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सिने-पहेली # 3

सिने-पहेली # 3 (16 जनवरी 2012) रेडियो प्लेबैक इण्डिया के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! दोस्तों, 'सिने-पहेली' की तीसरी कड़ी लेकर मैं हाज़िर हूँ। दोस्तों, पिछली दो कड़ियों के जो रेस्पॉन्स हमें cine.paheli@yahoo.com के पते पर मिले हैं, उनसे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आप इस नये स्तंभ को पसन्द कर रहे हैं। यूं तो सही जवाब कुछ ही प्रतिभागियों से मिले हैं, पर कुछ प्रतिभागी ऐसे भी हैं जिनके जवाब सही तो नही हैं पर उत्सुक्ता के साथ जिस तरह से आप इसके हिस्सेदार बन रहे हैं, यही एक सच्चे खिलाड़ी की पहचान है। टिप्पणी में ज़रूर बताइएगा कि यह स्तंभ आपको कैसा लग रहा है, और किस तरह के सुझाव आप देना चाहते हैं इसे और भी ज़्यादा मनोरंजक, ज्ञानवर्धक और आकर्षक बनाने के लिए। चलिए, अब तैयार हो जाइए अपने-अपने फ़िल्मी ज्ञान को आज़माने के लिए, अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालने के लिए। आपको याद दिला दूँ कि इस स्तंभ में हर सप्ताह हम आपसे पाँच सवाल पूछते हैं, जिनका जवाब आपको हमें लिख भेजने होते हैं। हर सप्ताह पिछले सप्ताह के विजेताओं के नाम घोषित किए जाते हैं, और ५० अंकों के बाद 'मह

१६ जनवरी- आज का गाना

गाना:  छुप्पा छुप्पी, ओ छुप्पी, आगड़ बागड़ जाई रे चित्रपट: सवेरा संगीतकार: शैलेन्द्र गीतकार:  शैलेश गायक,गायिका: मन्ना डे, लता मंगेशकर लता : छुप्पा छुप्पी, ओ छुप्पी, आगड़ बागड़ जाई रे चूहे मामा, ओ मामा, भाग, बिल्ली आई रे कोरस : छुप्पा छुप्पी, ओ छुप्पी, आगड़ बागड़ जाई रे चूहे मामा, ओ मामा, भाग, बिल्ली आई रे मन्ना : बिल्ली बोली म्याँव काहे घबराओ मैं तो चली काशी गले मिल जाओ लता : ओ छुप्पा छुप्पी ... कोरस : लल्ललल्ल लल्लल्ला ... मन्ना : बम बम बम बम बमबम बम ... म्याँव ... लता : मत हम को बना अरी मौसी तेरे दिल में ज़रूर है काला कोरस : मत हम को बना अरी मौसी तेरे दिल में ज़रूर है काला लता : किसी और को दिखला जाके ये जोग ये कंठी माला कोरस : किसी और को दिखला जाके ये जोग ये कंठी माला मन्ना : राम का नाम लो आँख से काम लो राम का नाम लो आंख से काम लो कल जो हुआ था भूल जाओ भूल जाओ लता : छुप्पा छुप्पी ... मन्ना : मैं तो राम की जोगन अपना परलोक सुधारन जाऊँ आख़िर तो बुढापा ठहरा अब लौट के आऊँ न आऊँ लता : दांत भी तेज़ तेरे पंजे भी तेज़ हैं दांत भी तेज़ तेरे पंजे भी ते

