मौलिक और वाद से परे है. गीत - ४, धुन व् संगीत संयोजन - ३.५, आवाज़ व गायकी - ३.५, ओवारोल प्रस्तुति - ३.५.