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फटा पोस्टर निकली पहेली

सिने पहेली – 89 'सिने पहेली' के सभी प्रतियोगियों औ़र पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, फ़िल्म निर्माण के तमाम पहलुओं में एक महत्वपूर्ण पहलु होता है फ़िल्म के पोस्टर्स। जी हाँ, किसी भी फ़िल्म के प्रचार-प्रसार में उसके पोस्टर्स का महत्वपूर्ण योगदान होता है। आज के ज़माने में भले इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से फ़िल्म का प्रचार किया जाता है, पर पुराने ज़माने में ये पोस्टर्स ही फ़िल्म के प्रचार-प्रसार के मुख्य ज़रिये हुआ करते थे। और बहुत सी फ़िल्मों के पोस्टर्स तो फ़िल्म की पहचान ही बन गये थे। आज की 'सिने पहेली' में हमने कुछ लोकप्रिय फ़िल्मों के पोस्टर्स पेश करने की कोशिश की है, और आपको ये फ़िल्में पहचाननी हैं। देखते हैं आप कितने फ़िल्मी हैं! आज की पहेली : फटा पोस्टर निकली पहेली नीचे दिये हुए फ़िल्मी पोस्टरों को ध्यान से देखिये और फ़िल्में पहचानिये। उपर पूछे गए सवालों के जवाब एक ही ई-मेल में टाइप करके cine.paheli@yahoo.com के पते पर भेजें। 'टिप्पणी' में जवाब कतई न लिखें, वो

'गन्दी बात' में भी बहुत कुछ अच्छा है प्रीतम दा के साथ

बॉ लीवुड में दक्षिण की सफल फिल्मों का रिमेक जोरों पे जारी है. सभी बड़े सुपर स्टार जैसे सलमान, अजय देवगन, अक्षय कुमार आदि इन फिल्मों से सफलता का स्वाद चख चुके हैं, अब शाहिद कपूर भी आ रहे हैं रेम्बो राजकुमार बनकर....ओह माफ कीजियेगा आर...राजकुमार बनकर. फिल्म के नाम में रेम्बो का इस्तेमाल वर्जित (कोपीराईट कारणों से) होने के कारण फिल्म के नाम में ये बदलाव करना पड़ा. फिल्म में संगीत है हिट मशीन प्रीतम का, आईये नज़र डालें इस फिल्म के एल्बम पर, और जानें कि संगीत प्रेमियों के लिए क्या है इस एक्शन कोमेडी फिल्म के गीतों में.  एल्बम के पहले तीन गीत पूरी तरह से दक्षिण के तेज रिदम वालों गीतों से प्रेरित हैं. इनमें प्रीतम की झलक कम और दक्षिण के संगीतकारों की छवि अधिक झलकती है. पहला गीत गन्दी बात एक मस्त मलंग गीत है जिसकी ताल और धुन इतनी जबरदस्त है कि सुनकर कोई भी खुद को कदम थिरकाने से नहीं रोक पायेगा. अनुपम अमोद के शब्द चटपटे हैं और कुछ पारंपरिक श्रोताओं को आपत्तिजनक भी लग सकते हैं. मिका की आवाज़ इस गीत के लिए एकदम सही चुनाव है पर गीत का सुखद आश्चर्य है कल्पना पटोवरी की जोशीली आवाज़ जिसने मि

‘दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे...’ : राग केदार में भक्तिरस

  स्वरगोष्ठी – 144 में आज रागों में भक्तिरस – 12 राग केदार के स्वरों से अभिसिंचित एक कालजयी भक्तिगीत ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की बारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, जारी श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस राग पर आधारित फिल्म संगीत के उदाहरण भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में हम आपसे राग केदार में उपस्थित भक्तिरस पर चर्चा करेंगे। आपके समक्ष इस राग के भक्तिरस-पक्ष को स्पष्ट करने के लिए हम तीन भक्तिरस से पगी रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे। सबसे पहले हम 1957 में प्रदर्शित फिल्म ‘नरसी भगत’ का राग केदार पर आधारित एक प्रार्थना गीत और इसके बाद पण्डित जसराज के गायन और पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया के बाँसुरी वादन की आकर्षक जुगलबन्दी में एक भजन भी आप सुनेगे।  प न्द्रहवीं शताब्दी के वैष्णव भक्त कवि नरसी मेहता के जीवन पर हिन्दी में दो

मास्टर ब्लास्टर सचिन को सलाम करती है आज की 'सिने पहेली'