‘बन्ने के नैना जादू बान, मैं वारी जाऊँ...’ : वर-बधू का श्रृंगारपूर्ण चित्रण

मानव जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण संस्कार, विवाह होता है। गृहस्थ जीवन की ओर बढ़ने वाला यह पहला कदम है। मुख्य वैवाहिक समारोह से पूर्व ही अनेक ऐसे प्रसंग होते हैं, जिनके सम्पादन के समय से लोकगीतों का गायन आरम्भ हो जाता है। घर, परिवार और अडोस-पड़ोस की महिलाएँ एकत्र होकर उस अवसर विशेष के गीत गाती हैं। ऐसे गीत वर और कन्या, दोनों पक्षों में गाने की परम्परा है। बन्ना और बन्नी इसी अवसर के श्रृंगार प्रधान गीत है। SWARGOSHTHI -52 – Sanskar Geet – 4 स्वरगोष्ठी - 52 - संस्कार गीतों में अन्तरंग सम्बन्धों की सोंधी सुगन्ध स्व रगोष्ठी के एक नये अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र आज की इस सांगीतिक बैठक में एक बार पुनः उपस्थित हूँ। आपको स्मरण ही होगा कि इस स्तम्भ में हम शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, सुगम और लोक-संगीत पर चर्चा करते हैं। गत नवम्बर मास से हमने लोकगीतों के अन्तर्गत आने वाले संस्कार गीतों पर चर्चा आरम्भ की थी। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज हम संक्षेप में यज्ञोपवीत अर्थात जनेऊ संस्कार पर और फिर विवाह संस्कार के गीतों पर चर्चा करेंगे। मानव जीवन में विवाह संस्कार एक पवित्र समारोह के रूप में आयोजि

१५ जनवरी- आज का गाना

गाना:  अपनी कहानी छोड़ जा चित्रपट: दो बीघा जमीन संगीतकार: सलिल चौधरी गीतकार:   शैलेन्द्र गायक, गायिका: मन्ना डे, लता मंगेशकर मन्ना डे : भाई रे गंगा और जमुना की गहरी है धार आगे या पीछे सबको जाना है पार धरती कहे पुकार के, बीज बिछा ले प्यार के मौसम बीता जाय, मौसम बीता जाय को \: मौसम बीता जाय, मौसम बीता जाय -२ मन्ना डे : अपनी कहानी छोड़ जा, कुछ तो निशानी छोड़ जा कौन कहे इस ओर तू फिर आये न आये कोरस:मौसम बीता जाय, मौसम बीता जाय -२ लता: तेरी राह में कलियों ने नैन बिछाये डाली-डाली कोयल काली तेरे गीत गाये तेरे गीत गाये अपनी कहानी छोड़ जा, कुछ तो निशानी छोड़ जा कौन कहे इस ओर तू फिर आये न आये कोरस:मौसम बीता जाय, मौसम बीता जाय -२ मन्ना डे : हो भाई रे नीला अम्बर मुस्काये, हर साँस तराने गाये हाय तेरा दिल क्यों मुरझाये कोरस: हो हो हो हो हो मन की बन्शी पे तू भी कोई धुन बजा ले भाई तू भी मुस्कुरा ले मन्ना डे , लता: अपनी कहानी छोड़ जा, कुछ तो निशानी छोड़ जा कौन कहे इस ओर तू फिर आये न आये मन्ना डे : हो भाई रे, भाई रे, भाई रे, ओ ओ कोरस : मौसम बीता

१४ जनवरी- आज का गाना

गाना:  रात भर का है मेहमां अँधेरा चित्रपट: सोने की चिड़िया संगीतकार: ओ. पी. नय्यर गीतकार:  साहिर गायक, गायिका: रफ़ी, आशा भोंसले मौत कभी भी मिल सकती है लेकिन जीवन कल न मिलेगा मरने वाले सोच समझ ले फिर तुझको ये पल न मिलेगा ( रात भर का है मेहमां अँधेरा किसके रोके रुका है सवेरा ) -२ रात जितनी भी संगीन होगी सुबह उतनी ही रंगीन होगी ग़म न कर गर है बादल घनेरा किसके रोके रुका है ... लब पे शिकवा न ला अश्क़ पी ले जिस तरह भी हो कुछ देर जी ले अब उखड़ने को है ग़म का डेरा किसके रोके रुका है ... यूँ ही दुनिया में आ कर न जाना सिर्फ़ आँसू बहाकर न जाना मुसुराहट पे भी हक़ है तेरा किसके रोके रुका है ... ( आ कोई मिल के तदबीर सोचें सुख के सपनों की ताबीर सोचें ) -२ जो तेरा है वही ग़म है मेरा किसके रोके रुका है ...

