Skip to main content

Posts

मीरा का एक और पद : विविध धुनों में

स्वरगोष्ठी – 147 में आज रागों में भक्तिरस – 15 ‘श्याम मने चाकर राखो जी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की पन्द्रहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस भक्ति रचना के फिल्म में किये गए प्रयोग भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की पिछली कड़ी में हमने सोलहवीं शताब्दी की भक्त कवयित्री के एक पद- ‘एरी मैं तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द न जाने कोय...’ पर आपके साथ चर्चा की थी। आज की कड़ी में हम मीराबाई के साहित्य और संगीत पर चर्चा जारी रखते हुए एक और बेहद चर्चित पद- ‘श्याम मने चाकर राखो जी...’ सुनवाएँगे। इस भजन को विख्यात गायिका एम.एस. शुभलक्ष्मी, वाणी जयराम, लता मंगेशकर और चौथे दशक की एक विस्मृत गायिका सती देवी ने गाया है। इन चारो गायिकाओं ने मीरा का एक ही पद अलग-अलग धुनों में गाया है। आप इस भक्तिगीत के चारो स

'सिने पहेली' में आज फ़िल्मी सितारों का महाकुंभ

सिने पहेली –93 & 94 फ़िल्मी पहेलियों को सुलझाने में दिलचस्पी रखते वाले तमाम साथियों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार और बहुत बहुत स्वागत 'सिने पहेली' में। दोस्तों, जिस तरह से पिछली बार हमने दो कड़ियों को एक साथ मिलाकर 'सिने पहेली' के 92 और  93 वे  अंक प्रस्तुत किए थे, उसी प्रकार आज भी हम 'सिने पहेली' - 93  और 94 पेश कर रहे हैं। कारण? जी मामला कुछ ऐसा है कि अगले शनिवार 'सिने पहेली' का प्रसारण संभव नहीं हो सकेगा। इसलिए आज हम 10 के बजाय 20 अंकों के सवाल इकट्ठा पूछ लेंगे और आपको इस बार एक के बजाय दो सप्ताह का समय भी दिया जा रहा है अपने जवाब भेजने का। तो चलिए शुरू करते हैं आज की 'सिने पहेली'। आज की पहेली : गीत एक सितारे अनेक नीचे पाँच चित्र दिये गये हैं। हर चित्र में पाँच फ़िल्मी सितारे मौजूद हैं। आपको इन सितारों को ध्यान में रखते हुए हर चित्र के लिए एक फ़िल्मी गीत सुझाना है और साथ में तर्क भी देना है कि किस तरह से इन पाँच सितारों को आपने एक गीत में बाँधा है। यानी पाँच सवालों के लिय

आशिक की कराह कहीं तो कहीं राँझना का जश्न - पायदान ११ और १० पर

पायदान # ११ - सुन रहा है न तू  पायदान # १० - राँझना हुआ मैं तेरा  

तेरे मेरे बीच में है लाल इश्क, कह रहे हैं पायदान संख्या १३ और १२ पर ये गीत

पायदान # १३ तेरे मेरे बीच में  पायदान # १२ लाल इश्क 

कुछ नसीयत तो कुछ निदामत, पायदान संख्या १५ और १४ पर

पायदान # १५ - मत आजमा रे  पायदान # १४ - मोंटा रे 

पायदान संख्या १७ और १६ पर है एकछत्र राज आज के पंचम अमित त्रिवेदी का

पायदान # १७ - मुरब्बा  पायदान # १६ - माँजा 

विविध रागों में निबद्ध मीरा का एक भक्तिपद

स्वरगोष्ठी – 146 में आज रागों में भक्तिरस – 14 ‘एरी मैं तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द न जाने कोय...’   ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की चौदहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, जारी श्रृंखला के अन्तर्गत अब तक हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर चुके हैं। साथ ही उस राग पर आधारित फिल्म संगीत के उदाहरण भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में हम कुछ बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। आज हम आपको भक्त कवयित्री मीराबाई का एक भजन प्रस्तुत करेंगे जिसे अलग-अलग गायिकाओं के स्वरों में और विभिन्न रागों में पिरोया गया है। हम आपको मीरा का यह कृष्णभक्ति से परिपूर्ण पद क्रमशः गायिका वाणी जयराम, लता मंगेशकर, गीता दत्त और सुमन कल्याणपुर की आवाज़ों में सुनवाएँगे। एक ही भजन को चार अलग-अलग आवाज़ों और धुनों में सुन कर आपको भजन की भावभिव्यक्ति और रस की ग्राह्यता में अन्तर करने का अव