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सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'सौत'

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की लघु कहानी 'सौत'

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना 'बंद दरवाजा' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं मानव मूल्यों को केन्द्र में रखती हुई प्रेमचंद की कहानी "सौत", जिसको स्वर दिया है लन्दन निवासी कवयित्री श्रीमती शन्नो अग्रवाल ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 19 मिनट और 37 सेकंड।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।




मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं
~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी

रजिया को साड़ी की उतनी चाह न थी जितनी रामू और दसिया के आनन्द में
विघ्न डालने की। बोली, "रूपये नहीं थे, तो कल अपनी चहेती के लिए चुंदरी
क्यों लाये? चुंदरी के बदले उसी दाम में दो साड़ियां लाते, तो एक मेरे
काम न आ जाती?" (प्रेमचंद की "सौत" से एक अंश)

नीचे के प्लेयर से सुनें.



#Fifteenth Story, Saut: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2008/14. Voice: Shanno Agrawal

Comments

शन्नो जी की स्वागत है. बहुत बह्डिया प्रस्तुति...बस कहीं कहीं आवाज़ में थोड़ा सा ठहराव अपेक्षित था. पर फ़िर बहुत खूबी से उन्होंने कहानी का समापन किया. कहानी अपने आप में भी बहुत मार्मिक है
shanno said…
Thank you so much Sajeev ji for being the first one to show your appreciation for my story-reading. I feel a bit at ease with myself now to think that some people may like my first effort of story telling(hopefully). I am also grateful to Anurag ji and Mridul ji who gave me this chance. Aur un sabki bhi shukragujaar hoon jinhe meri reading pasand aayi.
shanno said…
And Sajeev ji forgive me for forgetting to congratulate you and the people involved on the success and popularity of 'Tu Ru-Ba-Ru'song.
Best wishes for the future.
शन्नो जी, आवाज़ पर आपका स्वागत है. आपकी यह पहली प्रस्तुति है मगर जिस तरह से आपने प्रेमचंद के परिवेश को जीवंत कर दिया है वह सराहनीय है. बधाई!
shanno said…
SABKO MERA NAMASKAR!
THANK YOU ALL FOR BOOSTIN MY CONFIDENCE.
MAIN HINDYUGM AUR AAP SABHI KI BAHUT HI AABHARI HOON.
शन्नो जी,

कहानी की शुरूआत में आपका वाचन भागता हुआ सा लगता है। शुरू के तीन मिनट की अवधि में आप बहुत जल्दी-जल्दी से पढ़ी हैं। लेकिन उसके बाद आपने आवश्यक गति पकड़ी है। अंत तक आप श्रोता को बाँधे रहती हैं। आगे से कहानियों का रिकॉर्डिंग करें तो कई बार अभ्यास करें और खुद तय करें कि कहाँ ठहरना है, कहाँ भागना है, कहाँ कौन सा भाव डालना है।

हम आपकी दूसरी रिकॉर्डिंग का इंतज़ार करेंगे।
shanno said…
शैलेश जी,
बहुत आभारी हूँ कि आपने मेरी कमियां बतायीं अब कम से कम मैं कोशिश तो कर सकती हूँ कि कहाँ पर सुधारना है अपने आपको.आगे से यदि कोई कहानी पढ़ी तो आपकी दी हुई टिप्स धयान में रक्खूंगी. फिर भी एक राज बताना चाहती हूँ कि मैने क्यों किया ऐसा.वह एह कि सोचा लम्बी कहानी की वजह से यदि मैने आहिस्ता-आहिस्ता पढ़ा तो कहीं लोग ऊब न जायें सुनते-सुनते और फिर प्ल्येर्स ही बंद कर दें.तो कुछ अपराध सा महसूस हुआ.खैर आगे से आपका कहा मानूंगी.
शन्नो
Anonymous said…
wah!!! wah!!!!!!!!!!!
Anonymous said…
hello dear shanno this is micky,shweta and shanky from india(lucknow). We heard ur story in ur voice n it was awesome everyone liked........ :-)
good bye take care and reply......
shanno said…
मिकी, श्वेता और शैन्की,
अच्छा लगा जानकर की आप लोगों ने कहानी सुनने का कष्ट किया और तारीफ़ भी की. धन्यबाद.
हिन्दयुग्म पर दोहा व बाल-उद्यान की तरफ भी झाँकने की यदि कुछ तकलीफ करें तो वहां भी मैं कहीं न कहीं आप लोगों को मिल जाऊंगी ( कवितायें देखिये ). आप जैसे नये पाठकों का हिन्दयुग्म स्वागत करता है ( और मैं भी ).
Anonymous said…
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