गिरिजेश राव की कहानी "भूख"

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने प्रसिद्ध कथाकार हरिशंकर परसाई की " बेचारा भला आदमी " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं गिरिजेश राव की कहानी " भूख ", जिसको स्वर दिया है सलिल वर्मा ने। कहानी "भूख" का कुल प्रसारण समय 10 मिनट 56 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट एक आलसी का चिठ्ठा पर उपलब्ध है।  यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया  हमें boltikahaniyan.rpi@gmail.com पर संपर्क करें। "पास बैठो कि मेरी बकबक में नायाब बातें होती हैं। तफसील पूछोगे तो कह दूँगा,मुझे कुछ नहीं पता " ~ गिरिजेश राव      हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी "उसे पता था कि घर पहुँचने पर रात नौ बजे तक एक कप चाय और दो बिस्कुटों के अलाव

१३ जनवरी- आज का गाना

गाना:  छाप तिलक सब चित्रपट: मैं तुलसी तेरे आँगन की संगीतकार: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल गीतकार:  आनंद बक्षी गायिका: आशा भोंसले, लता लता: अपनी छब बनायके जो मैं पी के पास गयी आशा: अपनी छब बनायके जो मैं पी के पास गयी दोनों: जब छब देखी पीहू की सो मैं अपनी भूल गयी ओ, (छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके) -२ छाप तिलक लता: सब छीनी रे मोसे नैना नैना, मोसे नैना नैना रे, मोसे नैना मिलायके नैना मिलायके दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे आशा: नैना, (नैना मिलायके) -२ दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके लता: ए री सखी (मैं तोसे कहूँ) -२ हाय तोसे कहूँ मैं जो गयी थी (पनिया भरन को) -३ छीन झपट मोरी मटकी पटकी छीन झपट मोरी झपट मोरी मटकी पटकी नैना मिलायके दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके आशा: (बल-बल जाऊँ मैं) -२ (तोरे रंग रजेवा) -२ (बल-बल जाऊँ मैं) -२ (तोरे रंग रजेवा) -३ (अपनी-सी) -३ रंग लीनी रे मोसे नैना मिलायके दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके आशा: ए री सखी (मैं तोसे कहूँ) -२ हाय तोसे कहूँ लता: (हरी हरी चूड़ियाँ) -२

१२ जनवरी- आज का गाना

गाना:  साथी तेरे नाम चित्रपट: उस्तादी उस्ताद से संगीतकार: राम लक्ष्मण गीतकार:  दिलीप ताहिर गायिका: आशा भोसले, उषा मंगेशकर साथी तेरे नाम, एक दिन, जीवन कर जायेंगे, जीवन कर जायेंगे तू है मेरा खुदा तू ना करना दगा तुम बिन मर जायेंगे, तुम बिन मर जायेंगे खुशबुओं की तरह, तू महकती रहे बुलबुलों की तरह, तू चहकती रहे दिल के हर तार से आ रही है सदा तू सलामत रहे, बस यही है दुआ तू है मेरा खुदा तू ना करना दगा तुम बिन मर जायेंगे, तुम बिन मर जायेंगे

सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब - इस ग़ज़ल का सुरूर आज भी चढ़ता है आहिस्ता-आहिस्ता

कुछ गीत ऐसे होते हैं जो समय-समय पर थोड़े बहुत फेर बदल के साथ वापस आते रहते हैं। 'एक गीत सौ कहानियाँ' की दूसरी कड़ी में आज एक ऐसी ही मशहूर ग़ज़ल की चर्चा सुजॉय चटर्जी के साथ... सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता निकलता आ रहा है आफ़ताब आहिस्ता-आहिस्ता एक गीत सौ कहानियाँ # 2 हिन्दी फ़िल्मों में पारम्परिक रचनाओं का भी स्थान हमेशा से रहा है, चाहे वो विदाई गीत हों या कोई भक्ति रचना या फिर बहुत पुराने समय के किसी अदबी शायर का लिखा हुआ कोई कलाम। मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों की तो भरमार है फ़िल्म-संगीत में। १९-वीं सदी के एक और मशहूर शायर हुए हैं अमीर मीनाई। लखनऊ में १८२६ में जन्मे अमीर मीनाई एक ऐसे शायर थे जो ख़ास-ओ-आम, दोनों में बहुत लोकप्रिय हुए। उनके समकालीन ग़ालिब और दाग़ भी उनकी शायरी का लोहा मानते थे। लखनऊ के फ़रंगी महल में शिक्षा प्राप्त करने के बाद अमीर मीनाई अवध के रॉयल कोर्ट में शामिल हो गए, पर १८५७ में आज़ादी की लड़ाई शुरु हो जाने के बाद उन्हें रामपुर के राज दरबार से न्योता मिला और वहीं उन्होंने अपनी बाक़ी ज़िन्दगी गुज़ार दी। सन् १९०० में अमीर मीनाई हैदराबाद

