tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post9171596402120440642..comments2024-03-28T11:13:07.608+05:30Comments on रेडियो प्लेबैक इंडिया: बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़... कुछ इस तरह जोश की जिंदादिली को स्वर दिया मेहदी हसन नेSajeevhttp://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-59574877523303171522010-06-02T11:46:46.683+05:302010-06-02T11:46:46.683+05:30जोश साहेब की गजल मेंहदी हसन की आवाज़ में काफी अच्छ...जोश साहेब की गजल मेंहदी हसन की आवाज़ में काफी अच्छी लगी...इसमें जो गायब शब्द था वह है ' बदनसीब '...<br>और एक मैं यहाँ बदनसीब हूँ की मेरी उर्दू कमजोर है..इम्प्रूव करने की कोशिश तो जारी है...लेकिन लगता है की हम यहाँ बैक बेंचर थे और वही बने रहेंगे..इसी में ही हमारी और सबकी ख़ुशी / भलाई दिखती है...रोने से क्या फायदा..हम जो है सो हैं...हा हा..अब इस बार तरकश से कोई तीर निकलेगा भी की नहीं..कुछ shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-64852201494825277122010-06-02T13:55:53.134+05:302010-06-02T13:55:53.134+05:30कितना है बदनसीब ज़फर दफ़न के लिएदो गज ज़मीन भी न म...कितना है बदनसीब ज़फर दफ़न के लिए<br>दो गज ज़मीन भी न मिली कूचा -ए-यार में.<br>बहादुर शाह ज़फर <br><br>regardsseema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-68424048661172598922010-06-02T14:07:40.613+05:302010-06-02T14:07:40.613+05:30मिलने थे जहाँ साये , बिछुडे वहां पर हम साहिल पे बद...मिलने थे जहाँ साये , बिछुडे वहां पर हम <br>साहिल पे बदनसीब कोई डूबता गया ।<br>(Shana)seema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-13749954639394749992010-06-02T16:18:00.407+05:302010-06-02T16:18:00.407+05:30विश्व जी आपने अबकी बार मेरी तारीफ कुछ ज्यादा ही कर...विश्व जी आपने अबकी बार मेरी तारीफ कुछ ज्यादा ही कर दी मैं इतना भी लायक नहीं हूँ मैं तो बस थोडा बहुत कोशिश कर लेता हूँ अपने देखा होगा मेरे शेरो मैं शब्द बहुत हलके होते हैं मेरी vocubalary बहुत कमज़ोर है ,,,,लीजिये बदनसीब शब्द पे एक शेर अर्ज़ है <br><br>टूटे मन की दर पे कोई फ़रियाद लाया है <br>कितना बदनसीब है वो जो मेरे पास आया है (स्वरचित )avenindrahttp://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-68067594972273233522010-06-02T17:38:59.944+05:302010-06-02T17:38:59.944+05:30जब दिमाग को थोडा हिलाया-डुलाया तो हमारी भी खोपड़ी ...जब दिमाग को थोडा हिलाया-डुलाया तो हमारी भी खोपड़ी में कुछ आया..और तुरंत हाजिर हो गयी अपना शेर लिख कर पेश करने के लिए..अब इसकी किस्मत पर छोड़ती हूँ की इसको कैसे आँका जायेगा.. <br><br>वो खुशनसीब हैं जिन्हें आता है हँसाना <br>हम हैं बदनसीब जो रोते और रुलाते हैं..<br><br>- शन्नो<br><br>और ये नीलम जी किधर छिपी हैं आज ???????..अभी तक उनका अट्टहास नहीं गूंजा यहाँ पर..हा हा हा...shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-46268847571067362492010-06-03T02:55:02.542+05:302010-06-03T02:55:02.542+05:30This post has been removed by the author.This post has been removed by the author.shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-89592767011593126672010-06-03T04:26:06.467+05:302010-06-03T04:26:06.467+05:30This post has been removed by the author.This post has been removed by the author.shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-30116080552587496292010-06-03T04:28:36.144+05:302010-06-03T04:28:36.144+05:30दो शेर और लिखे हैं...सोचा की इन्हें भी यहाँ लाकर द...दो शेर और लिखे हैं...सोचा की इन्हें भी यहाँ लाकर दाखिल कर दूं :<br><br>बदनसीब वो अमीरी जिसे नींद ना आये<br>गरीबी फुटपाथ पे ख्वाबों में खो जाये. <br><br>कोई भी यहाँ इतना बदनसीब ना हो<br>दोस्ती के नाम पे कोई रकीब ना हो.<br><br>-शन्नोshannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-81620201603975090072010-06-03T10:48:15.819+05:302010-06-03T10:48:15.819+05:30ये रफ़ी साहेब के गाने की पंक्ति हैं ये हमारी बदनसीब...ये रफ़ी साहेब के गाने की पंक्ति हैं <br>ये हमारी बदनसीबी जो नहीं तो और क्या है<br>के उसी के हो गए हम जो न हो सका हमारा <br>रहा गर्दिशों मैं हरदम ......................................avenindrahttp://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-10945240694231469312010-06-03T11:02:51.591+05:302010-06-03T11:02:51.591+05:30aajkal gabbar bahut vyast hai. mauka milte hi aaye...aajkal gabbar bahut vyast hai. mauka milte hi aayega sher ke saath tab tak ke liye khuda haafij .