सिने पहेली – 88 'सिने पहेली' के सभी प्रतियोगियों औ़र पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, कल सचिन तेन्दुलकर ने अपने जीवन के अन्तिम टेस्ट मैच में बल्लेबाज़ी करते हुए हमेशा के लिए पारी समाप्ति की घोषणा कर दी। इस मास्टर-ब्लास्टर के बारे में और क्या कहें, बस यही कह सकते हैं कि सचिन भारत का गर्व है। 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की तरफ़ से सचिन को ढेरों शुभकामनायें हम देते हैं और आज की 'सिने पहेली' का यह एपिसोड उनके नाम करते हैं। सीधे-सीधे सचिन पर सिनेमा संबंधित सवाल तो नहीं उपलब्ध करा सकते, पर हाँ, क्रिकेट संबंधित फ़िल्मी सवाल ज़रूर पूछ सकते हैं, और हम यह मानते हैं और आप भी यह मानेंगे कि क्रिकेट का ज़िक्र और सचिन का ज़िक्र, एक ही बात है, क्योंकि सचिन ही क्रिकेट है, और क्रिकेट ही सचिन है। तो आइए शुरू करें आज की 'सिने पहेली'। आज की पहेली : खेल खेल में नीचे दिये हुए फ़िल्मी दृश्यों को ध्यान से देखिये और फ़िल्म पहचानिये। उपर पूछे गए सवालों के जवाब एक ही ई

सोनू निगम ने सुर जोड़े 'सिंह साहेब' की ललकार में

स न्नी देओल निर्देशक अनिल शर्मा के साथ जोड़ीबद्ध होकर लौटे हैं एक बार फिर, जिनके साथ वो ग़दर -एक प्रेम कथा , और अपने जैसी हिट संगीतमयी फ़िल्में दे चुके हैं. सिंह साहेब द ग्रेट में अनिल ने चुना है सोनू निगम को जो इस फिल्म के साथ बतौर संगीतकार फिल्मों में अपनी नई पारी शुरू कर रहे हैं, पार्श्वगायन में अपने लिए एक खास मुकाम बना लेने के बाद सोनू ने हालाँकि अपनी एल्बम क्लासीकली माईल्ड में संगीत निर्देशन का जिम्मा उठाया था पर सिंह साहेब उनकी पहली फिल्म है इस नए जिम्मे के साथ. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सोनू ने फिल्म जगत में कदम रखा था बतौर बाल कलाकार फिल्म बेताब से, जो कि सन्नी देओल की भी पहली फिल्म थी बतौर नायक. अब इसे नियति ही कहेंगें कि सोनू की इस नई कोशिश में भी उन्हें साथ मिला है सन्नी पाजी का. एल्बम में कुल ५ गीत हैं जिसमें एक गीत अतिथि संगीतकार आदेश श्रीवास्तव का रचा हुआ है, आईये एक नज़र डालें इस ताज़ा एल्बम में संकलित गीतों पर.  शीर्षक गीत में सोनू ने अपने 'कम्फर्ट ज़ोन' से बाहर आकर पंजाबी लोक गीतों के गायकों के भांति ऊंची पिच पर लेकर गाया है और उनका ये प्

शोभना चौरे की लघुकथा करवा चौथ

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने हरिकृष्ण देवसरे की कहानी " बकरी दो गाँव खा गई " का पॉडकास्ट अर्चना चावजी की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं इंदौर निवासी कवयित्री व लेखिका शोभना चौरे की लघुकथा " करवा चौथ ", माधवी चारुदत्ता की आवाज़ में। शोभना चौरे की लघुकथा "करवा चौथ" का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 56 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। वेदना तो हूँ पर संवेदना नहीं, सह तो हूँ पर अनुभूति नहीं, मौजूद तो हूँ पर एहसास नहीं, ज़िन्दगी तो हूँ पर जिंदादिल नहीं, मनुष्य तो हूँ पर मनुष्यता नहीं, विचार तो हूँ पर अभिव्यक्ति नहीं| हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "चारो तरफ करवा चौथ की चकाचौंध मची है

‘भयभंजना वन्दना सुन हमारी...’ : राग मियाँ की मल्हार में भक्तिरस

    स्वरगोष्ठी – 143 में आज रागों में भक्तिरस – 11 मन्ना डे को भावांजलि अर्पित है उन्हीं के गाये गीत से  ‘ रेडियो प्लेबैक इण्डिया ’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘ स्वरगोष्ठी ’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘ रागों में भक्तिरस ’ की ग्यारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र , आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों , जारी श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस राग पर आधारित फिल्म संगीत के उदाहरण भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में हम आपसे ऋतु प्रधान राग मियाँ की मल्हार में उपस्थित भक्तिरस पर चर्चा करेंगे। आपके समक्ष इस राग के भक्तिरस-पक्ष को स्पष्ट करने के लिए हम तीन भक्तिरस से पगी रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे। सबसे पहले हम 1956 में प्रदर्शित फिल्म ‘ बसन्त बहार ’ का राग मियाँ की मल्हार पर आधारित एक वन्दना गीत सुर-गन्धर्व मन्ना डे की आवाज़ में प्रस्तुत कर उनकी स्मृतियों को भावांजली अर्पित करेंगे। आपको स्मरण ही होगा की बीते 24 अक्तूबर को बैंगलुरु में उनका निधन हो गया थ