११ जनवरी- आज का गाना

गाना:  तूफ़ान मेल चित्रपट: जवाब संगीतकार: कमल दासगुप्ता गीतकार:  पंडित मधुर गायिका: कानन देवी तूफ़ान मेल दुनिया ये दुनिया, तूफ़ान मेल इसके पहिये ज़ोर से चलते और अपना रस्ता तय करते सयाने इस से काम निकालें बच्चे समझे खेल तूफ़ान मेल   ... कोई कहाँ का टिकट काटता एक है आता एक है जाता सभी मुसाफ़िर बिछड़ जायेंगे पल भर का है मेल तूफ़ान मेल   ... जो जितनी पूँजी है रखता उसी मुताबिक़ सफ़र वो करता जीवन का है भेद बताती ज्ञानी को ये रेल तूफ़ान मेल   ...

१० जनवरी- आज का गाना

गाना:  मेरा नाम है चमेली चित्रपट: राजा और रंक संगीतकार: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल गीतकार:  आनंद बक्षी गायिका: लता मंगेशकर मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली चली आई मैं अकेली बीकानेर से -२ ओ दारोगा बाबू बोलो जरा दरवज्जा तो खोलो खड़ी हूँ मैं दरवज्जे पे बड़ी देर से मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली चली आई मैं अकेली बीकानेर से मैं बागों से चुन चुन के लाई चम्पा की कलियाँ -२ ये कलियाँ बिछा के मैं सजा दूँ तेरी गलियाँ रे अंखियाँ मिला मेरी अंखियों से ओ मैं फूलों की रानी मैं बहारों की सहेली मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली चली आई मैं अकेली बीकानेर से ओ दारोगा बाबू बोलो जरा दरवज्जा तो खोलो खड़ी हूँ मैं दरवज्जे पे बड़ी देर से मेरा मनवा ऐसे धड़के जैसे डोले नइया -२ ओ बेदर्दी ओ हरजाई ओ बाँके सिपहिया रे घुंघटा मेरा तैने क्यूँ खोला मैं ऐसे शर्माई जैसे दुल्हन नई नवेली मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली चली आई मैं अकेली बीकानेर से ओ दारोगा बाबू बोलो जरा दरवज्जा तो खोलो खड़ी हूँ मैं दरवज्जे पे बड़ी देर से मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली

सिने पहेली # 2

सिने-पहेली # 2 (9 जनवरी 2012) रेडियो प्लेबैक इण्डिया के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! दोस्तों, 'सिने-पहेली' की दूसरी कड़ी लेकर मैं हाज़िर हूँ। सबसे पहले मैं आप सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ कि इस नए स्तंभ को आप सब नें सराहा, जिसका सबूत है आपके ईमेल जो हमें cine.paheli@yahoo.com के आइडी पर लिख भेजे हैं। तो चलिए, आज दूसरी बार के लिए तैयार हो जाइए अपने-अपने फ़िल्मी ज्ञान को आज़माने के लिए, अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालने के लिए। आपको याद दिला दूँ कि इस स्तंभ में हर सप्ताह हम आपसे पाँच सवाल पूछने वाले हैं, जिनका जवाब आपको हमें लिख भेजने हैं। हर सप्ताह पिछले सप्ताह के विजेताओं के नाम घोषित किए जायेंगे, और ५० अंकों के बाद 'महा-विजेता' भी चुना जाएगा और उन्हें 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की तरफ़ से पुरस्कृत भी किया जाएगा। प्रतियोगिता के नियम हम बाद में बतायेंगे, पहले आइए आपको बताएँ आज के पाँच सवाल जिन्हें हल करने है सिर्फ़ आपको ********************************************* सवाल-1: गोल्डन वॉयस गोल्डन वॉयस के लिए आज हमने चुना है एक विदाई गीत। इस गीत क

