Skip to main content

Posts

अभिषेक ओझा की कहानी संयोग

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने गिरिजेश राव की मार्मिक कहानी " दूसरा कमरा " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अभिषेक ओझा की कहानी " संयोग ", अनुराग शर्मा की आवाज़ में। कहानी "संयोग" का कुल प्रसारण समय 9 मिनट 38 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट ओझा-उवाच पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। वास्तविकता तो ये है कि किसे फुर्सत है मेरे बारे में सोचने की, लेकिन ये मानव मन भी न! ~ अभिषेक ओझा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "जैसे लॉटरी में हर बार उसका वही नंबर लगा हो जो लगना चाहिए था। वो पीछे मुड़ कर देखे तो क्या ऐसा नहीं है कि वो इन्हीं सब के लिए ही तो बना था ! चु

आज 'सिने पहेली' आपके मुँह में पानी न लाये तो कहिएगा...

सिने पहेली – 84     'रे डियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों व श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! 'सिने पहेली' के इस नए अंक के साथ मैं हाज़िर हूँ। आशा है नवरात्रि, दुर्गापूजा, दशहरा और ईद के त्योहार आप सभी ने हर्षोल्लास के साथ मनाया होगा, और यह भी अंदाज़ा लगा रहे हैं कि अब आप दीपावली की तैयारियों में या तो जुट गए होंगे या कमर कस ही रहे होंगे। दोस्तों, त्योहारों के इस मौसम में खाने-पीने की तरफ़ विशेष ज़ोर दिया जाता है। हर प्रान्त के अपने अलग पकवान होते हैं, जिन्हें हम या तो घर में बनाते हैं या मेले में जाकर खाते हैं। क्यों न आज की 'सिने पहेली' को भी स्वादिष्ट बनाया जाए! जी हाँ, आज हम एक ऐसी पहेली लेकर आये हैं जिसे सुलझाते हुए आपके मुंह में पानी अवश्य आने वाला है। भूमिका में और ज़्यादा वक़्त न ज़ाया करते हुए यह रही आज की पहेली। आज की पहेली : FOOD FOR THOUGHT नीचे एक के बाद एक दस चित्र दिये गये हैं। हर चित्र में किसी न किसी पकवान या खाद्य वस्तु को दर्शाया गया है। इन चित्रों पर ग़ौर करें। चित्रों के बाद पहेल

राम चाहे सुरों की "लीला"

नि र्देशक से संगीतकार बने संजय लीला बंसाली ने ' गुज़ारिश ' में जैसे गीत रचे थे उनका नशा उनका खुमार आज तक संगीत प्रेमियों के दिलो-जेहन से उतरा नहीं है. सच तो ये है कि इस साल मुझे सबसे अधिक इंतज़ार था, वो यही देखने का था कि क्या संजय वाकई फिर कोई ऐसा करिश्मा कर पाते हैं या फिर " गुजारिश " को मात्र एक अपवाद ही माना जाए. दोस्तों रामलीला , गुजारिश से एकदम अलग जोनर की फिल्म है. मगर मेरी उम्मीदें आसमां छू रही थी, ऐसे में रामलीला का संगीत सुन मुझे क्या महसूस हुआ यही मैं आगे की पंक्तियों में आपको बताने जा रहा हूँ.  अदिति पॉल की नशीली आवाज़ से खुलता है गीत  अंग लगा दे . हल्की हल्की रिदम पर मादकता से भरी अदिति के स्वर जादू सा असर करती है उसपर शब्द 'रात बंजर सी है, काले खंजर सी है' जैसे हों तो नशा दुगना हो जाता है. दूसरे अंतरे से ठीक पहले रिदम में एक तीव्रता आती है जिसके बाद समर्पण का भाव और भी मुखरित होने लगता है. कोरस का प्रयोग सोने पे सुहागा लगता है.  धूप से छनके उतरता है अगला गीत श्रेया की रेशम सी बारीक आवाज़ में, सुरों में जैसे रंग झलकते हैं. ताल जैसे

