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बोलती कहानियाँ' - बदचलन (हरिशंकर परसाई)

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में पुरुषोत्तम पाण्डेय की कहानी " सड़क जाम " का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई का व्यंग्य " बदचलन ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "बदचलन" का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 55 सेकंड है। कहानी का गद्य विकिसोर्स पर उपलब्ध है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया अधिक जानकारी के लिए कृपया हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क करें । मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है। । ~ हरिशंकर परसाई (1922-1995) "बोलती कहानियाँ" में हर सप्ताह सुनें एक नयी कहानी यह बहुत बदचलन, चरित्रहीन आदमी है। जह

मुखड़े पे बिखरे गेसुओं की दास्ताँ

खरा सोना गीत - मुखड़े पे गेसू आ गए  प्रस्तोता - रचिता टंडन  स्क्रिप्ट - सुजोय  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन                    या फिर यहाँ से डाऊनलोड कर सुने  

SWARGOSHTHI – 162 / लोक-रस से पगे चैती गीतों के प्रकार

स्वरगोष्ठी – 162 में आज ग्रीष्म ऋतु के आगमन की अनुभूति कराते लोकगीत चैती, चैता और घाटो ‘नाहीं आवे पिया के खबरिया हो रामा, भावे ना सेजरिया...’      अन्ततः शीत ऋतु का अवसान हुआ और ग्रीष्म ऋतु ने दस्तक भी दे दी है। ऐसे ही सुहाने परिवेश में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज फिर एक बार मौसम के अनुकूल लोकगीतों के स्वर गूँजेंगे। इस नए अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, पिछले अंक में आपने चैत्र मास में गाये जाने वाले चैती गीतों के उपशास्त्रीय और फिल्मी रूप का रसास्वादन किया था। आज के अंक में हम आपसे चैती के लोक स्वरूप की चर्चा करेंगे। दरअसल चैती मूलतः ऋतु प्रधान लोक संगीत की शैली है। लोकजीवन में इस ऋतु प्रधान गीत शैली के तीन रूप, चैती, चैता और घाटो प्रचलित है। पिछले अंक में हम यह उल्लेख कर चुके हैं कि चैत्र मास की नौमी तिथि को रामजन्म का पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही बासन्ती नवरात्र के पहले दिन भारतीय पंचांग के नये वर्ष का आरम्भ भी होता है। इसलिए चैती गीतों में रामजन

आइये आज सम्मानित करें 'सिने पहेली' प्रतियोगिता के विजेताओं को...

'सिने पहेली 'पुरस्कार वितरण सभा 'सिने पहेली' के सभी चाहनेवालों को सुजॉय चटर्जी का एक बार फिर से प्यार भरा नमस्कार। जैसा कि आप जानते हैं कि 'सिने पहेली' के महामुकाबले के अनुसार श्री प्रकाश गोविन्द और श्री विजय कुमार व्यास इस प्रतियोगिता के संयुक्त महाविजेता बने हैं, और साथ ही श्री पंकज मुकेश, श्री चन्द्रकान्त दीक्षित और श्रीमती क्षिति तिवारी सांत्वना पुरस्कार के हक़दार बने हैं। आज के इस विशेषांक के माध्यम से आइये इन सभी विजेताओं को इनके द्वारा अर्जित पुरस्कारों से सम्मानित करें। यह है 'सिने पहेली' प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण अंक। 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की तरफ़ से महाविजेता को मिलता है 5000 रुपये का नकद इनाम। क्योंकि प्रकाश जी और विजय जी संयुक्त महाविजेता बने हैं, अत: यह राशि आप दोनों में समान रूप से विभाजित की जाती है।  श्री प्रकाश गोविन्द को 2500 रुपये की पुरस्कार राशि बहुत बहुत मुबारक़ हो! आपके बैंक खाते पर यह राशि ट्रान्सफ़र कर दी गई है। रेडियो प्लेबैक इंडिया : प्रकाश जी, इस पुरस्कार को स्वीकार

