Skip to main content

Posts

बसन्त ऋतु और राग बसन्त बहार SWARGOSHTHI – 155

स्वरगोष्ठी – 155 में आज ऋतुराज बसन्त का अभिनन्दन राग बसन्त बहार से ‘माँ बसन्त आयो री...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-रसिकों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, पिछली दो कड़ियों से हम आपसे बसन्त ऋतु के रागों की चर्चा कर रहे हैं। बसन्त ऋतु में मुख्य रूप से राग बसन्त और राग बहार गाया-बजाया जाता है। परन्तु इन दोनों रागों के मेल से एक तीसरे राग ‘बसन्त बहार’ की सृष्टि भी होती है, जिसमें राग का स्वतंत्र अस्तित्व भी रहता है और दोनों रागों की छाया भी परिलक्षित होती है। दोनों रागों के सन्तुलित प्रयोग से राग ‘बसन्त बहार’ का वास्तविक सौन्दर्य निखरता है। कभी-कभी समर्थ कलासाधक प्रयुक्त दोनों रागों में से किसी एक को प्रधान बना कर दूसरे का स्पर्श देकर प्रस्तुति को एक नया रंग दे देते हैं। आज के अंक में हम पहले इस राग का एक अप्रचलित तंत्रवाद्य विचित्र वीणा पर वादन प्रस्तुत करेंगे। इसके बाद अनूठे समूहगान के रूप में 2750 गायक-गायिकाओं के समवेत स्वर में राग बसन्त बहार की प्रस्तुति होगी। आज

10 सेगमेण्ट्स - 100 एपिसोड्स - 43 प्रतियोगी - 'सिने पहेली' का सफ़र अपने अंजाम की तरफ़...

सिने पहेली   नमस्कार, दोस्तों। आज 'सिने पहेली' के 100वें एपिसोड के परिणामों के साथ 10 सेगमेण्ट्स का यह लम्बा सफ़र पूरा हो रहा है। हालाँकि महामुकाबला अभी बाक़ी है, पर 'सिने पहेली' प्रतियोगिता के नियमित एपिसोड्स आज सम्पन्न हो रहे हैं। शुरू से लेकर अब तक इस प्रतियोगिता में कुल 43 प्रतियोगियों ने भाग लिया है। इनमें से कुछ प्रतियोगी शुरू से लेकर अन्त तक जुड़े रहे (जैसे कि प्रकाश गोविन्द और पंकज मुकेश); कुछ प्रतियोगी थोड़े बाद में जुड़े पर अन्त तक जुड़े रहे (जैसे कि विजय कुमार व्यास और चन्द्रकान्त दीक्षित); कुछ खिलाड़ी शुरू से लेकर अन्त तक जुड़े तो रहे पर नियमित रूप से नहीं भाग लिया (जैसे कि इन्दु पुरी गोस्वामी और क्षिति तिवारी); और बाक़ी प्रतियोगी ऐसे रहे जिन्होंने बीच में ही खेल छोड़ दिया। इस तरह से मिले-जुले रूप में इन 43 प्रतियोगियों ने 'सिने पहेली' प्रतियोगिता को सजाया, सँवारा और दिलचस्प बनाया। 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के तरफ़ से मैं आप सभी 43 प्रतियोगियों को धन्यवाद देता हूँ, और उम्मीद करता हूँ कि भव

