Skip to main content

Posts

२ मई- आज का गाना

गाना:  जिन रातों की भोर नहीं हैं, आज ऐसी ही रात आई चित्रपट:  दूर गगन की छाँव में संगीतकार: किशोर कुमार गीतकार: शैलेन्द्र स्वर:  किशोर कुमार जिन रातों की भोर नहीं है आज ऐसी ही रात आई जो जिस ग़म में डूब गया है सागर की है गहराई रात के तारों तुम ही बताओ मेरी वो मंज़िल है कहाँ पागल बनकर जिसके लिये मैं खो बैठा हूँ दोनो जहाँ जिन रातों ... राह किसी की हुई ना रोशन जलना मेरा बेकार गया लूट गई तक़दीर मुझे मैं जीत के बाज़ी हार गया जिन रातों की भोर नहीं है ...

दर्शन कौर धनोय लायीं हैं रश्मि जी की महफ़िल में कुछ लाजवाब गीत

आज का दिन दर्शन कौर धनोय जी के नाम , जिसमें हैं उनकी पसंद के गीत हमारे बीच . चलिए देखते हैं वे क्या कहती हैं - रश्मि जी नमस्कार ,  मेरे पसंद के गीतों का तो समुंदर भरा पड़ा हैं --इनमें से  5 नायाब मोती निकलना बड़ा मुश्किल काम हैं  --- ये गीत मेरे जीवन की अनमोल पूंजी हैं -- मेरी सांसो में बसे हैं ये गीत -- १. तुम्हे याद करते -करते जाएगी उम्र सारी --तुम ले गए हो अपने संग नींद भी हमारी "--फिल्म -- आम्रपाली ! "यह गीत मुझे उस व्यक्ति की याद दिलाता हैं जिसे मैनें खो दिया हैं --और जो मुझे इस जनम में कभी नहीं मिल सकता  ! उसके जाने से जो स्थान रिक्त हैं उसे कोई नहीं भर सकता !" २. "आपकी नजरों ने समझा --प्यार के काबिल मुझे --दिल की ये धडकन संभल जा मिल गई मंजिल मुझे --फिल्म --- अनपढ़   ! "यह गीत मुझे बेहद पसंद हैं --इसका संगीत,धुन,बोल, और लताजी की आवाज का जादू  --सब मिलाकर जादुई असर करते हैं --जब भी सुनती हूँ तो आँखें नम हो जाती हैं !" ३. " लग जा गले के फिर ये हंसी रात हो न हो

१ मई- आज का गाना

गाना:  साथी हाथ बढ़ना साथी हाथ बढ़ना चित्रपट:  नया दौर संगीतकार: ओ. पी. नय्यर गीतकार: साहिर स्वर:  रफ़ी, आशा साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना एक अकेला थक जायेगा मिल कर बोझ उठाना साथी हाथ बढ़ाना ... हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया सागर ने रस्ता छोड़ा परबत ने शीश झुकाया फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाहें हम चाहें तो पैदा करदें, चट्टानों में राहें, साथी ... मेहनत अपनी लेख की रखना मेहनत से क्या डरना कल गैरों की खातिर की अब अपनी खातिर करना अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक अपनी मंजिल सच की मंजिल अपना रस्ता नेक, साथी ... एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा एक से एक मिले तो राई बन सकती है परबत एक से एक मिले तो इन्सान बस में कर ले किस्मत, साथी ... माटी से हम लाल निकालें मोती लाएं जल से जो कुछ इस दुनिया में बना है बना हमारे बल से कब तक मेहनत के पैरों में ये दौलत की ज़ंज़ीरें हाथ बढ़ाकर छीन लो अपने सपनों की तस्वीरें, साथी ...

सिने-पहेली # 18 (जीतिये 5000 रुपये के इनाम)

