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संगीत दिलों का उत्सव है - संगीत के नए सत्र की पहली सौगात

मित्रों, आज से आवाज़ पर शुरू हो रहा है, संगीत का एक नया उत्सव," पहला सुर " के कामियाब प्रयोग के बाद संगीत का ये नया सत्र शुरू करते हुए, हिंद युग्म उम्मीद करता है कि इस सत्र में प्रस्तुत होने वाले सभी गीत आपको और अधिक पसंद आयेंगे, जो संगीतकार हमारे साथ पहली एल्बम में जुड़े थे उनके भी संगीत में आप गजब की परिपक्वता देंखेंगे और उससे भी ज्यादा खुशी की बात यह है कि जो नए संगीतकार इस बार जुड़े हैं, सभी नौजवान हैं और बेहद गुणी हैं अपने फन में. संयोगवश जिस गीत को हमने इस सत्र की शुरुवात करने के लिए चुना है, वो भी दस्तक है एक नए युवा संगीतकार जोड़ी की, जो दूर केरल के दो प्रान्तों में रहते हैं और कोयम्बतूर के करुणया महाविद्यालय से b-tech की पढ़ाई कर रहे हैं, इनके नाम है निखिल और चार्ल्स , निखिल के संगीत में जहाँ बारिश में भीगी मिटटी की सौंधी सौंधी महक मिलेगी आपको, तो चार्ल्स के गायन में किसी निर्झर सा प्रवाह, एक और आवाज़ है इस गीत में, गायिका मिथिला की, जिन्होंने बाखूबी साथ दिया है इस जोड़ी का, इस गीत को और खूबसूरत बनाने में, सजीव सारथी के लिखे, इस गीत को अपने एक दोस्त के होम स्टूडियो में

पॉडकास्ट पर संगीतबद्ध गीतों, कवि-सम्मेलनों, बालोपयोगी सामग्रियों और कहानियों का प्रसारण

दोस्तो, हिन्द-युग्म यह संकल्प लेकर चला है कि अपने प्रयासों में दिवस प्रति दिवस गुणात्मक सुधार हो। ३ फरवरी २००८ को पहला म्यूजिक एल्बम 'पहला सुर' रीलिज करने के बाद हिन्द-युग्म अब ऐसे हज़ारों एल्बम निकालने का इरादा रखता है, ताकि हिन्दी और इसके अच्छे साहित्य को अधिक से अधिक पापुलर किया जा सके। आज से अपने इस आवाज़ पृष्ठ पर स्थाई तौर पर ४ स्थाई कार्यक्रम जोड़ रहे हैं। १) प्रत्येक शुक्रवार नये संगीतबद्ध गीत का प्रकाशन २) महीने के अंतिम रविवार को पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का प्रसारण ३) महीने में कम से कम दो बाल-साहित्य के पॉडकास्ट का प्रसारण ४) प्रत्येक माह एक कहानी के पॉडकास्ट का प्रसारण संगीतबद्ध गीत के लिए- संगीतबद्ध गीत के लिए ७ पुराने संगीतकारों के अतिरिक्त हमने ३ नये संगीतकार (सुभोजेत, निखिल/चार्ल्स और अनुरूप) को जोड़ा है जो बहुत से गीतों पर काम कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि हम उभरते हुए गायकों, संगीतकारों और गीतकारों को इस महाअभियान से एक महामंच दे पाये। भविष्य के उदियमान सितारे बनें। इसके लिए हमने जजों की एक खास टीम बनाई है। निर्णायक मंडली में विविध भारती रेडियो के सुप्रसिद्ध रेडियो

आलोक शंकर का रेडियो काव्यपाठ

भारतीय समयानुसार २ जून २००८ की सुबह ८ बजे डैलास, अमेरिका के हिन्दी एफ॰एम॰ रेडियो सलाम नमस्ते पर हिन्द-युग्म के प्रथम यूनिकवि आलोक शंकर का काव्यपाठ और बातचीत प्रसारित किए गये। हमने रिकॉर्ड करने की कोशिश की। हम इस भ्रम में रहे कि पूरा कवितांजलि कार्यक्रम रिकॉर्ड हो रहा है, परंतु तकनीकी असावधानियों के कारण ठीक से रिकॉर्ड नहीं कर सके। हिन्द-युग्म की स्थाई पाठिका रचना श्रीवास्तव ने आलोक शंकर का हौसला बढ़ाने के लिए फोन भी किया, मगर वो भी रिकॉर्ड न हो सका। जितना हो पाया है, आपके समक्ष प्रस्तुत है, ज़रूर बताये कैसा लगा? प्लेयर से न सुन पा रहे हों तो यहाँ से डाऊनलोड कर लें। Kavya-path of Alok Shankar on Radio Salaam Namaste