tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post7181240387904273037..comments2024-03-28T11:13:07.608+05:30Comments on रेडियो प्लेबैक इंडिया: हमने काटी हैं तेरी याद में रातें अक्सर.. यादें गढने और चेहरे पढने में उलझे हैं रूप कुमार और जाँ निसारSajeevhttp://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-42853655196575237072010-06-30T10:32:28.355+05:302010-06-30T10:32:28.355+05:30और तो कौन है जो मुझको तसल्ली देताहाथ रख देती हैं द...और तो कौन है जो मुझको तसल्ली देता<br>हाथ रख देती हैं दिल पर तेरी बातें अक्सर<br><br>regardsseema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-27394531175024562292010-06-30T10:36:46.500+05:302010-06-30T10:36:46.500+05:30न हुई गर मेरे मरने से तसल्ली न सही इम्तिहां और भी ...न हुई गर मेरे मरने से तसल्ली न सही <br>इम्तिहां और भी बाक़ी हो तो ये भी न सही <br>ग़लत न था हमें ख़त पर गुमाँ तसल्ली का<br>न माने दीदा-ए-दीदारजू तो क्यों कर हो<br>(ग़ालिब )<br>आईना देख के तसल्ली हुई <br>हम को इस घर में जानता है कोई <br>(गुलज़ार )<br>ये तसल्ली है कि हैं नाशाद सब <br>मैं अकेला ही नहीं बरबाद सब <br>(जावेद अख़्तर )<br><br>हर कोई झूठी तसल्ली दे रहा है इन दिनों <br><br>ये शहर रूठा हुआseema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-28075638607509280122010-06-30T11:04:04.352+05:302010-06-30T11:04:04.352+05:30अब चूँकि हम लोगों की राय पूछी गयी है महफ़िल पर..या ...अब चूँकि हम लोगों की राय पूछी गयी है महफ़िल पर..या ये कहिये कि छूट दी गयी है अपने बिचार व्यक्त करने की तो इसीलिए हमने सोचा और सिर्फ इसीलिए ही हम ये लिखने पर मजबूर हो गये जो कहने जा रहे हैं....लेकिन शिकायत के तौर पर नहीं...बल्कि जानकारी के लिये एक सवाल कर रहे हैं कि ये ' घोस्ट ' राईटर का मतलब क्या होता है सर जी, हम अपना सर खुजा रहे हैं पर समझ में नहीं आ रहा है..और फिर आगे पढ़ा तो दिमाग में shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-54673399174486881112010-06-30T15:28:12.189+05:302010-06-30T15:28:12.189+05:30बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शुक्रिया शेर अर्ज़ हैदेखा था ...बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शुक्रिया <br>शेर अर्ज़ है<br>देखा था उसे इक बार बड़ी तसल्ली से <br>उस से बेहतर कोई दूसरा नहीं देखा <br>ज़िन्दगी से मिला हूँ मगर कुछ इस तरह <br>मैंने उसकी उसने मेरी तरफ नहीं देखा (स्वरचित )avenindrahttp://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-221832647165116562010-06-30T17:23:10.446+05:302010-06-30T17:23:10.446+05:30हम से इक बार भी जीता है न जीतेगा कोईवो तो हम जान क...<b>हम से इक बार भी जीता है न जीतेगा कोई<br>वो तो हम जान के खा लेते हैं मातें अक्सर</b><br> जानकारी पूर्ण आलेख! निदा साहब के शब्दों में थोड़ी व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता झलक रही है.Smart Indian - स्मार्ट इंडियनhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-84844616158061508552010-06-30T19:19:48.188+05:302010-06-30T19:19:48.188+05:30जब कबाड़ी घर से कुछ चीज़ें पुरानी ले गयावो मेरे बचपन...