संगीत में उफान और शब्दों में कुछ उबलते सवाल

ताज़ा सुर ताल -2014 - 13 दोस्तों देश भर में चुनावी माहौल गरम है. हर नेता अपने लोकलुभावन नारों से मतदाताओं के दिल जीतने की जुगत में लगा है. गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, मुद्दे सभी वही पुराने हैं, बहुत कुछ बदला पर सोचो तो कुछ भी नहीं बदला, इतने विशाल और समृद्ध देश की संपत्ति पर आज भी बस चंद पूंजीपति फन जमाये बैठे हैं. समाज आज भी भेद भाव, छूत छात जैसी बीमारियों में कैद है. बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा से खिलवाड़ है तो न्याय और सच्चाई की आवाज़ भी कहीं राख तले दबी सुनाई देती है. कितने गर्व से हम गाते आये हैं सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा...  मगर वो सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान आज है कहाँ ? यही वो खौलता सा सवाल है जो गीतकार इरशद कामिल ने फिल्म कांची  के गीत में उठाया है. आज ताज़ा सुर ताल में है इसी गीत की बारी. एकदम नए कलाकारों को लेकर आये हैं दिग्गज निर्माता निर्देशक सुभाष घई. घई साहब अपनी फिल्मों में संगीत पक्ष पर ख़ास पकड़ रखते हैं, लम्बे समय तक उनके चेहेते रहे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और आनंद बक्शी. बख्शी साहब के साथ तो उनका काफी लम्बा साथ रहा, और उन्होंने रहमान से भी उनके लिखे गीतों क

सड़क जाम - पुरुषोत्तम पाण्डे की कहानी, अनुराग शर्मा की ज़ुबानी

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको हिन्दी में मौलिक और अनूदित, नई और पुरानी, प्रसिद्ध कहानियाँ और छिपी हुई रोचक खोजें सुनवाते रहे हैं। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में शंकर पुणतांबेकर की कथा " आम आदमी " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं पुरुषोत्तम पाण्डे की कहानी सड़क जाम जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। पुरुषोत्तम पाण्डेय की कथा लातों का देव आप पहले सुन चुके हैं। कहानी " सड़क जाम " का गद्य पुरुषोत्तम पाण्डेय के ब्लॉग जाले ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 55 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मेरी कहानियों का स्रोत आस-पास समाज में घटित घटनाओं तथा कहीं सुनी-पढ़ी बातें ही होती है। किसी व्यक्ति विशेष को चित्रित नहीं करता हूँ।

चैत्र मास में चैती गीतों का लालित्

स्वरगोष्ठी – 161 में आज लोक संगीत का रस-रंग जब उपशास्त्रीय मंच पर बिखरा ‘चैत मासे चुनरी रंगइबे हो रामा, पिया घर लइहें...’ ‘ रेडियो प्लेबैक इण्डिया ’ के मंच पर साप्ताहिक स्तम्भ ‘ स्वरगोष्ठी ’ के एक नए अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र , एक बार पुनः आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों , आज हम आपसे संगीत की एक ऐसी शैली पर चर्चा करेंगे जो मूलतः ऋतु प्रधान लोक संगीत की शैली है , किन्तु अपनी सांगीतिक गुणबत्ता के कारण इस शैली को उपशास्त्रीय मंचों पर भी अपार लोकप्रियता प्राप्त है। भारतीय संगीत की कई ऐसी लोक - शैलियाँ हैं , जि नका प्रयोग उपशास्त्रीय संगीत के रूप में भी किया जाता है। होली पर्व के बाद , आरम्भ होने वाले चैत्र मास से ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है। इस परिवेश में चैती गीतों का गायन आरम्भ हो जाता है। गाँव की चौपालों से लेकर मेलों में , मन्दिरों में चैती के स्वर गूँजने लगते हैं। आज के अंक से हम आपसे चैती गीतों के विभिन्न प्रयोगों पर चर्चा आरम्भ करेंगे। उत्तर भारत में इस गीत के प्रकारों को चैती , चैता और घाटो के नाम से जान