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चित्रकथा - 58: श्रीदेवी के होठों पर कविता कृष्णमूर्ति की आवाज़

अंक - 58 श्रीदेवी के होठों पर कविता कृष्णमूर्ति की आवाज़ "तुम्हें क्या मर जाऊँ तो मर जाऊँ मैं तुम किस काम के..." चली गईं श्रीदेवी! बॉलीवूड की पहली फ़ीमेल सुपरस्टार का दर्जा रखने वाली इस ख़ूबसूरत अभिनेत्री के अचानक इस तरह चले जाने से पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई है। आज ’चित्रकथा’ में श्रीदेवी की ही बातें। श्रीदेवी की लोकप्रियता का अंदाज़ा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके अंतिम संस्कार में 25,000 से भी अधिक लोग शामिल हुए। श्रीदेवी एक सशक्त अदाकारा तो थीं ही, उनकी एक ख़ास बात यह भी थी कि उन पर जो गीत फ़िल्माए जाते, उनमें से अधिकतर अपने ज़माने के सुपरहिट गीत बन जाते। यूं तो उनके लिए सबसे अधिक पार्श्वगायन आशा भोसले ने किया है, लेकिन श्रीदेवी का नाम लेते ही जिस गीत की याद सबसे पहली आती है, वह है "हवा हवाई", जिसकी गायिका हैं कविता कृष्णमूर्ति। कविता जी ने भी श्रीदेवी के लिए बहुत से गाने गायी हैं। तो क्यों ना आज के इस अंक में हम उन गीतों की चर्चा करें जो कविता कृष्णमूर्ति की आवाज़ में सजे थे श्रीदेवी के होठों पर! प्रस्तुत है यह विशेषालेख ’श्रीदेव

राग विभास : SWARGOSHTHI – 359 : RAG VIBHAS

स्वरगोष्ठी – 359 में आज पाँच स्वर के राग – 7 : “साँझ ढले गगन तले…” पण्डित उल्हास कशालकर से राग विभास की बन्दिश और सुरेश वाडकर से फिल्म का गीत सुनिए सुरेश वाडकर  पण्डित उल्हास कशालाकर ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला – “पाँच स्वर के राग” की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों पर चर्चा कर रहे हैं, जिनमें केवल पाँच स्वरों का प्रयोग होता है। भारतीय संगीत में रागों के गायन अथवा वादन की प्राचीन परम्परा है। संगीत के सिद्धान्तों के अनुसार राग की रचना स्वरों पर आधारित होती है। विद्वानों ने बाईस श्रुतियों में से सात शुद्ध अथवा प्राकृत स्वर, चार कोमल स्वर और एक तीव्र स्वर; अर्थात कुल बारह स्वरो में से कुछ स्वरों को संयोजित कर रागों की रचना की है। सात शुद्ध स्वर हैं; षडज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद। इन स्वरों में से षडज और पंचम अचल स्वर माने जाते हैं। शेष में से ऋषभ, गान्धार, धैवत

होली विशेष:: श्रीदेवी पर फ़िल्माया संभवत: एकमात्र होली गीत

होली विशेष : श्रीदेवी पर फ़िल्माया एकमात्र होली गीत "होली आयी रे, आयी रे, रंग बरसे.." ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का नमस्कार! आप सभी को होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ। इस अवसर पर अभिनेत्री श्रीदेवी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए आइए सुनें उन पर फ़िल्माया हुआ सम्भवत: एकमात्र होली गीत। यह गीत है 1979 की फ़िल्म ’सोलवाँ सावन’ का, जो श्रीदेवी की बतौर नायिका पहली हिन्दी फ़िल्म रही। इस गीत को गाया है वाणी जयराम और साथियों ने, गीत लिखा है नक्श ल्यालपुरी ने, और संगीतबद्ध किया है जयदेव ने। प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी  रेडियो प्लेबैक इण्डिया