tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post655287941921054370..comments2024-03-28T11:13:07.608+05:30Comments on रेडियो प्लेबैक इंडिया: चाहा था एक शख़्स को .....महफ़िल-ए-तलबगार में आशा ताई की गुहारSajeevhttp://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-90999807206267717802009-04-27T12:28:00.000+05:302009-04-27T12:28:00.000+05:30एक अपना ही पुराना याद आया है फिलहाल ,,,सहर पूछे है...एक अपना ही पुराना याद आया है फिलहाल ,,,<br><br>सहर पूछे है शबे ग़म की कहानी मुझसे,<br>क्या कहूँ क्या क्या ज़हर रात पिया है मैंने,<br><br>एक और आया,,,<br>जो तेरा ज़िक्र हो महफ़िल में तेरी बात आये,<br>तेरे ख़याल से सजकर हसीन रात आये,<br><br>एक अपने चचा ग़ालिब का भी,,,,<br><br>जिसे नसीब हो रोजे सियाह मेरा सा<br>वो शख्स दिन न कहे रात को, तो क्यूंकर होmanuhttp://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-41416830281755637182009-04-27T14:08:00.000+05:302009-04-27T14:08:00.000+05:30तन्हा जी, मुझे यह जानकर बहुत ख़ुशी, तसल्ली और ताज्...तन्हा जी, <br>मुझे यह जानकर बहुत ख़ुशी, तसल्ली और ताज्जुब है कि आप लोगों ने मुझे अपनी महफ़िल से एक अच्छा शायर न होने के वावजूद भी अब तक नहीं निकाला. आप मेरा शुक्रिया कबूल करें. खुदाहाफिज़.shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-71716670009522898112009-04-27T15:34:00.000+05:302009-04-27T15:34:00.000+05:30This post has been removed by the author.This post has been removed by the author.poojahttp://www.blogger.com/profile/11762759805938201226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-66039754503714120852009-04-27T15:35:00.000+05:302009-04-27T15:35:00.000+05:30तन्हा जी,"मोहम्मद ज़हुर हासमी" यानि खैय्...तन्हा जी,<br><br>"मोहम्मद ज़हुर हासमी" यानि खैय्याम जी का बहुत ही खूबसूरत परिचय दिया है आपने. और आशा ताई की आवाज़ में एक इंतज़ार भरी ग़ज़ल सुनवाने का शुक्रिया.<br><br><br>"वो दूर गया अपनों की तरह,<br>फिर गैर हुआ सपनों की तरह।"<br><br>किसकी बात कर रहे हैं आप???<br>आज आपकी महफ़िल में हम भी अपना एक शेर अर्ज कर रहे हैं :) -<br><br>कहीं सूरज आकर चुरा ना ले मेरा चाँद,<br>हम रात भर &poojahttp://www.blogger.com/profile/11762759805938201226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-9056601817914056492009-04-27T17:19:00.000+05:302009-04-27T17:19:00.000+05:30तन्हा जी,लता जी की आवाज़ में क्या खूबसूरत ग़ज़ल सुन...तन्हा जी,<br>लता जी की आवाज़ में क्या खूबसूरत ग़ज़ल सुनवाई आपने. बस ऐसे ही अच्छी-अच्छी ग़ज़लें ढूंढ कर सुनवाते रहिये आगे भी. मेरा मन कभी नहीं भर पाता है लता जी की आवाज़ से. (घर पर मेरा भी एक नाम है....unofficial - लता. (बताईएगा मत किसी को भी, खासतौर से मनु जी को वर्ना खिंचाई शुरू हो जायेगी. आज बता रही हूँ पहली बार आपको ही लता जी का जिक्र आने पर.......लेकिन दूर-दूर तक लता जी वाला कोई हुनर नहीं है shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-22780602544917908802009-04-27T17:39:00.000+05:302009-04-27T17:39:00.000+05:30या मेरे खुदा मुझे माफ़ कर. इसके पहले कि कोई समझ या...या मेरे खुदा मुझे माफ़ कर. इसके पहले कि कोई समझ या देख पाये मुझे मेरी गलती का अहसास हो गया, मैंने अपनी गलती जान ली जो धोखे से हो गयी. मेरा मतलब आशा जी से था यहाँ. खामखाह में मेरा राज़ भी खुल गया. या मेरे मौला अब क्या करुँ?shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-87941754256802416942009-04-27T19:21:00.000+05:302009-04-27T19:21:00.000+05:30अब ये ना कह देना के मेरा नाम " आशा " भी ...