Skip to main content

Posts

Showing posts with the label K.L. Pandey

थाट व राग आसावरी : SWARGOSHTHI – 479 : THAT & RAG ASAVARI

स्वरगोष्ठी – 479 में आज आसावरी थाट के राग – 1 : राग आसावरी   पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर से राग आसावरी में एक रागदारी रचना और हेमन्त कुमार से फिल्मी गीत सुनिए  हेमन्त कुमार  पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी नई श्रृंखला “आसावरी थाट के राग” की पहली कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच स्वरों का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने

राग बरवा : SWARGOSHTHI – 478 : RAG BARAWA

स्वरगोष्ठी – 478 में आज   काफी थाट के राग – 22 : राग बरवा   उस्ताद राशिद खाँ से राग बरवा में एक रागदारी रचना और लता मंगेशकर से फिल्मी गीत सुनिए   उस्ताद राशिद खाँ  लता मंगेशकर  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की बाईसवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच स्वरों का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया थ

राग शुद्ध सारंग : SWARGOSHTHI – 477 : RAG SHUDDH SARANG

स्वरगोष्ठी  – 47 7 में आज काफी थाट के राग –  21  : राग शुद्ध सारंग कौशिकी चक्रवर्ती से राग शुद्ध सारंग में एक रागदारी रचना और तलत महमूद व आशा भोसले से फिल्मी गीत सुनिए Vidushi Kaushiki Chakraborty  Talat Mehmood    “ रेडियो प्लेबैक इण्डिया ”  के साप्ताहिक स्तम्भ  ‘ स्वरगोष्ठी ’  के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की इक्कीसवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र ,  आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध ,  चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं ,  जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं ,  जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्

राग मध्यमाद सारंग : SWARGOSHTHI – 476 : RAG MADHYAMAD SARANG : पण्डित जसराज को श्रद्धांजलि

अष्टछाप गायकी के संवाहक पण्डित जसराज को "रेडियो प्लेबैक इण्डिया" की भावभीनी श्रद्धांजलि   स्वरगोष्ठी – 476 में आज   काफी थाट के राग – 20 : राग मध्यमाद सारंग   पण्डित जसराज से राग मध्यमाद सारंग में एक रागदारी संगीत की रचना और मुकेश से फिल्म का गीत सुनिए  स्मृतशेष पण्डित जसराज मुकेश  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की बीसवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का भरे हुए हृदय से स्वागत करता हूँ। आज का यह अंक भारतीय संगीत के मूर्धन्य सितारे पण्डित जसराज की स्मृतियों को समर्पित है। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट क

राग धानी : SWARGOSHTHI – 475 : RAG DHANI

स्वरगोष्ठी – 475 में आज  काफी थाट के राग – 19 : राग धानी  पण्डित जीतेन्द्र अभिषेकी से राग धानी में एक शास्त्रीय रचना और लता मंगेशकर से फिल्म का गीत सुनिए  जितेन्द्र अभिषेकी  लता मंगेशकर  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की उन्नीसवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ क