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आज १५ बार सर उठा कर गर्व से सुनें-गुनें - राष्ट्रीय गान

"उस स्वतंत्रता के होने का कोई महत्व नहीं है जिसमें गलतियाँ करने की छूट सम्मिलित ना हो"-महात्मा गाँधी.
आवाज़ के सभी श्रोताओं को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें. आज हम आपके लिए लाये हैं एक ख़ास पेशकश. "जन गण मन" के १५ अलग अलग रूप. सबसे पहले सुनिए सामूहिक आवाजों में राष्ट्र वंदन -



31 राज्य, 1618 भाषाएँ, 6400 जातियाँ, 6 धर्म और 29 मुख्य त्योहार लेकिन फिर भी एक महान राष्ट्र।

पंडित हरी प्रसाद चौरसिया -


जन गण मन संस्कृत मिश्रित बंगाली में लिखा गया भारत का राष्ट्रीय गीत है। ये ब्रह्म समाज की एक प्रार्थना के पहले पाँच बन्द हैं जिनके रचियता नोबल पुरस्कार से सम्मानित रविन्द्रनाथ टैगोर हैं।

पंडित भीम सेन जोशी -


सबसे पहले इसे 27 दिसम्बर 1911 को नैशनल कांग्रेस के कलकत्ता सम्मेलन में गाया गया। 1935 में इस गीत को दून स्कूल ने अपने विद्यालय के गीत के रूप में अपनाया।

लता मंगेशकर -


24 जनवरी, 1950 को संविधान द्वारा इसे अधिकारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया। ऐसा माना जाता है कि इसकी वर्तमान धुन को राम सिंह ठाकुर जी के एक गीत से लिया गया है लेकिन इस बारे में विवाद हैं। औपचारिक रूप से राष्ट्रीय गीत को गाने में 48-50 सैकेंड का समय लगता है लेकिन कभी-कभी इसे छोटा कर के सिर्फ इसकी प्रथम और अंतिम पंक्तियों को ही गाया जाता है जिसमें लगभग 20 सैकेंड का समय लगता है ।

उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान, गुलाम मुर्तजा खान और गुलाम कादिर -


भारत ने अपने इतिहास के पिछले 1000 वर्षों में कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया।
भारत ने संख्याओं का आविष्कार किया। आर्यभट ने 'शून्य' का आविष्कार किया।

भूपेन हजारिका और सादिक खान -


संसार का पहला विश्वविद्यालय 700 ई.पूर्व तक्षशिला में बना था। जहाँ संपूर्ण विश्व से आए हुए 10,500 से ज़्यादा विद्यार्थी 60से ज़्यादा विषयों की शिक्षा ग्रहण करते थे। ई.पूर्व चौथी शताब्दी में बना नालंदा विश्विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महान उपलब्धियों में से एक था।
फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए भारत की एक हज़ार साल पुरानी संस्कृत भाषा सबसे उपयुक्त है। आर्युवेद ही चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे पुरानी ज्ञात प्रणाली है।

पंडित जसराज -


कभी भारत की गिनती पृथ्वी के सबसे सपन्न साम्राज्यों में होती थी। पश्चिमी संचार माध्यम आधुनिक भारत को वहाँ फैले राजनीतिक भ्रष्टाचार की वजह से गरीबी से जकड़े हुए पिछड़े देश के रूप में दर्शाते हैं।
यंत्र द्वारा दिशा खोजने की कला का जन्म 5000 वर्ष पूर्व सिंधु नदी के क्षेत्र में हुआ था। असल में 'नेवीगेशन' शब्द संस्कृत के 'नवगति' शब्द से उत्पन्न हुआ है। π के मूल्य की गणना सबसे पहले बौधायन द्वारा की गई थी और उन्होंने ही 'प्रमेय' की अवधारणा को समझाया था। ब्रिटिश विद्वानों ने 1999 में अधिकारिक रूप से प्रकाशित किया कि बौधायन के कार्य यूरोपीय गणितज्ञों के उद्भव से बहुत पहले यानी कि छठीं शताब्दी के हैं।

एस पी बाला सुब्रमण्यम -


'बीजगणित' (Algebra),'त्रिकोणमिति'(Trignometry) और 'कैलकुलस' (Calculus) भारत से ही आए थे, 11वीं शताब्दी में श्रीधराचार्य द्वारा 'द्विघात समीकरण' (Quadratic equations ) का निर्माण किया गया। ग्रीक और रोमन के 106 अंकों के मुकाबले भारतीय 1053 अंकों का प्रयोग करते थे।
अमेरिका के Gemological संस्थान के अनुसार 1896तक सिर्फ भारत ही संपूर्ण विश्व के लिए 'हीरों' का एकमात्र स्रोत था। अमेरिका आधारित IEEE ने शिक्षाविदों में एक सदी से फैले संदेह को दूर करते हुए साबित किया है कि बेतार संचार के अग्रणी मारकोनी नहीं बल्कि प्रोफेसर जगदीश चंद्र बोस थे।

जगजीत सिंह -


सिंचाई के लिए जलाशय और बाँध का निर्माण सबसे पहले सौराष्ट्र में हुआ था। शतरंज का आविष्कार भारत में हुआ था। शुश्रुत को शल्य चिकित्सा के पितामह के रूप में जाना जाता है। 2600 वर्ष पहले उनके तथा समकालीन चिकित्सा विज्ञानियों द्वारा Rhinoplasty, सिज़ेरियन वर्ग, मोतियाबिन्द, टूटी हड्डियों और पेशाब की पत्थरियों से सबंधित शल्य क्रियाएँ की गईं। मूर्छित कर इलाज करने की कला का प्राचीन भारत में बखूबी प्रयोग किया जाता था।
जब दुनिया की कई संस्कृतियाँ सिर्फ घुमंतू जीवन व्यतीत करती थी, तब 5000 साल पहले भारतीयों ने सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की। मूल्य प्रणाली (Place Value System) तथा दशमलव प्रणाली (Decimal System) को 100 ई.पूर्व भारत में विकसित किया गया था।

बेगम परवीन सुल्ताना -


अल्बर्ट आइंस्टीन- "हम भारतीयों के बहुत ज़्यादा ऋणी हैं कि उन्होंने हमें गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी लाभप्रद वैज्ञानिक खोज मुमकिन नहीं हो पाती।"

डा. बाला मुरलीकृष्णा -


मार्क ट्वाईन- "मानव जाति का उद्भव भी भारत में हुआ, वाक् कला भी सबसे पहले यहीं पनपी, इतिहास का निर्माण भी यहीं से हुआ, दंतकथाएँ भी यहीं से जन्मी और महान परंपराएँ भी यहीं से प्रारंभ हुई।"

उस्ताद अमजद अली खान, अमन अली बंगेश और अयान अली बंगेश-


रोमेन रोलॉन्ड (एक फ्रांसीसी विद्वान)- अगर पृथ्वी के चेहरे पर कोई ऐसा स्थान मौजूद है जहाँ पर जीवित इनसानों के सभी सपनों (जब से उसने उन्हें देखना आरम्भ किया हैं) को उनका घर मिलता है तो वो इकलौती जगह भारत है।

हरिहरन -


हू शिह (अमेरिका में पूर्व चीनी राजदूत)- बिना एक भी सैनिक को सीमा पार भेजे भारत ने 20 शताब्दियों तक सांस्कृतिक तौर पर चीन पर अपना प्रभुत्व तथा कब्ज़ा जमाए रखा।

उस्ताद सुलतान खान -


फ्रेंकलिन पी. एडम्स- भारत की एक परिभाषा 'गणतंत्र' भी है।

पंडित शिव कुमार शर्मा और राहुल शर्मा -


सच्चा गणतंत्र- पुरुषों को उनके अधिकारों से अधिक और कुछ नहीं चाहिए, महिलाओं को उनके अधिकारों से कम कुछ भी नहीं चाहिए।

सभी वाद्यों का सामूहिक उद्घोष -


जय है...जय है...जय है....जय हिंद
.

अनुवाद द्वारा- राजीव तनेजा

Comments

बहुत अच्छा संकलन!
आपको, सभी पाठकों, उनके परिवार एवं मित्रों को भी गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई!
वंदे मातरम!
anitakumar said…
waah badhiya prastuti and great efforts...Congratulations to entire team of Awaaz
बहुत बढ़िया लगा यह ..एक ही जगह इस तरह का संकलन गणतंत्र दिवस की बधाई
शोभा said…
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय भावों से भरे गीत और संदेश देने के लिए साधुवाद।
भाई बहुत ही बढ़िया संकलन पेश किया है। सभी बढ़िया है। राजीव जी ने भी ऐसी जानकारी दी है, जिससे सीना चौड़ा होता है।

गणतंत्र की बधाइयाँ।।
vinodbissa said…
संजीव जी आनंद आ गया .......... इसके लिए मैं आपका आभारी रहूंगा ......... शुभकामनाएं.....
vah vah m kitanaa badhiyaa sankalan.

Ye bahut hi prashansaneey kaarya hai.
Ganatantra divas ki shubhakamanaaye.
pooja said…
विभिन्न साजों और आवाजों में अपना "जन गण मन " सुनकर मन प्रसन्न हो गया . और साथ में दी गई जानकारी से सर गर्व से ऊँचा हो जाता है . बहुत बहुत धन्यवाद.

पूजा अनिल

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