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अराधना चतुर्वेदी "मुक्ति" की रहस्य-कथा आदत

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी के स्वर में मुंशी प्रेमचंद की मर्मस्पर्शी कहानी " कायर " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं आराधना चतुर्वेदी 'मुक्ति' की रहस्य-कथा आदत  जिसे स्वर दिया है माधवी चारुदत्ता ने जोकि हिन्दी और मराठी की एक सफल वॉइस ओवर आर्टिस्ट हैं। उनके स्वर में आचार्य विनोबा भावे द्वारा धुले जेल में मराठी भाषा में दिये गए गीता प्रवचन यहाँ सुने जा सकते हैं। कहानी आदत का गद्य " आराधना का ब्लॉग " पर उपलब्ध है।  "आदत" का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 20 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। डॉ. आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति" जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

रिचा शर्मा के 'लेजी लेड' ताने से बिदके 'घनचक्कर'

आ मिर  और नो वन किल्ल्ड जस्सिका  के बाद एक बार फिर निर्देशक राजकुमार गुप्ता ने अपनी नई फिल्म के संगीत का जिम्मा भी जबरदस्त प्रतिभा के धनी अमित त्रिवेदी को सौंपा है. इमरान हाश्मी और विद्या बालन के अभिनय से सजी ये फिल्म है -घनचक्कर . फिल्म तो दिलचस्प लग रही है, आईये आज तफ्तीश करें कि इस फिल्म के संगीत एल्बम में श्रोताओं के लिए क्या कुछ नया है.  पहला गीत लेजी लेड अपने आरंभिक नोट से ही श्रोताओं को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है. संगीत संयोजन उत्कृष्ट है, खासकर बीच बीच में जो पंजाबी शब्दों के लाजवाब तडके दिए गए हैं वो तो कमाल ही हैं. बीट्स भी परफेक्ट है. अमिताभ के बोलों में नयापन भी है और पर्याप्त चुलबुलापन भी. पर तुरुप का इक्का है रिचा शर्मा की आवाज़. उनकी आवाज़ और गायकी ने गीत को एक अलग ही मुकाम दे दिया है. एक तो उनका ये नटखट अंदाज़ अब तक लगभग अनसुना ही था, उस पर एक लंबे अंतराल से उन्हें न सुनकर अचानक इस रूप में उनकी इस अदा से रूबरू होना श्रोताओं को खूब भाएगा. निश्चित ही ये गीत न सिर्फ चार्ट्स पर तेज़ी से चढेगा वरन एक लंबे समय तक हम सब को याद रहने वाला है. बधाई पूरी टीम को.  आगे बढ़

चर्चा राग कल्याण अथवा यमन की

    स्वरगोष्ठी – 125 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 5 ‘आँसू भरी है ये जीवन की राहें...’ राग यमन के सच्चे स्वरों का गीत  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’ की यह पाँचवीं कड़ी है और इस कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज हमारी चर्चा का विषय होगा, राग यमन पर आधारित एक सदाबहार गीत- ‘आँसू भरी है ये जीवन की राहें...’। 1958 में प्रदर्शित फिल्म ‘परिवरिश’ के इस कालजयी गीत के संगीतकार दत्ताराम वाडेकर थे, जिनके बारे में वर्तमान पीढ़ी शायद परिचित हो। इसके साथ ही आज के अंक में हम राग यमन पर चर्चा करेंगे और आपको सुप्रसिद्ध सारंगी वादक उस्ताद सुल्तान खाँ का बजाया, राग यमन का भावपूर्ण आलाप भी सुनवाएँगे।   दत्ताराम सं गीतकार दत्ताराम की पहचान एक स्वतंत्र संगीतकार के रूप में कम, परन्तु सुप्रसिद्ध संगीतकार शंकर-जयकिशन के सहायक के रूप में अधिक हुई। इसके अलावा लोक-तालवाद्य ढप बजाने में वे सिद्धहस्त थे। फिल्म ‘जिस देश में गंग