इस ईद "जिक्र" उस परवरदिगार का सूफी संगीत में

प्लेबैक इंडिया ब्रोडकास्ट  सूफी संगीत भाग २  कहा जाता है कि सूफ़ीवाद ईराक़ के बसरा नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा. भारत में इसके पहुंचने की सही सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ग़रीबनवाज़ ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में रत थे. (पूरी पोस्ट यहाँ पढ़ सकते हैं)

‘जय जय हे जगदम्बे माता...’ : नवरात्र पर विशेष

स्वरगोष्ठी – 140 में आज रागों में भक्तिरस – 8 राग यमन में सांध्य-वन्दन के स्वर        ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर इन दिनों जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की आठवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सब संगीत-रसिकों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस राग पर आधारित फिल्म संगीत के उदाहरण भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में हम भारतीय संगीत के सर्वाधिक लोकप्रिय राग कल्याण अर्थात यमन पर चर्चा करेंगे। आपके समक्ष इस राग के भक्तिरस के पक्ष को स्पष्ट करने के लिए दो रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे। पहले आप सुनेंगे 1964 में प्रदर्शित फिल्म ‘गंगा की लहरें’ से शक्तिस्वरूपा देवी दुर्गा की प्रशस्ति करता एक आरती गीत। आज के अंक में यह भक्तिगीत इसलिए भी प्रासंगिक है कि आज पूरे देश में शारदीय नवरात्र पर्व के नवें दिन देवी के मातृ-स्वरूप की आराधना पूरी आस्था के साथ की जा रही है। इसके साथ ही विश

आज विशेष प्रस्तुति दुर्गा महाअष्टमी पर

नवरात्रि पर्व पर विशेष प्रस्तुति   या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै , नमस्तस्यै , नमस्तस्यै नमो नमः   प्रिय मित्रों, इन दिनों पूरे देश में नवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। दस दिनों के इस महाउत्सव का आज आठवाँ दिन है। इस दिन की महत्ता का अनुभव करते हुए हम आज के निर्धारित स्तम्भ 'सिने पहेली' के स्थान पर यह विशेष अंक प्रस्तुत कर रहे हैं। 'सिने पहेली' का अगला अंक अब अगले शनिवार को प्रकाशित होगा। जिन प्रतियोगियों ने पिछली पहेली का अभी तक जवाब नहीं भेजा है, वो अपना जवाब हमें बृहस्पतिवार शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं।  'सिने पहेली' के स्थान पर श्री श्री दुर्गा महाअष्टमी के पवित्र उपलक्ष्य पर आइए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के आर्काइव से एक अनमोल पोस्ट का दोबारा स्वाद लें, जो 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' के अन्तर्गत 16 दिसम्बर 2010 को प्रकाशित किया गया था। लावण्या शाह दोस्तों, हमने महान कवि, दार्शनिक और गीतकार पण्डित नरेन्द्र शर्मा जी की सुपुत्री श्रीमती लावण्या शाह जी से सम्पर्क किया कि वो अ

आत्मा को परमात्मा से जोड़ता सूफी संगीत (सूफी -एपिसोड ०१)

प्लेबैक इंडिया ब्रोडकास्ट  सूफी संगीत यानी, स्वरलहरियों पर तैरकर जाना और ईश्वर रुपी समुंदर में विलीन हो जाना, सूफी संगीत यानी, "मै" का खो जाना और "तू" हो जाना, सदियों से रूह को सकून देते, सूफी संगीत पर हमारी विशेष प्रस्तुति का पहला भाग सुनिए संज्ञा टंडन के साथ. उम्मीद है हमारे संगीत प्रेमियों के लिए ये पोडकास्ट एक अनमोल तोहफा साबित होगा.  यदि प्लयेर पर सुनने में असुविधा हो तो यहाँ से डाउनलोड करें.