९ जनवरी- आज का गाना

गाना:  मतवाली नार ठुमक ठुमक चली जाये चित्रपट: एक फूल चार कांटे संगीतकार: शंकर जयकिशन गीतकार:  शेलेन्द्र गायक: मुकेश मतवाली नार ठुमक ठुमक चली जाये इन कदमों पे किस का जिया ना झुक जाये मतवाली नार ... फूल बदन मुखड़ा यूँ दमके बादल में ज्यों बिजली चमके गीत सुना के तू छम छम के ललचाये, छुप जाये, आय हाय मतवाली नार ... ये चंचल कजरारी आँखें ये चितचोर शिकारी आँखें गैइ दिल चीर कटारी अँखें मुस्काये, शामाये, झुक जाये मतवाली नार ...

‘आज गावत मन मेरो....’ : गीत उस्तादों के, चर्चा राग- देसी की

पंडित डी वी पलुस्कर  हिन्दी फिल्मों का इतिहास १९५३ में प्रदर्शित संगीतमय फिल्म ‘बैजू बावरा’ के उल्लेख के बिना अधूरा ही रहेगा। संगीतकार नौशाद को भारतीय संगीत के रागों के प्रति कितनी श्रद्धा थी, इस फिल्म के गीतों को सुन कर स्पष्ट हो जाता है। अपने समय के जाने-माने संगीतज्ञों को फिल्म संगीत के मंच पर लाने में नौशाद अग्रणी रहे हैं। आज की गोष्ठी में हम फिल्म ‘बैजू बावरा’ के एक गीत के माधम से प्रकृति के रंगों को बिखेरने में सक्षम राग ‘देसी’ अथवा ‘देसी तोड़ी’ पर चर्चा करेंगे। स्वरगोष्ठी – 51 उस्ताद अमीर खान और डी वी पलुस्कर न ये वर्ष के एक नये अंक और एक नये शीर्षक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र आपकी इस सुरीली गोष्ठी में उपस्थित हूँ। विगत एक वर्ष तक आपका प्रिय स्तम्भ ‘सुर संगम’, अब आपके सुझावों के अनुरूप न केवल नये शीर्षक, बल्कि नये कलेवर के साथ आपके सम्मुख प्रस्तुत है। मित्रों, इस बदले हुए स्वरूप में अब आपकी सहभागिता भी रहेगी। आज की ‘स्वरगोष्ठी’ में हमारी चर्चा के विषय हैं- राग देसी, उस्ताद अमीर खान, पण्डित दत्तात्रेय विष्णु पलुस्कर (डी.वी. पलुस्कर),संगीतकार नौशाद और फिल्म बैजू बावरा। म

८ जनवरी- आज का गाना

गाना: मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का चित्रपट: बरसात की रात संगीतकार: रोशन गीतकार: साहिर गायिका: लता मंगेशकर मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का कैसी खुशी लेके आया चाँद, ईद का मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का - २ ज़ुल्फ़ मचलके खुल खुल जाये चाल में मस्ती घुल घुल जाये, घुल घुल जाये ऐसी खुशी आज मिली आज मिली ऐसी खुशी आँखों मैं नाम नहीं, नींद का मुझे मिल गया बहाना ... जागती आँखें बुनती हैं सपने तुझको बिठाके पहलू में अपने, पहलू में अपने दिल की लगी ऐसी बड़ी ऐसी बड़ी दिल की लगी आँखों मैं नाम नहीं नींद का मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का कैसी खुशी लेके आया चाँद ईद का मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का

७ जनवरी- आज की कलाकार - बिपाशा बासु - जन्मदिन मुबारक

७ जनवरी जन्मदिन है हिन्दी फिल्म अभिनेत्री बिपासा बासु का.  फिल्म अजनबी में नकारात्मक भूमिका से शुरुआत करने वाली बिपासा आज एक सफल अभीनेत्री मानी जाती हैं.इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्म फेअर का नवोदित अभीनेत्री का पुरस्कार मिला था. उन्होंने कई सफल फिल्मों में काम किया. कुछ नाम हैं, राज़,जिस्म,नो एंट्री,ओमकारा,अपहरण,धूम २ आदि. रेडियो प्लेबैक इंडिया की ओर से उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएँ उनकी ही फिल्मो के दस गानों से.