जब कबाड़ी घर से कुछ चीज़ें पुरानी ले गया<br>वो मेरे बचपन की यादें भी सुहानी ले गया ।<br>आ गया अखबार वाला हादिसे होने के बाद<br>कुछ तसल्ली दे के वो मेरी कहानी ले गया ।<br>(स्वरचित)शरद तैलंगhttp://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-48758831975448223892010-06-30T21:01:12.598+05:302010-06-30T21:01:12.598+05:30तुम तसल्ली न दो सिर्फ बैठे रहो वक़्त कुछ मेरे मरने...तुम तसल्ली न दो सिर्फ बैठे रहो वक़्त कुछ मेरे मरने का टल जायेगा<br>क्या ये कम है मसीहा के होने से ही मौत का भी इरादा बदल जायेगा<br><br>---कभी रेडियो में जगजीत सिंह की आवाज में सुनी थी शायर का नाम नहीं पता |तनहा जी आप से ही उम्मीद है :)<br><br>वो रुला के हंस न पाया देर तक<br>रो के जब मैं मुस्कुराया देर तक<br>भूखे बच्चों की तसल्ली के लिए<br>माँ ने फिर पानी पकाया देर तक<br><br>---नवाज़ देवबंदी<br><Ashishhttp://www.blogger.com/profile/16762760086516751666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-70726939295296511282010-06-30T22:38:40.681+05:302010-06-30T22:38:40.681+05:30तसल्ली shabd se to koi sher yaad nahi ...jaise he ...तसल्ली shabd se to koi sher yaad nahi ...jaise he yaad aayega mehfil mei fir aayenge........<br><br>tab tak k liye bbye.....sumithttp://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-32780112634794826032010-06-30T23:35:44.606+05:302010-06-30T23:35:44.606+05:30ये तीन शेर खुद के लिखे पेश-ए-खिदमत हैं:१.जब निगाहे...ये तीन शेर खुद के लिखे पेश-ए-खिदमत हैं:<br>१.<br>जब निगाहें बचा के तसल्ली न मिली<br>तो उस गली से गुजरना ही छोड़ दिया.<br>( स्वरचित ) - शन्नो<br>२. <br>सारे जमाने का दर्द है जिसके सीने में<br>वो तसल्ली भी दे किसी को तो कैसे.<br>( स्वरचित ) - शन्नो<br>३.<br>क्यों बेरहम है मुझपर खुदा इतना तो बता <br>मुझे तसल्ली न दे सके तो जख्म भी न दे.<br>( स्वरचित ) - शन्नोshannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-92028242817987691712010-07-01T11:27:46.763+05:302010-07-01T11:27:46.763+05:30tum tasalli na do GULZAR sahab ki hai---Ashishtum tasalli na do GULZAR sahab ki hai<br><br>---AshishAshishhttp://www.blogger.com/profile/16762760086516751666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-30849311175961751812010-07-01T20:28:26.757+05:302010-07-01T20:28:26.757+05:30जवाब -तसल्ली स्वरचित शेर प्रस्तुत है - मेरे ख्वाब...जवाब -तसल्ली <br><br>स्वरचित शेर प्रस्तुत है -<br><br> मेरे ख्वाबों का जनाजा उनकी गली से गुजरा ,<br> बेवफा !तसल्ली के दो शब्द भी न बोल सका .Manju Guptahttp://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-58907276993618537082010-07-01T21:36:40.896+05:302010-07-01T21:36:40.896+05:30कुछ निशान थे बाकी यहाँ कुछ शीशे के टुकड़े थे यह...कुछ निशान थे बाकी यहाँ <br>कुछ शीशे के टुकड़े थे यहाँ <br>अपने मन की तसल्ली को <br>कोई बुहारी लगा गया यहाँ.