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बस कुछ प्रतियाँ शेष हैं प्रथम संस्करण के - ’कारवाँ सिने संगीत का - 1931-1947'

प्रिय पाठकों, सुजॉय चटर्जी लिखित पुस्तक ’कारवाँ सिने संगीत का - उत्पत्ति से स्वराज के बिहान तक (1931-1947)' के प्रथम संस्करण के अब बस कुछ ही प्रतियाँ शेष हैं। द्वितीय संस्करण जल्द ही प्रकाशित होगी, पर संभव है कि प्रकाशक इसमें मूल्य वृद्धि करेंगे। अत: आपको यह सूचित किया जाता है कि अगर आप इस पुस्तक के प्रथम संस्करण को प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो शीघ्रातिशीघ्र सुजॉय चटर्जी से ईमेल आइडी  soojoi_india@yahoo.co.in  सम्पर्क करें और इस पुस्तक की प्रति अपने लिए सुरक्षित करें। पुस्तक मूल्य: INR 595.00 (पोस्टल चार्ज सहित)

विविध शैलियों में होली : SWARGOSHTHI – 264 : HOLI SONGS

स्वरगोष्ठी – 264 में आज होली और चैती के रंग – 2 : विविध शैलियों और रागों में होली धमार, ठुमरी और फिल्मी गीत में फागुनी रचनाएँ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी नई श्रृंखला – ‘होली और चैती के रंग’ की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम ऋतु के अनुकूल भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों और रचनाओं की चर्चा कर रहे हैं, जिन्हें ग्रीष्मऋतु के शुरुआती परिवेश में गाने-बजाने की परम्परा है। भारतीय समाज में अधिकतर उत्सव और पर्वों का निर्धारण ऋतु परिवर्तन के साथ होता है। शीत और ग्रीष्म ऋतु की सन्धिबेला में मनाया जाने वाला पर्व- होलिकोत्सव, प्रकारान्तर से पूरे देश में आयोजित होता है। यह उल्लास और उमंग का, रस और रंगों का, गायन-वादन और नर्तन का पर्व है। अबीर-गुलाल के उड़ते बादलों और पिचकारियों से निकलती इन्द्रधनुषी फुहारों के बीच हम ‘स्वरगोष्ठी’ की इन प्रस्तुतियों के माध्यम से फागुन की सतरंगी छटा से सराबोर हो रहे हैं। संगीत के सात स्वर, इन्द्रधनुष के सात

"चिट्ठी आई है वतन से...", कैसे मिला था पंकज उधास को यह गीत?

एक गीत सौ कहानियाँ - 79   ' चिट्ठी आई है वतन से ...'   रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 79-वीं कड़ी में आज जानिए 1986 की फ़िल्म ’नाम’ के मशहूर गीत "चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है..." के बारे में जिसे