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सलमान खान की दबंग -२ का दबंग संगीत

प्लेबैक वाणी -27 -संगीत समीक्षा -  दबंग - २ दबंग का द्रितीय संस्करण सलमान खान की एक बहुप्रतीक्षित फिल्म है और शायद वर्ष २०१२ की अंतिम बड़ी फिल्म भी. पिछले संस्करण की तरह इस फिल्म से भी रिकॉर्ड तोड़ सफलता की उम्मीद की जा रही है. इस बार फिल्म के निर्देशन का जिम्मा संभाला है अरबाज़ खान ने. संगीत है पहले संस्करण के ही साजिद वाजिद का और गीतकार हैं समीर.   लगता है जब फिल्म का संगीत सोचा गया तो बेहद प्रमुखता से इस बात का ख्याल रखा गया कि अल्बम के गीतों की संख्या, उनकी ध्वनि और यहाँ तक कि गायक गायिका का चुनाव भी उसी सफल पैमाने को ध्यान में रखकर तय किया गया होगा. अब पहले ही गीत को लें. ‘दगाबाज़ रे’ में फिर एक बार राहत फ़तेह अली खान और श्रेया की आवाजें महकी है और इस गीत की ध्वनि भी ‘तेरे मस्त मस्त दो नैन’ जैसी ही है. मगर फिर भी गीत बेहद मधुर है. सुरीली आवाजों और नशीली धुन के साथ साथ दो बातें और हैं जो इस गीत को पहले गीत की तरह से कमियाबी दे सकता है. एक तो समीर के शब्द सुन्दर और मिटटी से जुड़े हुए हैं और दूसरा साजिद वाजिद का संगीत संयोजन कमाल का है. पहले और दूसरे अंतरे के दरमियाँ

स्वरगोष्ठी में आज : ठुमरी- ‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’

'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की पहली वर्षगाँठ पर सभी पाठकों-श्रोताओं का हार्दिक अभिनन्दन     स्वरगोष्ठी-९८  में आज   फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी –९  श्रृंगार रस से परिपूर्ण ठुमरी ‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’ फिल्मों में शामिल की गई पारम्परिक ठुमरियों पर केन्द्रित ‘स्वरगोष्ठी’ की लघु श्रृंखला ‘फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ के एक नए अंक में, मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, आज का यह अंक जारी श्रृंखला की ९वीं कड़ी है और आज की इस कड़ी में हम आपको पहले राग पीलू की ठुमरी ‘गोरी तोरे नैन, काजर बिन कारे... ’ का पारम्परिक स्वरूप, और फिर इसी ठुमरी का फिल्मी स्वरूप प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा इस अंक में एकल तथा युगल ठुमरी गायन की परम्परा के बारे में आपके साथ चर्चा करेंगे।  आ ज पीलू की यह ठुमरी ‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’ हम आपको सबसे पहले गायिका इकबाल बानो की आवाज़ में सुनवाते हैं। इकबाल बनो का जन्म १९३५ में दिल्ली के एक सामान्य परिवार में हुआ था। बचपन में ही उनकी प्रतिभा क

'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की पहली वर्षगाँठ पर सुलझाइये कुछ नई आवाज़ों की 'सिने पहेली'

1 दिसम्बर, 2012 सिने-पहेली - 48  में आज पहचानिए कुछ नये स्वरों को     'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। आज का दिन 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' से जुड़े सभी प्रस्तुतकर्ताओं, पाठकों और श्रोताओं के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण दिन है क्योंकि पिछले साल आज ही के दिन इसकी नीव रखी गई थी। देखते ही देखते हमने तय कर लिए 365 दिन का सफ़र। गत एक साल में (इस पोस्ट के बनने तक) इस ब्लॉग पर कुल 2283 प्रस्तुतियाँ (पोस्ट) हुई हैं, और देश-विदेश मिलाकर कुल 82215 बार इस ब्लॉग पर लोगों की हाज़िरी लगी है। अर्थात 6.25 प्रस्तुति प्रतिदिन और 225.24 ब्लॉग-विज़िट प्रतिदिन, जिसे आप हमारी उपलब्धि भी कह सकते हैं। और यह सम्भव हुआ आप सबके प्यार से। 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को धन्यवाद देते हुए आइए, आज की 'सिने पहेली' को आगे बढ़ाया जाए। दो स्तों, आज से कुछ साल पहले तक फ़िल्म इंडस्ट्री में हर दौर की कुछ गिने-चुने पार्श्वगायक-गायिकाओं की आवाज़ें ही राज किया करती थीं। इन आवाज़ों को सुन कर