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२ अप्रेल- आज का गाना

गाना: झूमती चली हवा, याद आ गया कोई चित्रपट: संगीत सम्राट तानसेन संगीतकार: एस. एन.त्रिपाठी गीतकार: शैलेन्द्र स्वर: मुकेश झूमती चली हवा, याद आ गया कोई बुझती बुझती आग को, फिर जला गया कोई झूमती चली हवा ... खो गई हैं मंज़िलें, मिट गये हैं रास्ते गर्दिशें ही गर्दिशें, अब हैं मेरे वास्ते अब हैं मेरे वास्ते और ऐसे में मुझे, फिर बुला गया कोई झूमती चली हवा ... चुप हैं चाँद चाँदनी, चुप ये आसमान है मीठी मीठी नींद में, सो रहा जहान है सो रहा जहान है आज आधी रात को, क्यों जगा गया कोई झूमती चली हवा ... एक हूक सी उठी, मैं सिहर के रह गया दिल को अपने थाम के आह भर के रह गया चाँदनी की ओट से मुस्कुरा गया कोई झूमती चली हवा ...

लोक रंग से अभिसिंचित चैता और घाटो

स्वरगोष्ठी – ६४ में आज ‘हे रामा असरा में भीजे आँखी के कजरवा...’ आप सभी पाठकों-श्रोताओं को रामनवमी के पावन पर्व पर शत-शत बधाई। मित्रों, पिछले दो अंकों में आप चैती गीतों के विविध प्रयोग और प्रकार पर की गई चर्चा के सहभागी थे। पिछले अंक में मैंने यह उल्लेख किया था कि इस ऋतु-प्रधान गीतों के तीन प्रकार- चैती, चैता और घाटो, गाये जाते हैं। आज के अंक में हम आपसे चैता और घाटो पर चर्चा करेंगे। ‘स्वर गोष्ठी’ पर जारी चैत्र मास के संगीत की हमारी श्रृंखला का यह तीसरा भाग है। अपने सभी पाठकों और श्रोताओं का आज रामनवमी के पावन पर्व के दिन आयोजित इस गोष्ठी में कृष्णमोहन मिश्र की ओर से हार्दिक स्वागत है। पिछले दो अंकों में हमने चैत्र मास में गायी जाने वाली संगीत विधा पर आपसे चर्चा की थी। चैती लोक संगीत की विधा होते हुए ठुमरी अंग में भी बेहद प्रचलित है। चैती के दो और भी प्रकार हैं, जिन्हें चैता और घाटो कहा जाता है। चैती गीतों का उपशास्त्रीय रूपान्तरण अत्यन्त आकर्षक होता है। परन्तु चैता और घाटो अपने मूल लोक-स्वरूप में ही लुभाते हैं। आज हम पहले आपको एक पारम्परिक चैता सुनवाएँगे। चैता और घाटो प्राय

१ अप्रैल- आज का गाना

गाना: एप्रिल फूल बनाया चित्रपट: एप्रिल फूल संगीतकार: शंकर जयकिशन गीतकार: हसरत जयपुरी, शैलेन्द्र स्वर: रफी, सायरा बानो एप्रिल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया तो मेरा क्या क़सूर ज़माने का क़सूर जिसने दस्तूर बनाया ) -२ एप्रिल फूल बनाया ... दिलबर ओ जान-ए-जानाँ गुस्से के रूप में लगती हो और हसीन -२ तेरी क़ातिल अदा ने मार ही डाला कर लो तुम इसका यक़ीन -२ एप्रिल फूल बनाया ... दिल से दिल की पहचान हुई जागी मुहब्बत गाने लगी ज़िन्दगी -२ हमने दुनिया में आ कर वो रूप धरा ज़िन्दा हुई आशिक़ी -२ एप्रिल फूल बनाया ...