बॉलीवुड में उतरी नूरां बहनें तो शेखर रव्जिवानी भी पहुंचें माईक के पीछे

ताज़ा सुर ताल # 2014-06 खुद गायक सोनू निगम मानते हैं कि संगीतकार विशाल ओर शेखर न सिर्फ एक बहतरीन संगीतकार जोड़ी है बल्कि दोनों ही बहुत बढ़िया गायक भी है. विशाल तो अन्य बड़े संगीतकारों जैसे शंकर एहसान लॉय और विशाल भारद्वाज के लिए भी गायन कर चुके हैं. आज हम सुनेगें, इस जोड़ी के दूसरे संगीतकार की रूमानी गायिकी. दोस्तों क्या आप जानते हैं कि विशाल दादलानी और शेखर रव्जिवानी को प्यार में कभी कभी  के लिए अलग अलग तौर पर संगीतकार चुना गया था, चूँकि दोनों एक दूसरे से परिचित थे तो इन्होने अपनी अपनी धुनों को एक दूसरे के साथ बांटा और इसी दौरान उन्हें महसूस हुआ कि वो मिलकर कुछ बड़ा धमाल कर सकते हैं. यहीं से शुरुआत हुई विशाल शेखर की ये जोड़ी. ओम शान्ति ओम  के बाद वो शाहरुख के पसंदीदा संगीतकारों में आ गए, और पिछले ही साल चेन्नई एक्सप्रेस  की कामियाबी ने इस समीकरण को और मजबूत कर दिया. शाहरुख के साथ साथ निर्देशक करण जौहर भी उनके खास मुरीद रहे हैं, करण द्वारा निर्मित बहुत सी फिल्मों में विशाल शेखर सुरों का जादू चला चुके हैं. इसी कड़ी की ताज़ा पेशकश है हँसी तो फँसी  जहाँ विशाल शेखर के साथ जुड़े हैं गीतकार

सुर, स्वर ओर शब्दों का अनूठा मेल है ये युगल गीत

खरा सोना गीत # तेरे सुर ओर मेरे गीत  प्रस्तोता - रचेता टंडन स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

'काली घोड़ी द्वारे कड़ी...' : एक रोचक रागमाला गीत

प्लेबैक इण्डिया ब्रोडकास्ट रागो के रंग, रागमाला गीत के संग – 5  राग काफी, मालकौंस और भैरवी के माध्यम से क्रमशः विकसित होते प्रेम की अनुभूति कराता रागमाला गीत ‘काली घोड़ी द्वारे खड़ी...’ से लेकर ‘काली घोड़ी दौड़ पड़ी...’ तक फिल्म : चश्मेबद्दूर (1981) गायक : येशुदास और हेमन्ती शुक्ला गीतकार : इन्दु जैन संगीतकार : राजकमल आलेख : कृष्णमोहन मिश्र स्वर एवं प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन आपको हमारी यह प्रस्तुति कैसी लगी? अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव से हमें radioplaybackindia@live.com पर अवश्य अवगत कराएँ।  

भटियाली संगीत की मिठास बर्मन दा के साथ

खरा सोना गीत # सुन मेरे बंधू रे  प्रस्तोता - दीप्ती सक्सेना स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

बसन्त ऋतु और राग बहार SWARGOSHTHI – 154

स्वरगोष्ठी – 154 में आज ऋतुराज बसन्त का अभिनन्दन राग बहार से ‘कलियन संग करता रंगरेलियाँ...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-रसिकों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, पिछले अंक में हमने बसन्त पंचमी के उपलक्ष्य मे राग बसन्त के माध्यम से ऋतुराज का स्वागत किया था और भारतीय संगीत के महान रत्न पण्डित भीमसेन जोशी को उनके जन्मदिवस पर स्मरण किया था। आज संगीत-प्रेमियों की इस गोष्ठी में बसन्त ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले एक और राग, बहार की चर्चा होगी। साथ ही पण्डित भीमसेन जोशी को एक बार पुनः उन्हीं की कृति के माध्यम से स्मरण करेंगे। भारतीय संगीत के विश्वविख्यात कलासाधक और सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान ‘भारतरत्न’ से अलंकृत पण्डित भीमसेन जोशी का जन्म भी बसन्त ऋतु में 4 फरवरी, 1922 को हुआ था। बसन्त ऋतु में गाये-बजाये जाने वाले कुछ मुख्य रागों की चर्चा का यह सिलसिला हमने गत सप्ताह से आरम्भ किया है। इस श्रृंखला की अगली कड़ी में आज हम आपसे राग बहार पर चर्चा करेंगे।       पि छले अंक में हमने आ