सिने-पहेली # 18 (30 अप्रैल, 2012)  नमस्कार दोस्तों, 'सिने पहेली' की 18-वीं कड़ी में मैं, सुजॉय चटर्जी, आप सभी का फिर एक बार स्वागत करता हूँ। दोस्तों, यह हमारे लिए बहुत ख़ुशी की बात है कि धीरे-धीरे 'सिने-पहेली' परिवार में नए-नए सदस्य जुड़ते जा रहे हैं, और हमारा परिवार बड़ा होता जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि आने-वाले सेगमेण्ट्स बहुत दिलचस्प होने वाले हैं। पिछले हफ़्ते कृतिका, शुभ्रा शर्मा और राजेश प्रिया हमसे जुड़े, और इस हफ़्ते दो और प्रतोयोगियों का इज़ाफ़ा हुआ है। ये हैं मुंबई के शुभम जैन और अलीगढ़ के सलमान ख़ान। आप दोनों का बहुत-बहुत स्वागत है 'सिने-पहेली' में और हम आपसे यह गुज़ारिश करते हैं कि हर एपिसोड में ज़रूर भाग लीजिएगा ताकि महाविजेता की लड़ाई में आप पीछे न रह जाएँ। महाविजेता बनने के लिए नियमितता काफ़ी मायने रखेगी। सभी नए प्रतियोगियों के लिए 'सिने पहेली' महाविजेता बनने के नियम हम एक फिर दोहरा देते हैं। हमने इस प्रतियोगिता को दस-दस कड़ियों के सेगमेण्ट्स में विभाजित किया है (वर्तमान में दूसरा सेगमेण्ट चल रहा है जिसकी आज आठवीं कड़ी है)। इस

३० अप्रैल- आज का गाना

गाना:  पिया मिलन को जाना चित्रपट: कपाल कुण्डला संगीतकार: पंकज मलिक गीतकार: पंकज मलिक   स्वर:  पंकज मलिक पिया मिलन को जाना, हां पिया मिलन को जाना जग की लाज, मन की मौज, दोनों को निभाना पिया मिलन को जाना, हां पिया मिलन को जाना काँटे बिखरा के चलूं, पानी ढलका के चलूं \- २ सुख के लिये सीख रखूं \- २ पहले दुख उठाना, पिया मिलन को जाना ... (पायल को बांध के \- २), उठी चुभ नाग के (?) पायल को बांध के धीरे\-धीरे दबे\-दबे पावों को बढ़ाना पिया मिलन को जाना ... बुझे दिये अंधेरी रात, आँखों पर दोनों हाथ \- २ कैसे कटे कठिन बाट \- २ चल के आज़माना, पिया मिलन को जाना हां पिया मिलन को जाना, जाना पिया मिलन को जाना, जाना पिया मिलन को जाना, हां पिया मिलन को जाना

94वें जन्मदिवस पर सुर-गन्धर्व मन्ना डे को स्वरांजलि

स्वरगोष्ठी – ६८ में आज स्वर-साधक मन्ना डे और राग दरबारी हिन्दी फिल्मों में १९४३ से २००६ तक सक्रिय रहने वाले पार्श्वगायक मन्ना डे फिल्म-संगीत-क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ठ स्तर की गायकी के लिए हमेशा याद किए जाएँगे। फिल्मों में राग आधारित गीतों की सूची में उनके गाये गीत शीर्ष पर हैं। १ मई, २०१२ को मन्ना दा अपनी आयु के ९३ वर्ष पूर्ण कर ९४वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। इस उपलक्ष्य में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हम उनके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की प्रार्थना करते हुए उन्हें जन्म-दिवस पर बधाई देते हैं। ‘स्व रगोष्ठी’ के एक नए अंक में मैं, कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का, एक बार फिर हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज की और अगले सप्ताह की गोष्ठी में हम फिल्म-जगत के सुप्रसिद्ध पार्श्व-गायक मन्ना डे को उनके जन्म-दिवस के अवसर पर, उन्हीं के गाये गीतों से अपनी शुभकामनाएँ अर्पित करेंगे। आज के अंक में हम उनके राग-आधारित गाये असंख्य गीतों में से राग दरबारी कान्हड़ा के तीन श्रेष्ठ गीत सुनवाने जा रहे हैं। परम्परागत भारतीय संगीत में राग दरबारी का जो स्वरूप बना हुआ है, आज की प्रस्तुतियों में आपको

२९ अप्रैल- आज का गाना

गाना:  रुक जा ओ जानेवाली रुक जा चित्रपट:  कन्हैया संगीतकार: शंकर - जयकिशन गीतकार: शैलेन्द्र स्वर:  मुकेश रुक जा ओ जाने वाली रुक जा मैं तो राही तेरी मंज़िल का नज़रों में तेरी मैं बुरा सही आदमी बुरा नहीं मैं दिल का  \- (२) देखा ही नहीं तुझको सूरत भी न पहचानी तू आके चली छम से यूँ डूबके दिन पानी \- (२)      रुक जा ... मुद्दत से मेरे दिल के सपनों की तू रानी है अब तक न मिले लेकिन पहचान पुरानी है \- (२)      रुक जा ... आ प्यार की राहों में बाहों का सहारा ले दुनिया जिसे गाती है उस गीत को दोहरा ले  \- (२)      रुक जा ...