बोलती कहानियाँ - बेचारा भला आदमी - हरिशंकर परसाई

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अमित तिवारी की आवाज़ में हरिशंकर परसाई की कहानी " टार्च बेचने वाले " का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई का व्यंग्य " बेचारा भला आदमी ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 9 मिनट 4 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया अधिक जानकारी के लिए कृपया हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क करें

आज का कलाकार - ए. आर. रहमान- जन्मदिन मुबारक

आज ६ जनवरी जन्मदिन है ए. आर. रहमान का. जन्म के समय उनका नाम ए एस दिलीप कुमार था जिसे बाद में बदलकर वे ए आर रहमान बने.सुरों के बादशाह रहमान ने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है. टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी. रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं.ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नामांकन हासिल हुआ.इसी फिल्म के गीत जय हो... के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार मिले. रहमान ने संगीत की आगे की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की और मात्र ११ वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते.  वे इलियाराजा के बैंड के लिए काम करते थे.१९९१ में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया.११९२ में उन्हें फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम की फिल्म रोजा में संगीत देने का मौका मिला.उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर

हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँद... राही मासूम रज़ा, जगजीत-चित्रा एवं आबिदा परवीन के साथ

"मेरे बिना किस हाल में होगा, कैसा होगा चाँद" - बस इस पंक्ति से हीं राही साहब ने अपने चाँद के दु:ख का पारावार खड़ कर दिया है। चाँद शायरों और कवियों के लिए वैसे हीं हमेशा प्रिय रहा है और इस एक चाँद को हर कलमकार ने अलग-अलग तरीके से पेश किया है। अधिकतर जगहों पर चाँद एक महबूबा है और शायद(?) यहाँ भी वही है।

छोटी सी कहानी से, बारिशों के पानी से - 'एक गीत सौ कहानियाँ' की पहली कड़ी में यादें पंचम के इस कालजयी गीत की

गुलज़ार हमेशा कहते थे कि पिक्चराइज़ करने के लिए उन्हें उस वक़्त कम्पोज़र के साथ बैठना बहुत ज़रूरी है जब गाना कम्पोज़ हो रहा हो वरना वो पिक्चराइज़ नहीं कर पाते। उन्हें इमेजेस मिलते हैं जब गाना कम्पोज़ हो रहा होता है। पर पंचम नें चाल चली और गुलज़ार के साथ बैठ कर इस गीत को कम्पोज़ करने से इन्कार कर दिया।

३ जनवरी- आज का कलाकार - संजय खान - जन्मदिन मुबारक

३ जनवरी जन्मदिन है हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता संजय खान का. इनका असली नाम है अब्बास खान.उन्होंने अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू करा चेतन आनंद की भारत चीन युद्ध पर आधारित फिल्म हकीकत से. वो मशहूर हुए अपनी दूसरी फिल्म दोस्ती से.उन्होंने अपने भाई फिरोज खान के साथ तीन फिल्मों में काम करा, उपासना, मेला और नागिन.बाद में वह कई फिल्मों के निर्माता निर्देशक भी बने.१९८९ में टेलीविजन धारावाहिक 'द स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान' के निर्माण के समय सेट पर आग से उनका चेहरा जल गया.काफी महीनों के इलाज के बाद वो ठीक हो पाए.बाद में इनके बेटे जाएद खान ने भी फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा.