परखिये अपना फिल्म संगीत ज्ञान

  सिने पहेली – 69 अस्सी के दशक के फिल्म संगीत से कितने परिचित हैं आप सिने पहेली के 69वें अंक के प्रश्नों के साथ आज मैं, कृष्णमोहन मिश्र आपके समक्ष हूँ। आज की पहेली में हम आपसे अस्सी के दशक अर्थात 1980 से लेकर 1989 के बीच प्रदर्शित फिल्मों के संगीत से सम्बन्धित पाँच सवाल पूछ कर आपके फिल्मी ज्ञान को परखने का प्रयास कर रहे हैं।  इस अंक से प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना चाहेंगे कि अभी भी कुछ देर नहीं हुई है, आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ कर भी आप महाविजेता बन सकते हैं, यही इस प्रतियोगिता की विशेषता है। इस प्रतियोगिता के नियमों का उल्लेख नीचे किया गया है, ध्यान दीजियेगा। आज की पहेली में कुल 10 अंकों का विभाजन 5 सवालों में किया गया है। आइए, आरम्भ करते हैं, आज की पहेली के प्रश्नों का सिलसिला।       आज की पहेली सवाल – 1 सुनिए तो पहले प्रश्न के अन्तर्गत हम आपको 80 के दशक की एक फिल्म के गीत से ठीक पहले का एक संवाद सुनवाते हैं। इसे सुन कर आपको गीत पहचानना है। आप उस गीत का मुखड़ा, अर्थात गीत की आरम्भिक पंक

फ़िल्मी गीतों में राग कलावती - एक चर्चा संज्ञा टंडन के साथ

राग कलावती स्क्रिप्ट ; कृष्णमोहन मिश्र  स्वर एवं प्रस्तुति ; संज्ञा टंडन 

मुंशी प्रेमचंद की मर्मस्पर्शी कहानी कायर

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में सुदर्शन प्रियदर्शिनी की कहानी " देशांतर " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की मर्मस्पर्शी कहानी कायर  जिसे स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी "कायर" का कुल प्रसारण समय 27 मिनट 9 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ ... मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी “न जाने कहाँ से यह कुलच्छीनी मेरे कोख में आई।”  ( मुंशी प्रेमचंद रचित "कायर" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर

जब रहमान और इरशाद साथ साथ आयें तो कोई 'नज़र लाये न' इस जोड़ी को

ए आर रहमान यानी समकालीन बॉलीवुड संगीत का बेताज बादशाह. लंबे समय तक शीर्ष पर राज करने के बाद रहमान इन दिनों सिर्फ चुनिन्दा फ़िल्में ही कर रहे हैं, यही कारण है कि संगीत प्रेमियों को उनकी हर नई एल्बम का बेसब्री से इंतज़ार रहता है. उनसे उम्मीदें इतनी अधिक बढ़ गयी हैं कि संगीत प्रेमियों को कुछ भी कम स्वीकार्य नहीं होता. ऐसे में उनकी नई प्रस्तुति राँझना   संगीत के कद्रदानों और उनके चहेतों की कसौटी पर कितना खरा उतर पायी है, आईये आज ज़रा इसी बात की तफ्तीश करें. राँझना  में गीत लिखे हैं इरशाद कामिल ने, जिनके साथ रहमान रोक स्टार  में जबरदस्त हिट गीतों की बरसात कर चुके हैं.  इससे पहले कि हम राँझना  के गीतों की बात करें, हम आपको बता दें कि रहमान का संगीत सामान्य से कुछ अलग रहता है तो उस पर राय बनाने से पहले कम से कम ५-६ बार उन गीतों को अवश्य सुनें. नये गायक जसविंदर सिंह और शिराज उप्पल के स्वरों में शीर्षक गीत एक ऊर्जा से भरा गीत है. धुन बेहद 'कैची' है और संयोजन में रहमान से भारतीय वाद्यों को पाश्चात्य वाद्यों से साथ बेहद खूबसूरती से मिलाया है. इरशाद के शब्द अच्छे हैं. पखावज और बांस