ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 594/2010/294 'पि यानो साज़ पर फ़िल्मी परवाज़', इन दिनों 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर जारी है यह शृंखला, जिसमें हम आपको पियानो के बारे में जानकारी भी दे रहे हैं, और साथ ही साथ फ़िल्मों से चुने हुए कुछ ऐसे गानें भी सुनवा रहे हैं जिनमें मुख्य साज़ के तौर पर पियानो का इस्तमाल हुआ है। पिछली तीन कड़ियों में हमने पियानो के इतिहास और उसके विकास से संबम्धित कई बातें जानी, आइए आगे पियानो की कहानी को आगे बढ़ाया जाए। साल १८२० के आते आते पियानो पर शोध कार्य का केन्द्र पैरिस बन गया जहाँ पर प्लेयेल कंपनी उस किस्म के पियानो निर्मित करने लगी जिनका इस्तमाल फ़्रेडरिक चौपिन करते थे; और ईरार्ड कंपनी ने बनाये वो पियानो जो इस्तमाल करते थे फ़्रांज़ लिस्ज़्ट। १८२१ में सेबास्टियन ईरार्ड ने आविष्कार किया 'डबल एस्केपमेण्ट ऐक्शन' पद्धति का, जिसमें एक रिपिटेशन लीवर, जिसे बैलेन्सर भी कहा जाता है, का इस्तमाल हुआ जो किसी नोट को तब भी रिपीट कर सकता था जब कि वह 'की' अपने सर्वोच्च स्थान तक अभी वापस पहुंचा नहीं था। इससे फ़ायदा यह हुआ कि किसी नोट को बार बार और तुरंत रिपीट करना