<br>( स्वरचित ) - शन्नोshannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-47929987583223787262010-07-01T22:29:57.974+05:302010-07-01T22:29:57.974+05:30तसल्ली नहीं थी ,आंसू भी न थेकिस्मत थी किसकी ,किसकी...तसल्ली नहीं थी ,आंसू भी न थे<br>किस्मत थी किसकी ,किसकी वफ़ा थी<br><br>तनहा जी आपके कुछ मित्र के कहने पर आपने जो रोक लगाईं है ,हम नहीं मानने वाले उसके दो कारण हैं :-<br><br>१)आपके वो मित्र हैं तो हम सब कौन हैं ????????????<br>२)कुछ राय मशवरा करने के लायक भी नहीं समझा हम लोगों को<br><br>गब्बर बहुत दुखी है ,आपकी महफ़िल छोड़ने की सोच रहा है ,<br>अलविदा (सभी तनहा जी के मित्रों को )neelamhttp://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-6575607616271498452010-07-02T00:31:34.517+05:302010-07-02T00:31:34.517+05:30शन्नो जी,नीलम जी को सारी कहानी मैं बताऊँ या फिर आप...शन्नो जी,<br>नीलम जी को सारी कहानी मैं बताऊँ या फिर आप बता देंगी? मैंने नियम बनाने का क्यों सोचा... उसका कारण अगर आप हीं नीलम जी को बता दें तो अच्छा रहेगा।<br><br>-विश्व दीपकविश्व दीपकhttp://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-17202704218673861172010-07-02T15:04:10.771+05:302010-07-02T15:04:10.771+05:30ख्यालों में यूँ ही जब कोई आ गया आँसू बहाकर मन तस...ख्यालों में यूँ ही जब कोई आ गया <br>आँसू बहाकर मन तसल्ली पा गया.<br>( स्वरचित ) - शन्नोshannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-88686709239783893702010-07-05T09:42:00.311+05:302010-07-05T09:42:00.311+05:30नीलम जी तसल्ली से कुछ कहना चाहता हूँ जो रोक विश्व ...नीलम जी <br>तसल्ली से कुछ कहना चाहता हूँ जो रोक विश्व जी ने लगायी थी उसके लिए मैं आपका दोषी हूँ आप प्लीस बुरा मत मानियेगा इसमें ऐसी कोई भी इरादतन वजह नहीं थी ये तो इक कोमन प्रॉब्लम बनती जा रही थी इसमें मैं भी शामिल था हमारी आपकी शोले चल ही रही थी बस थोड़ी सी मेरी गलती हुई मुझे लगा की हम लोग इस महफ़िल के वास्तविक उद्देश्य से भटक रहे हैं ! यदि मेरा ऐसा कहना आपको बुरा लगा तो मैं अपने शब्द वापस लेता avenindrahttp://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-83456140373106261062010-07-05T12:58:32.481+05:302010-07-05T12:58:32.481+05:30नहीं नहीं अवनींद्र जी ,१)इस महफ़िल कोई में किसी का ...नहीं नहीं अवनींद्र जी ,<br>१)इस महफ़िल कोई में किसी का कोई क्रम नहीं है सब बराबर हैं (कोई वरिष्टनहीं)<br>२)सोच तो हम भी यही रहे थे पर हम कुछ रोज के लिए बाहर गए( रामगढ़ से ) हुए थे तो लोगों .............<br>३)आप दोषी मत मानिए अपने आप को आपकी शेर'ओ शायरी के लिए सर्वोत्तम जगह है ,<br>४)हम लोग तो बस यूं ही ..........अब शुरूआत में आपको भी ये चुहल बाजी पसंद आई थी ,पर खैर जाने दीजिये आप लिखते रहिये neelamhttp://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-41155214551717937252010-07-05T13:52:47.679+05:302010-07-05T13:52:47.679+05:30हाँ जी, नीलम जी...वेलकम बैक..लवली टू सी यू..सही कह...हाँ जी, नीलम जी...वेलकम बैक..लवली टू सी यू..सही कहा..वरी नाट..वी विल मीट अगेन..टेक केयर. :))))bye..bye..shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.com