<br><br>shanno ji lagi rahiye raah tarakki par hai.neelupakhihttp://www.blogger.com/profile/13735163212794774442noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-32113841584957472092010-06-03T12:14:52.949+05:302010-06-03T12:14:52.949+05:30@ अरे अवेनिन्द्र जी..कहाँ भागे जा रहे हैं आप इतन...@ अरे अवेनिन्द्र जी..कहाँ भागे जा रहे हैं आप इतनी जल्दी..अधूरा शेर तो पूरा किये जाइये जनाब..काहे को सस्पेंस क्रियेट कर रहे हैं...और आप कभी हँसते क्यों नहीं..?<br><br>@ गब्बर साहिबा नीलम जी...कभी तो रामगढ़ की पहाड़ियाँ आपके अट्टहास से गूँजती हैं और कभी ख़ामोशी में डूबी रहती हैं..ऐसा क्यों ? और आप तो हमरी गुरु निकलीं...हम आपके चेला शक्कर ही रह गये..हा हा..इस बार का अपना हिसाब पूरा हो गया..तन्हा shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-54325087829034013452010-06-05T17:57:13.369+05:302010-06-05T17:57:13.369+05:30गब्बर आजकल मौसी बन गया है ,..........................गब्बर आजकल मौसी बन गया है ,....................................हा हा हा हा हा हा .(अरे बच्चे आये हैं अपनी मौसी के पास )<br>शेर पेश -ए -खिदमत है शन्नो जी.<br><br>बदनसीब ख्याल था ,या कोई ख्वाब था<br> खुशनसीब जहाँ भी था और हमनवा वहाँ भी था<br><br>(gabbar ne khud likha hai )<br> और भाई हमे कोई रथी-महारथी न बनाओ तन्हा जी ,अब आपकी बिमारी का क्या इलाज किया जाय ,इतने सारे लोग गुफ्तगू के लिए फिर भी जनाबneelupakhihttp://www.blogger.com/profile/13735163212794774442noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-22257895695090549372010-06-05T22:01:09.919+05:302010-06-05T22:01:09.919+05:30वाह ! वाह ! नीलम जी, आपने बड़ी धमाकेदार एंट्री मार...वाह ! वाह ! नीलम जी, आपने बड़ी धमाकेदार एंट्री मारी है..और हमारा नाम लेकर शेर पेश करने का आपको तहे दिल से शुक्रिया...एक बात कहूँ..अंग्रेजों के जमाने के जेलर साहब जब भी आते हैं अपनी पतलून में...तो हमेशा सकपकाये से रहते हैं...उन्हें जल्दी पड़ी रहती है जाने की...और अब आपके शेर को देखकर हमें फिर तैश आ गया लिखने पर... और तन्हा जी को अब हमारा एक शेर और झेलना पड़ेगा..खुदा खैर करे.. <br><br>किसी बदनसीब shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-12842453196881389752010-06-06T21:08:57.946+05:302010-06-06T21:08:57.946+05:30जवाब - बदनसीब जीवन में उसके बदनसीब का साया यूँ मड...जवाब - बदनसीब <br><br> जीवन में उसके बदनसीब का साया यूँ मडराया ,<br> आतंक के फाग ने उसके सुहाग को था उजाडा .Manju Guptahttp://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-54551561496317395272010-06-07T10:21:33.867+05:302010-06-07T10:21:33.867+05:30दीपक जी, उर्फ़ तन्हा जी, उर्फ़ विश्व जीगौर फरमाएं...दीपक जी, उर्फ़ तन्हा जी, उर्फ़ विश्व जी<br>गौर फरमाएं कि जो शब्द आपने लिखा है <br><br>या दस-बा-खैर (?) जिसपे कभी थी तेरी नज़र<br>वो दिल किसी से मैंने लगाया नहीं हनोज़<br><br>दस-बा-खैर (?)<br><br>इसे दस्तबख़ैर होना चाहिए था ????????????????????neelupakhihttp://www.blogger.com/profile/13735163212794774442noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-72125467728554630292010-06-08T11:53:39.214+05:302010-06-08T11:53:39.214+05:30शन्नो जी अपने हमसे कहा की हम हँसते नहीं लो जी आज आ...शन्नो जी अपने हमसे कहा की हम हँसते नहीं लो जी आज आप भी हंस लो <br>हमारे इस हँसते हुए शेर पे <br>इक बदनसीब हम जो तू भुला गया हमें <br>इक बदनसीब वो जिसे तेरा साथ मिल गया (स्वरचित )avenindrahttp://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-60439630119695139352010-06-08T21:14:36.285+05:302010-06-08T21:14:36.285+05:30हा हा हा हा ह्ह्ह..अवनींद्र जी, आपका शेर हमारे दिम...हा हा हा हा ह्ह्ह..अवनींद्र जी, आपका शेर हमारे दिमाग को गड़बड़ा गया...समझ न पाये की साथ पाने वाला बदनसीब कैसे बन गया..फिर भी हम हँसे जा रहे हैं...लेकिन माफ़ करियेगा...आपकी हँसी अब भी कहीं नहीं महसूस हुई इस दुख भरे शेर में..( हा हा )....shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.com