सिने-पहेली # 1

सिने-पहेली # 1 रेडियो प्लेबैक इण्डिया के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! दोस्तों, आज से हम इस मंच पर शुरु कर रहे हैं यह नया साप्ताहिक स्तंभ 'सिने-पहेली'। जैसा कि शीर्षक से ही आपने अंदाज़ा लगा लिया होगा कि इसमें हम आपसे सवाल पूछने वाले हैं, जिनका आपको जवाब लिख भेजने हैं। ये सवाल सिनेमा और संगीत से जुड़े सवाल होंगे, पर जवाब शायद इतने आसान न हों। पर हमें उम्मीद है कि इस स्तंभ का भरपूर आनन्द लेंगे और अपना पूरा-पूरा सहयोग हमें देंगे। हर नए सप्ताह में पिछले सप्ताह के विजेताओं का नाम घोषित किये जाएगें, और ५० अंकों के बाद 'महा-विजेता' भी चुना जाएगा और उन्हें पुरस्कृत भी किया जाएगा। इस प्रतियोगिता के नियम हम बाद में बतायेंगे, पहले आइए आपको बताएँ आज के पाँच सवाल जिन्हें हल करना है आपको।

२ जनवरी- आज का कलाकार - समित भांजा - जन्मदिन मुबारक

२ जनवरी जन्मदिन है हिंदी और बंगाली फिल्मो के अभिनेता समित भांजा का.  याद है आपको फिल्म गुड्डी में जया भादुड़ी का हीरो?  जी हाँ समित ने ही वो भूमिका निभायी थी.उनकी कुछ प्रमुख फ़िल्में थीं. हिंदी में गुड्डी के अलावा, बंगाली फ़िल्में, जबन,परिणीता,अपंजन,मृगाया.मात्र ५९ साल की उम्र में समित का २४ जुलाई २००३ को निधन हो गया.  आइये याद करते है उन्हें उनकी फिल्मों के कुछ गानों से.

अल्बम - लेट्स मेक ए चेंज

Album - Lets make a change नूतन वर्ष - गायक : कुमार आदित्य, गीतकार : मेह्द्र भटनागर, संगीत : कुमार आदित्य सांसे चुभे - गायक : श्रीराम ईमनी, आसिफ अकबर, गीतकार : सजीव सारथी, आसिफ, संगीत : श्रीनिवास पंडा गो ग्रीन - गायक : जिनियाना लान्निंग, कुहू गुप्ता, गीतकार : सजीव सारथी, बालमुरली बालू, संगीत : बालमुरली बालू खुद पे यकीन - गायक : बिस्वजीत, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस हिंदुस्तान - गायक : बिस्वजीत, गीतकार : विश्व दीपक, संगीत : सुभोजित जीत का जूनून - गायक : दीपेश, कुहू गुप्ता, तारा बालाकृष्णन, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ईश्वर रविशंकर माँ - गायक : बिस्वजीत, गीतकार : विश्व दीपक, संगीत : ऋषि एस लाईफ एट सोनागाछी (इन्स्ट्रुमेन्टल) : संगीत : बालमुरली बालू, गायक : श्रीविद्या कस्तूरी वन वर्ल्ड (हमारी एक सभ्यता) : गायक : बिस्वजीत, रम्या, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस

अल्बम - संगीत दिलों का उत्सव है

Album - Sangeet Dilon Ka Utsav Hai संगीत दिलों का उत्सव है - गायक : चार्ल्स फिन्नी, मिथिला कानुगो, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : निखिल रंजन बढे चलो - गायक : जयेश शिम्पी, मानसी पिम्पले, ऋषि एस, गीतकार : अलोक शंकर, सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस मैं नदी - गायक : मानसी पिम्पले, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस जीत के गीत - गायक : बिस्वजीत, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस मेरे सरकार - गायक : बिस्वजीत, गीतकार : विश्व दीपक, संगीत :सुभोजित ज़ीनत - गायक : कुहू गुप्ता, गीतकार - विश्व दीपक, संगीत - सतीश वम्मी चुप सी - गायक : श्रीराम ईमनी, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : सुभोजित प्रभु जी - गायक : श्रीनिवास पंडा, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : श्रीनिवास पंडा प्रभु जी - गायक : कुहू गुप्ता, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : श्रीनिवास पंडा आवारगी का रक्स - गायक : श्रीविद्या कस्तूरी, तारा बालाकृष्णन, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस छू लेना - गायक : कुहू गुप्ता, स्वाति कानिटकर, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : मुरली वेंकट दिल यार यार - गायक : रमेश चेलामनी, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत

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अल्बम - एक रात में...

