tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post368706989526654952..comments2024-03-28T11:13:07.608+05:30Comments on रेडियो प्लेबैक इंडिया: शततंत्री वीणा से आधुनिक संतूर तक, वादियों की खामोशियों को सुरीला करता ये साज़ और निखरा पंडित शिव कुमार शर्मा के संस्पर्श सेSajeevhttp://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-22629227763613273322011-03-06T15:40:46.730+05:302011-03-06T15:40:46.730+05:30'खमाचा' एक गज-तंत्र-लोक वाद्य है | यह वर्त...'खमाचा' एक गज-तंत्र-लोक वाद्य है | यह वर्तमान परिष्कृत 'सारंगी' का देशज रूप है | यूँ तो थोड़े-बहुत परिवर्तन के साथ देश के कई भागों में लोक वाद्य के रूप में प्रचलित है, किन्तु 'खमाचा' के नाम से राजस्थानी लोक संगीत में संगत वाद्य के रूप में जाना जाता है | राजस्थान के 'माँगनियार' और 'लंगा' जातियों के लोक कलाकार इस लोक वाद्य का प्रयोग करते हैं | परिवार के krishnamohannoreply@blogger.com