tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post4427738731267995026..comments2024-03-28T11:13:07.608+05:30Comments on रेडियो प्लेबैक इंडिया: क्या टूटा है अन्दर अन्दर....इरशाद के बाद महफ़िल में गज़ल कही "शहज़ाद" ने...साथ हैं "खां साहब"Sajeevhttp://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-53015007221443841542009-09-25T09:53:18.396+05:302009-09-25T09:53:18.396+05:30अपकी ये महफिल बहुत अच्छी लगी धन्यवाद्अपकी ये महफिल बहुत अच्छी लगी धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttp://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-71783017212013867052009-09-25T11:41:37.133+05:302009-09-25T11:41:37.133+05:30प्रश्न १ : कडी २७ / रुना लैला / फ़िल्म एक से बढ कर ...प्रश्न १ : कडी २७ / रुना लैला / फ़िल्म एक से बढ कर एक<br>प्रश्न २ : कडी १९ / अहमद हुसैन मुहम्मद हुसैन/उस्ताद अफ़जल हुसैनशरद तैलंगhttp://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-1401563660009931242009-09-25T12:39:03.871+05:302009-09-25T12:39:03.871+05:30pahle sawal ka jawabफनकार का नाम रुना लैला फिल्म क...pahle sawal ka jawab<br><br>फनकार का नाम रुना लैला <br>फिल्म का नाम एक से बढ कर एक<br>महफिले ग़ज़ल. २७Shamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-74119607221637012812009-09-25T12:41:27.649+05:302009-09-25T12:41:27.649+05:30doosre sawal kaa jawabगायक बंधू अहमद हुसैन मुहम्मद...doosre sawal kaa jawab<br><br>गायक बंधू अहमद हुसैन मुहम्मद हुसैन<br>पिता का नाम. उस्ताद अफ़जल हुसैन<br>महफिले ग़ज़ल. १९Shamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-41508402453226731152009-09-25T12:44:46.627+05:302009-09-25T12:44:46.627+05:30यगाना चंगेजी साहब की ग़ज़ल.मुझे दिल की ख़ता पर &#...यगाना चंगेजी साहब की ग़ज़ल.<br><br>मुझे दिल की ख़ता पर 'यास' शर्माना नहीं आता <br>पराया जुर्म अपने नाम लिखवाना नहीं आता <br><br>बुरा हो पा-ए-सरकश का कि थक जाना नहीं आता <br>कभी गुमराह हो कर राह पर आना नहीं आता <br><br>[पा-ए-सरकश= बात न सुनने वाला पैर] <br><br>मुझे ऐ नाख़ुदा आख़िर किसी को मूँह दिखाना है <br>बहाना कर के तन्हा पार उतर जाना नहीं आता <br><br>मुसीबत का पहाड़ आख़िर किसी दिन कट Shamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-19777382414520680882009-09-25T12:47:57.889+05:302009-09-25T12:47:57.889+05:30हमसुख़न तेशे ने फ़रहाद को शीरीं से किया जिस तरह का...हमसुख़न तेशे ने फ़रहाद को शीरीं से किया <br>जिस तरह का भी किसी में हो कमाल अच्छा है <br><br>mirza galibShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-87925695987455827592009-09-25T12:47:57.888+05:302009-09-25T12:47:57.888+05:30निदा फाज़ली की नज़्मप्यार, नफ़रत, दया, वफ़ा एहसानक़...निदा फाज़ली की नज़्म<br>प्यार, नफ़रत, दया, वफ़ा एहसान<br>क़ौम, भाषा, वतन, धरम, ईमान<br>उम्र गोया...<br>चट्टान है कोई<br>जिस पर इन्सान कोहकन की तरह<br>मौत की नहर....<br>खोदने के लिए,<br>सैकड़ों तेशे<br>आज़माता है<br>हाथ-पाँव चलाये जाता हैShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-33080867639552309142009-09-25T12:51:24.805+05:302009-09-25T12:51:24.805+05:30हाँ इश्क़ मेरा दीवाना ये दीवाना मस्ताना तेशे को बन...हाँ इश्क़ मेरा दीवाना ये दीवाना मस्ताना <br>तेशे को बना कर अपना क़लम लिखेगा नया फ़साना <br><br>annamShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-21727354118131964682009-09-25T18:10:29.449+05:302009-09-25T18:10:29.449+05:30जवाब -तेशे svrchit -सैकड़ों तेशे चलाए थे नींव के लि...जवाब -तेशे svrchit -<br>सैकड़ों तेशे चलाए थे नींव के लिए ,<br>चिन्नी थी दीवार इमारत के लिए .<br>सींची थी लंबी -लंबी दीवार खून पसीने से ,<br>दीवार ढह गयी थी मजदूरों को लिए .<br>मिलावटी समानों से कब्रे बिछ गयी धरा पे <br>मर गये लाल बिना मजदूरी को लिए .Manju Guptahttp://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-17572896077350620252009-09-26T09:03:42.162+05:302009-09-26T09:03:42.162+05:30मुझे दिल की ख़ता पर 'यास' शर्माना नहीं आता...मुझे दिल की ख़ता पर 'यास' शर्माना नहीं आता <br>पराया जुर्म अपने नाम लिखवाना नहीं आता <br><br>बुरा हो पा-ए-सरकश का कि थक जाना नहीं आता <br>कभी गुमराह हो कर राह पर आना नहीं आता <br><br>[पा-ए-सरकश= बात न सुनने वाला पैर] <br><br>मुझे ऐ नाख़ुदा आख़िर किसी को मूँह दिखाना है <br>बहाना कर के तन्हा पार उतर जाना नहीं आता <br><br>मुसीबत का पहाड़ आख़िर किसी दिन कट ही जायेगा <br>मुझे सर मार कर तेशे सेseema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-27098336090657160782009-09-26T09:28:12.350+05:302009-09-26T09:28:12.350+05:30एक हुआ दीवाना एक ने सर तेशे से फोड़ लियाकैसे कैसे ल...एक हुआ दीवाना एक ने सर तेशे से फोड़ लिया<br>कैसे कैसे लोग थे जिनसे रस्म-ए-वफ़ा की बात चली<br>(Munir Niyazi)<br>तेशे बग़ैर मर न सका कोह्कन असद<br>सर्गश्तह-ए ख़ुमार-ए रुसूम-ओ-क़ुयूद था!<br>(anaam)<br>कोह-ए-गम और गराँ, और गराँ और गराँ<br>गम-जूड तेशे को चमकाओ कि कुछ रात कटे<br>(मखदूम मुहीउद्दीन)<br>कड़ी चट्टानों के तेशे से <br>हमने सीने फाड़ दिए हैं <br>चार खूंट रहती दुनिया में <br>हमने झंडे गाड दिए हैंseema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-36376679578094810342009-09-26T09:37:16.906+05:302009-09-26T09:37:16.906+05:301) इश्क ने ऐसा नचाया कि घुंघरू टूट गए........"...1) इश्क ने ऐसा नचाया कि घुंघरू टूट गए........"लैला" की महफ़िल में "क़तील" <br>महफ़िल-ए-ग़ज़ल #२७<br>रूना लैला<br>"एक से बढकर एक"<br>2)आप आएँगे करार आ जाएगा.. .. महफ़िल-ए-चैन और "हुसैन" <br>"उस्ताद अहमद हुसैन" और "उस्ताद मोहम्मद हुसैन", <br>पिता जी "उस्ताद अफ़ज़ल हुसैन जयपुरी<br>महफ़िल-ए-ग़ज़ल #१९<br><br>regardsseema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com