Album - Ek Raat Men जो शजर - गायक/ संगीत : रफीक शेख, गीतकार : दौर सैफी तेरे चेहरे पे - गायक : निशांत अक्षर, गीतकार : मनुज मेहता, संगीत : अनुरूप कुकरेजा चले जाना - गायक /संगीत : रूपेश ऋषि, गीतकार :शिवानी सिंह राहतें सारी - गायक /संगीत : कृष्ण राजकुमार, गीतकार :मोहिंदर कुमार सच बोलता है - गायक/संगीत : रफीक शेख, गीतकार : अजीम नवाज़ राही ऐसा नहीं - गायक : प्रतिष्ठा शर्मा, गीतकार : शिवानी सिंह, संगीत : रूपेश ऋषि आखिरी बार बस - गायक /संगीत : रफीक शेख, गीतकार : मोईन नज़र चाँद का आंगन - गायक/संगीत : कुमार आदित्य, गीतकार : गौरव सोलंकी सूरज हाथ से - गायक/संगीत : कुमार आदित्य, गीतकार : नाजिम नकवी मुझे वक्त दे - गायक : आभा मिश्रा, गीतकार : निखिल आनंद गिरी, संगीत : रूपेश ऋषि एक रात में - गायक/संगीत : रफीक शेख, गीतकार : नजीर बनारसी Original Uploads - All Rights Reserved

अल्बम - इट्स रोक्किंग

ALBUM # ITS ROCKING तू रुबुरु - गायक : बिस्वजीत, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस आवारा दिल - गायक : सुबोध साठे, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : सुभोजित बेंतेहा - गायक/गीतकार/संगीत - सुदीप यशराज खुशमिजाज़ मिटटी - गायक : सुबोध साठे, गीतकार : गौरव सोलंकी, संगीत : सुबोध साठे ओ मुनिया - गायक : जे ऍम सोरेन, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : जे ऍम सोरेन डरना झुकना - गायक : जोगी सुरेंदर, अमन कौशल, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : पेरुब उड़ता परिंदा - गायक/गीतकार/संगीत : सुदीप यशराज महिया - बैंड : आवारा MUHAMMAD WALEED MUSTAFA:Lead vocalist,Rhythm guitarist,Lyrics writer AFFAN QURESHI:Lead guitarist,back vocalist WAQAS QADIR BALOCH:Drummer,basses बुलबुला - गायक : ह्रिचा देबराज, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : बालमुरली बालू धडका (UNPLUGGED) - गायक : कुहू गुप्ता, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : विक्रमादित्य मौर्या शामियाने - गायक : कृष्ण राज कुमार, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : कृष्ण राजकुमार नसीमे सुबह - गायक : रमेश चेलामनी, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : रमेश चेलामनी जनाबे जान

सुर संगम में आज- सुर संगम की पचास अंकों की यात्रा

सुर संगम- 50 : यादें ‘सुर संगम’ के सभी पाठकों/श्रोताओं का इस स्वर्ण जयन्ती अंक में हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, २ जनवरी २०११ को हमने शास्त्रीय और लोक संगीत से अनुराग रखने वाले रसिकों के लिए इस श्रृंखला का शुभारम्भ किया था। हमारे दल के सर्वाधिक कर्मठ साथी सुजोय चटर्जी ने इस स्तम्भ की नीव रखी थी। उद्देश्य था- शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत-प्रेमियों को एक ऐसा मंच देना जहाँ किसी कलासाधक अथवा किसी संगीत-विधा पर हम आपसे संवाद कायम कर सकें और आपसे विचारों का आदान-प्रदान कर सकें। आज के इस स्वर्ण जयन्ती अंक के माध्यम से हम पिछले एक वर्ष के अंकों का स्वतः मूल्यांकन करेंगे और आपकी सहभागिता का उल्लेख भी करेंगे।

१ जनवरी - आज के कलाकार - नाना पाटेकर, सोनाली बेन्द्रे और कविता कृष्णमूर्ति - जन्मदिन मुबारक

नए साल के जश्न के साथ साथ आज हिंदी फिल्म जगत के  तीन  सितारे अपना जन्मदिन मना रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिका कविता कृष्णमूर्ति.