tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post3527739798432649786..comments2024-03-28T11:13:07.608+05:30Comments on रेडियो प्लेबैक इंडिया: एक कोने में गज़ल की महफ़िल, एक कोने में मैखाना हो..."गोरखपुर" के हर्फ़ों में जाम उठाई "पंकज" नेSajeevhttp://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-50575429698539489762009-09-15T09:52:02.348+05:302009-09-15T09:52:02.348+05:301)शीशा-ए-मय में ढले सुबह के आग़ाज़ का रंग ....... ...1)शीशा-ए-मय में ढले सुबह के आग़ाज़ का रंग ....... फ़ैज़ के हर्फ़ों को आवाज़ के शीशे में उतारा आशा ताई ने <br>महफ़िल-ए-ग़ज़ल #४०<br>‘फ़ैज़’ <br>उनके मित्र हैदराबाद के सुप्रसिद्ध जनकवि मख़दूम मुहीउद्दीन, जिन्होंने तेलंगाना आंदोलन मे भाग लिया था<br><br>regardsseema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-21570041755366222022009-09-15T09:57:49.076+05:302009-09-15T09:57:49.076+05:302)यह ऎसी प्यास है जिसको मिले मुद्दत से मयखाना........2)यह ऎसी प्यास है जिसको मिले मुद्दत से मयखाना.....महफ़िल-ए-गज़ल और जगजीत सिंह <br>महफ़िल-ए-ग़ज़ल #०६<br>प्यार का पहला ख़त" जिसे लिखा है हस्ती ने और जिसे अपनी साज़ और आवाज़ से सजाया है पद्म भूषण "गज़लजीत" जगजीत सिंह जी ने<br>"फ़ेस टू फ़ेस"<br><br>regardsseema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-63383308726456066772009-09-15T10:05:08.773+05:302009-09-15T10:05:08.773+05:30शहर में ढूँढ रहा हूँ के सहारा दे देकोई हातिम जो मे...शहर में ढूँढ रहा हूँ के सहारा दे दे<br>कोई हातिम जो मेरे हाथ में कासा दे दे <br><br><br>पेड़ सब नंगे फकीरों की तरह सहमे हैं<br>किस से उम्मीद ये की जाए कि साया दे दे <br><br>वक्त की संग-ज़नी नोच गई सारे नक़्श<br>अब वो आईना कहाँ जो मेरा चेहरा दे दे<br>दुश्मनों की भी कोई बात तो सच हो जाए<br>आ मेरे दोस्त किसी दिन मुझे धोखा दे दे <br><br>मैं बहुत जल्द ही घर लौट के आ जाऊँगा<br>मेरी तन्हाई यहाँ कुछ दिनों seema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-58113030995899305192009-09-15T10:10:47.242+05:302009-09-15T10:10:47.242+05:30जब भी तन्हाई से घबरा के सिमट जाते हैं हम तेरी याद ...जब भी तन्हाई से घबरा के सिमट जाते हैं <br>हम तेरी याद के दामन से लिपट जाते हैं<br>सुदर्शन फ़ाकिर <br>तन्हाई की ये कौन सी मन्ज़िल है रफ़ीक़ो<br>ता-हद्द-ए-नज़र एक बयाबान सा क्यूँ है <br>शहरयार <br>कावे-कावे सख़्तजानी हाय तन्हाई न पूछ <br>सुबह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर का <br>ग़ालिब <br>नींद आ जाये तो क्या महफ़िलें बरपा देखूँ <br>आँख खुल जाये तो तन्हाई की seema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-22391809336634949012009-09-15T11:33:03.864+05:302009-09-15T11:33:03.864+05:30sundar gazal ke liye aabhaarsundar gazal ke liye aabhaarनिर्मला कपिलाhttp://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-87993318342807949522009-09-15T13:22:22.816+05:302009-09-15T13:22:22.816+05:30पहेली का जवाब :प्रश्न १ : कडी़ सं. ४० /फ़ैज़ अहमद फ़ै...पहेली का जवाब :<br>प्रश्न १ : कडी़ सं. ४० /फ़ैज़ अहमद फ़ैज़/मख्दूम मुहीउद्दीन/ तेलंगाना आन्दोलन<br><br>प्रश्न २ : कड़ी ६ / जगजीत सिंह / फ़ेस टू फेस<br><br>पिछ्ले कुछ दिनों से नेट कनेक्टीविटी में व्यवधान आ रहा है अत: समय पर नहीं आ पाता हूँ फिर कभी कभी भूल भी जाता हूँ । वैसे भी पिछ्ले कुछ माह से आवाज़ पर मेरा नाम इतनी बार आ गया है कि सोचता हूँ कि और लोगों को भी आगे आना चाहिए इस लिए कुछ आलस भी कर जाता हूँ शरद तैलंगhttp://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-41025515450785480102009-09-15T13:27:46.013+05:302009-09-15T13:27:46.013+05:30मेरी तन्हाई मेरे पास न आती है कभी,जब भी आती है तेर...मेरी तन्हाई मेरे पास न आती है कभी,<br>जब भी आती है तेरी याद भी आ जाती है ।<br> (स्वरचित)शरद तैलंगhttp://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-39888085183676625662009-09-15T18:45:11.493+05:302009-09-15T18:45:11.493+05:30जवाब -तन्हाई स्वरचित शेर -मेरी तन्हाई के गरजते -बर...जवाब -तन्हाई <br>स्वरचित शेर -<br>मेरी तन्हाई के गरजते -बरसते बादल हो ,<br>यादों के आंसुओं से समुन्द्र बन जाते हो .Manju Guptahttp://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-8970017998523887882009-09-16T01:35:38.215+05:302009-09-16T01:35:38.215+05:30वाह ! तन्हा जी, क्या बढ़िया सी जफ़र जी की ग़ज़ल पंकज...वाह ! तन्हा जी, <br>क्या बढ़िया सी जफ़र जी की ग़ज़ल पंकज जी की उदास और दर्द में डूबी आवाज़ में सुनवाई आपने. मयखानों वाली गज़लों को गाने के लिए बेहतरीन आवाज़. बहुत शुक्रिया. सारी दुनिया के ग़मों में सिमटी हुई इक ऐसी आवाज़ जिसे सुनकर खुद भी कुछ देर को उसी आवाज़ में डूबकर सब काम-धाम भूलकर ग़मगीन हो जाओ. <br><br>अब आदत से मजबूर हम भी कुछ लाये हैं जिसे बिना सुनाये नहीं जायेंगें:<br><br>तन्हाई के आलम में shannohttp://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-70257295953569494182009-09-16T07:44:40.182+05:302009-09-16T07:44:40.182+05:30सही लफ्ज़ तन्हाई है. ग़ज़ल रहत इन्दोरी साहब की है....सही लफ्ज़ तन्हाई है. ग़ज़ल रहत इन्दोरी साहब की है.<br><br>मैं बहुत जल्द ही घर लौट के आ जाऊँगा<br>मेरी तन्हाई यहाँ कुछ दिनों पहरा दे देShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-40479181961534415932009-09-16T07:46:26.175+05:302009-09-16T07:46:26.175+05:30मीना कुमार की एक नज़्म ये रात ये तन्हाईये दिल के धड...मीना कुमार की एक नज़्म <br><br>ये रात ये तन्हाई<br>ये दिल के धड़कने की आवाज़<br><br>ये सन्नाटा<br>ये डूबते तारॊं की <br><br>खा़मॊश गज़ल खवानी<br>ये वक्त की पलकॊं पर <br><br>सॊती हुई वीरानी<br>जज्बा़त ऎ मुहब्बत की<br><br>ये आखिरी अंगड़ाई <br>बजाती हुई हर जानिब <br><br>ये मौत की शहनाई <br>सब तुम कॊ बुलाते हैं<br><br>पल भर को तुम आ जाओ<br>बंद होती मेरी आँखों में <br><br>मुहब्बत का<br>एक ख्वाब़ सजा Shamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-69099890263635207102009-09-16T07:48:31.412+05:302009-09-16T07:48:31.412+05:30तेरी ख़ुश्बू का पता करती है मुझ पे एहसान हवा करती ...तेरी ख़ुश्बू का पता करती है <br>मुझ पे एहसान हवा करती है<br>शब की तन्हाई में अब तो अक्सर <br>गुफ़्तगू तुझ से रहा करती है <br><br>parveen shakirShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-54513147871055685752009-09-16T07:48:31.411+05:302009-09-16T07:48:31.411+05:30रात भी तन्हाई की पहली दहलीज़ पे है और मेरी जानिब अ...रात भी तन्हाई की पहली दहलीज़ पे है <br><br>और मेरी जानिब अपने हाथ बढ़ाती है <br><br>सोच रही हूं <br><br>उनको थामूं <br><br>ज़ीना-ज़ीना सन्नाटों के तहख़ानों में उतरूं <br><br>या अपने कमरे में ठहरूं <br><br>चांद मेरी खिड़की पर दस्तक देता है <br><br>parveen shakirShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-7205094729365009292009-09-16T07:51:43.744+05:302009-09-16T07:51:43.744+05:30ख़ुद अपने से मिलने का तो यारा न था मुझ मेंमैं भीड़...ख़ुद अपने से मिलने का तो यारा न था मुझ में<br>मैं भीड़ में गुम हो गई तन्हाई के डर से<br><br>parveen shakirShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-65065112868317439112009-09-16T07:51:43.743+05:302009-09-16T07:51:43.743+05:30कुछ न किसी से बोलेंगेतन्हाई में रो लेंगेहम बेरहबरो...कुछ न किसी से बोलेंगे<br>तन्हाई में रो लेंगे<br><br><br><br>हम बेरहबरों का क्या <br>साथ किसी के हो लेंगे<br><br>ahmad farazShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-15190926372017929192009-09-16T07:51:43.742+05:302009-09-16T07:51:43.742+05:30अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की तुम क्या स...अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की <br>तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की<br><br>qateel shifaiShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-35901112956334639162009-09-16T07:53:19.907+05:302009-09-16T07:53:19.907+05:30अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की तुम क्या स...अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की <br>तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की<br><br>qateel shifaiShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-29159801015308940962009-09-16T07:53:19.906+05:302009-09-16T07:53:19.906+05:30आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तनहाईजाएँ तो कहाँ...आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तनहाई<br>जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे रुसवाईShamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-11529026124096600612009-09-16T08:03:46.839+05:302009-09-16T08:03:46.839+05:30This post has been removed by the author.This post has been removed by the author.Shamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-34214064508316734402009-09-16T14:34:35.586+05:302009-09-16T14:34:35.586+05:30पहले सवाल का सही जवाब है फैज़ अहमद 'फैज़' ...पहले सवाल का सही जवाब है फैज़ अहमद 'फैज़' उनके दोस्त मख़दूम मुहीउद्दीन, जिन्होंने तेलंगाना आंदोलन मे भाग लिया था<br>महफ़िल-ए-ग़ज़ल #४०<br><br>दूसरे सवाल का जवाब है गज़लजीत "जगजीत सिंह" और अल्बम का नाम "फेस टू फेस" <br>महफ़िल-ए-ग़ज़ल #06Shamikh Farazhttp://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.com