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राग पूरियाधनाश्री : SWARGOSHTHI – 375 : RAG PURIYADHANASHRI

स्वरगोष्ठी – 375 में आज राग से रोगोपचार – 4 : दिन के चौथे प्रहर का राग पूरियाधनाश्री उच्चरक्तचाप, धड़कन और अपच का निदान छुपा है पूरियाधनाश्री के स्वरों में पण्डित भीमसेन जोशी उस्ताद अमीर  खाँ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, इस श्रृंखला के लेखक, संगीतज्ञ और इसराज तथा मयूरवीणा के सुविख्यात वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मानव का शरीर प्रकृति की अनुपम देन है। बाहरी वातावरण के प्रतिकूल प्रभाव से मानव के तन और मन में प्रायः कुछ विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के लिए हम विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की शरण में जाते हैं। पूरे विश्व में रोगोपचार की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित है। भारत में हजारों वर्षों से योग से रोगोपचार की परम्परा जारी है। प्राणायाम का तो पूरा आधार ही श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होता है। संगीत में स्वरोच्चार भी श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होते हैं। भारतीय स

मन का उजाला - सीमा सिंह

बोलती कहानियाँ स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने  अनुराग शर्मा  की आवाज़ में विनोद नायक की लघुकथा " दवा और दुआ " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम लेकर आये हैं सीमा सिंह  की सेतु लघुकथा प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित लघुकथा: मन का उजाला , जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। लघुकथा का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 4 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस लघुकथा का गद्य सेतु पत्रिका पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। सीमा सिंह सेतु, दैनिक जागरण, दैनिक ट्रिब्यून, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान, महानगर मेल, शोध-दिशा, हस्ताक्षर, अटूट बंधन, सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन हर सप्ताह सुनिए एक नयी कहानी “मुन्ना, ओ मुन्ना! अरे सो गया क्या?” उसने बेटे को पुकारा, पर कोई प्रत्युत्तर न पा, कमरे में झाँका। ( सीम

राग मधुवन्ती : SWARGOSHTHI – 374 : RAG MADHUVANTI

स्वरगोष्ठी – 374 में आज राग से रोगोपचार – 3 : तीसरे प्रहर का राग मधुवन्ती चरम सीमा तक पहुँची निराशा और चिन्ताविकृति को दूर करने में सहयोगी है राग मधुवन्ती पण्डित रविशंकर लता मंगेशकर ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, इस श्रृंखला के लेखक, संगीतज्ञ और इसराज तथा मयूरवीणा के सुविख्यात वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मानव का शरीर प्रकृत की अनुपम देन है। बाहरी वातावरण के प्रतिकूल प्रभाव से मानव के तन और मन में प्रायः कुछ विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के लिए हम विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की शरण में जाते हैं। पूरे विश्व में रोगोपचार की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित है। भारत में हजारों वर्षों से योग से रोगोपचार की परम्परा जारी है। प्राणायाम का तो पूरा आधार ही श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होता है। संगीत में स्वरोच्चार भी श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होते हैं। भारतीय संगीत में 7