अब ये ना कह देना के मेरा नाम " आशा " भी है,.........<br><br>::::::::))))))))))))))))))<br><br>असल में आप की है तो हिम्मत ,,क्यूंकि अभी हाल ही में आपने दोहे में हाथ साफ़ किया है,,,,<br><br>होता ये है के दोहे में शायद सभी मात्रायेओं पूरी पूरी गिनी जाती हैं,,,,<br>जब के शायरी में इन्हें अपने हिसाब से जरूरत के अनुसार आप गिरा भी सकती हैं,,,,, अब कहाँ गिरे या कहाँ ना गिरे ,,,ये देखना है,,,,manuhttp://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-58087913855323354012009-04-27T20:23:00.000+05:302009-04-27T20:23:00.000+05:30बड़ा डर लग रहा है ,दिगज्जों के सामने लिखने में ,पर...बड़ा डर लग रहा है ,दिगज्जों के सामने लिखने में ,<br>पर कुछ तो हम भी लिखेंगे ही भला शन्नो जी हमेशा हमसे आगे क्योँ <br><br>रात -ए मौजूं देखा किये , न जाने किन रवानियों में बहते रहे |<br>वो चले ,वो रुके थे ,मगर कदम न जाने क्योँ उनके बढ़ते ही गएneelamhttp://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-17693428463921668522009-04-27T22:04:00.000+05:302009-04-27T22:04:00.000+05:30हाँ, हाँ, हाँ, मनु जी,पता है मुझे कि आपने भी मेरी ...हाँ, हाँ, हाँ, मनु जी,<br>पता है मुझे कि आपने भी मेरी गलती का पता लगा ही लिया आखिर. मैं ही अपनी इस हालत की जिम्मेदार हूँ लेकिन रहम खाकर अब जले पर नमक न छिड़किये. मुझ गरीब पर मेहरबानी करिये. मेरा हाल दूध की जली बिल्ली जैसा हो रहा है जो गरम दूध पीने के बाद जल जाती है और फिर आगे से दूध को फूंक-फूंक कर पीती है. मैंने भी धोखे से गलती कर दी तो क्या हुआ? आगे से संभाल के जबान खुलेगी मेरी. 'बीती ताहि shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-41041014158474750222009-04-27T23:09:00.000+05:302009-04-27T23:09:00.000+05:30ताक झाँक नहीं करने का,एक शेर कहने का बस,,,ताक झाँ...ताक झाँक नहीं करने का,<br>एक शेर कहने का बस,,,<br>ताक झाँक बुरी बात है,,,,,,,( हम जैसों का काम है,,,)<br>ओ,के,manuhttp://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-8881530609194080492009-04-27T23:19:00.000+05:302009-04-27T23:19:00.000+05:30दोहा गाथा से भागकर शे'र नारायण की कथा में आनेव...दोहा गाथा से भागकर शे'र नारायण की कथा में आनेवालों के लिए-<br><br>दिन में नित दोहा लिखें, रोज रात में शेर.<br>केर-बेर के संग सा, होने दें अंधेर. <br><br>और अब बात उन पंक्तियों की जो ऐसे याद आ रही हैं कि भुलाये न बने...लेकिन लिखीं किसने हैं यह पहेली तो आवाज़ उठाने, आवाज़ लगाने और आवाज़ सुनानेवाले ही बताएं-<br><br>रात कली इक खाब में आयी और गले का हार हुई.<br>सुबह को जब हम नींद से जागे आँख आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'http://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-24555159390821361382009-04-27T23:28:00.000+05:302009-04-27T23:28:00.000+05:30लो एक और याद आ गया तो हम क्या करें?....ये रात की त...लो एक और याद आ गया तो हम क्या करें?....<br><br>ये रात की तन्हाईयाँ, ऐसे में तेरा गम.<br>पत्ते कहीं खडके, हवा आयी तो चौकें हम. <br><br>और अब एक और <br><br>मैंने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी.<br>मुझको रातों की सियाही के सिवा कुछ न मिला...आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'http://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-3852092300687771382009-04-28T01:47:00.000+05:302009-04-28T01:47:00.000+05:30ओहो, तो अब पता लगा कि अभी-अभी आप पहेली की कक्षा मे...ओहो, तो अब पता लगा कि अभी-अभी आप पहेली की कक्षा में किस बात पर hint छोड़ कर आये हैं. अब हंसी के मारे मेरे पेट में बल पड़े जा रहे हैं. अब तक मनु जी की बातों से हंसते-हंसते हालत ख़राब रहती थी अब 'सलिल' जी आपकी यह नयी talent (हरकत) मार रही है मुझको. यहाँ तो एक से एक बढ़कर छिपे रुस्तम बैठे हैं. आप नाराज़ ना होइए 'सलिल' जी, मैं दोहा कक्षा को आसानी से नहीं छोड़ने वाली. बस मैं अपने तरीके shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-27366795073649440452009-04-28T02:47:00.000+05:302009-04-28T02:47:00.000+05:30yes, yes, yes. yaad aa gaya.'रात कली एक ख्वाब ...yes, yes, yes. yaad aa gaya.<br><br>'रात कली एक ख्वाब में आई और गले का हार हुई' - फिल्म है 'बुड्ढा मिल गया'<br> <br>और दूसरी वाली लाइन ' सुबह को जब हम नींद से जागे आँख तुम्ही से चार हुई..' कुछ ऐसा याद आ रहा है कि या तो यह खुसरो जी की लिखी है, या फिर शायरों के शायर मनु जी की लिखी हुई है. सलिल जी, अब नंबर देना आपके हाथ में है.shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-23289673419528572012009-04-28T08:57:00.000+05:302009-04-28T08:57:00.000+05:30आचार्य प्रणाम,आप तो शे'र कहने में भी महारथी है...आचार्य प्रणाम,<br>आप तो शे'र कहने में भी महारथी हैं....मजा आ गया,,,,,<br>पर एक कन्फ्यूजन भी के वो शे'र <br>ये उडी उडी सी रंगत.........<br>................तेरी रात का फ़साना<br><br>किसका है,,,,?<br>ये तो मालूम है के बड़ा ही मशहूर शेर है और इसे बचपन से पढता सुनता आया हूँ पर आज तक नहीं पता के किसका है,,,,,,<br>सजीव जी या तनहा जी शायद गूगल सर्च कर के बता सकें,,,<br>हालांकि गालिब को पढा है पर manuhttp://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-51661696478250795462009-04-28T10:21:00.000+05:302009-04-28T10:21:00.000+05:30लीजिये कुछ और...गुलाबी रात की हर बात गुलाबी..गम की...लीजिये कुछ और...<br><br>गुलाबी रात की हर बात गुलाबी..<br><br>गम की अंधेरी रात में खुद को न बेकरार कर<br>सुबह ज़रूर आयेगी, सुबह का इन्तिज़ार कर...आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'http://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-4148602526894822892009-04-28T10:41:00.000+05:302009-04-28T10:41:00.000+05:30मनु जी, जनाब हमको यहां एक आम इंसान ही रहने दीजिये....मनु जी, <br><br>जनाब हमको यहां एक आम इंसान ही रहने दीजिये. मेरी तरफ से आप सबकी खिदमत में दो शेर और: <br><br>किसी खिताब की ना ही ख्वाहिश है ना काबिल हैं उसके <br>बस इस रात की महफ़िल में कुछ लम्हे काटने आ जाते हैं. <br><br>हम तो बस एक रात गुजारने आये थे इस महफ़िल में <br>मोहब्बत मिली इतनी कि हम नादान इसे घर समझ बैठे.shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-20688121565889175072009-04-28T12:35:00.000+05:302009-04-28T12:35:00.000+05:30गुस्ताखी माफ़ हो.तो 'सलिल' जी लीजिये मैं भ...गुस्ताखी माफ़ हो.<br>तो 'सलिल' जी लीजिये मैं भी एक और ताज़ा शेर serve कर रही हूँ: <br><br>सुना था महफिलें सजतीं थीं रात में किसी जमाने में <br>पर अब तो तलबगार किसी भी बख्त चले आते हैं.shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.com